लैंड फॉर जॉब मामले में लालू प्रसाद की याचिका HC ने की खारिज, जारी रहेगी सुनवाई

बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और आरजेडी अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव को शनिवार 31 मई को दिल्ली हाईकोर्ट से बड़ा झटका लगा है. कोर्ट ने लैंड फॉर जॉब घोटाले में चल रही निचली अदालत की कार्यवाही पर रोक लगाने की उनकी याचिका को खारिज कर दिया. इस घोटाले की जांच CBI कर रही है. लालू यादव ने याचिका में मांग की थी कि निचली अदालत में आरोप तय करने की प्रक्रिया पर रोक लगाई जाए. हालांकि कोर्ट ने इस याचिका को स्वीकार नहीं किया और कार्यवाही जारी रखने का आदेश दिया. जिसके बाद अब आरोपों पर बहस के लिए मामला 2 जून को विशेष न्यायाधीश के समक्ष सूचीबद्ध किया गया है.

लैंड फॉर जॉब घोटाले में आरोपी है लालू परिवार
लैंड फॉर जॉब घोटाले का मामला तब का है जब लालू यादव रेल मंत्री थे. आरोप है कि उस दौरान कई उम्मीदवारों को जमीन के बदले नौकरियां दी गई थीं. इस मामले में लालू यादव, उनकी पत्नी राबड़ी देवी और बेटी मीसा भारती समेत कई लोग आरोपी हैं. CBI इस घोटाले की जांच कर रही है. न्यायमूर्ति रविंदर डुडेजा ने मामले में ट्रायल कोर्ट की कार्यवाही पर रोक लगाने के लिए कोई ठोस कारण नहीं पाया.

लालू के वकील कपिल सिब्बल ने दी दलील
लालू यादव की तरफ से उनके वकील कपिल सिब्बल कोर्ट में पेश हुए. उन्होंने दलील दी कि इस मामले में प्राथमिकी और जांच प्रक्रिया दोनों ही कानून के अनुरूप नहीं हैं. उन्होंने तर्क दिया कि जब प्राथमिकी और जांच वैध नहीं हैं तो उनके आधार पर दायर आरोपपत्र भी कानूनी रूप से नहीं टिक सकते. इसके साथ ही सिब्बल ने ये भी कहा कि भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 17ए के तहत किसी भी पूर्व केंद्रीय मंत्री के खिलाफ केस चलाने के लिए सरकार से पूर्व मंजूरी लेना जरूरी है जो कि इस मामले में नहीं ली गई. सिब्बल ने कहा कि CBI ने बिना आवश्यक वैधानिक अनुमति लिए ही लालू यादव के खिलाफ जांच शुरू कर दी, जो सुप्रीम कोर्ट के दिशा निर्देशों का उल्लंघन है.

CBI के वकील ने दिया तर्क
वहीं CBI की तरफ से पेश हुए वकील डीपी सिंह ने इस तरक का विरोध करते हुए कहा कि जांच एजेंसी ने भ्रष्टाचार रोधी कानून की धारा- 19 के तहत सभी जरूरी मंजूरी ले ली है. वकील ने ये भी कहा कि इस मामले में आरोप तय करने के लिए पर्याप्त सबूत हैं. इससे यह साफ होता है कि लालू यादव और उनके परिवार के सदस्य इस घोटाले में शामिल थे. दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद हाईकोर्ट ने साफ कर दिया कि ट्रायल कोर्ट की कार्यवाही पर रोक नहीं लगेगी.

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