भारत में धर्म और आस्था का रिश्ता बेहद गहरा है. यहां हर मंदिर के साथ कोई न कोई कहानी जुड़ी होती है, जो लोगों को वहां जाने के लिए प्रेरित करती है. ऐसा ही एक विशेष मंदिर पंजाब के अमृतसर शहर में स्थित है श्री बड़ा हनुमान मंदिर. यह मंदिर न केवल अपनी मान्यताओं के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि एक अनोखे मेले की वजह से भी पूरे देश में चर्चित है. इस मेले में बच्चे लंगूर बनकर आते हैं और भगवान हनुमान के प्रति अपनी श्रद्धा प्रकट करते हैं. ये मंदिर रामायण काल का है और जिसके साक्ष्य आज भी मंदिर में मौजूद हैं. इस मंदिर में केवल भारत नहीं बल्कि दुनिया भर से श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं. मान्यता है कि इस मंदिर में संतान प्राप्ति की मनोकामना पूरी होती है.
यह मंदिर पंजाब में कहां स्थित है?
श्री बड़ा हनुमान मंदिर, अमृतसर में स्थित है और स्वर्ण मंदिर से मात्र 2 किलोमीटर की दूरी पर है. यह मंदिर श्री दुर्ग्याणा तीर्थ परिसर के अंतर्गत आता है, जहां हर साल हजारों श्रद्धालु दर्शन के लिए पहुंचते हैं.
मंदिर से जुड़ी मान्यता क्या है?
इस मंदिर की सबसे विशेष बात यह है कि यहां हनुमान जी की प्रतिमा बैठी हुई मुद्रा में है, जो बहुत कम मंदिरों में देखने को मिलती है. मान्यता है कि यही वह स्थान है जहां रामायण काल में भगवान राम की सेना और लव-कुश के बीच युद्ध हुआ था. इस युद्ध के दौरान हनुमान जी को लव-कुश ने एक बरगद के पेड़ से बांध दिया था. आज भी वह पेड़ मंदिर परिसर में मौजूद है, जिसे देखने श्रद्धालु विशेष रूप से आते हैं.
मान्यता है कि यह मंदिर उस पवित्र भूमि पर बना है, जहां रामायण काल में लव-कुश और भगवान राम की सेना के बीच युद्ध हुआ था. रामायण काल में जब भगवान श्री राम जी ने अश्वमेघ यज्ञ के लिए घोड़ा छोड़ा तो लव और कुश ने इस घोड़े को वटवृक्ष से बांध दिया. उस समय हनुमान जी अश्वमेध यज्ञ के घोड़े को छुड़ाने आए थे, जिसे लव-कुश ने पकड़ा था और हनुमान जी को वटवृक्ष से बांध दिया था. लव और कुश से बातचीत के दौरान हनुमान जी को एहसास हुआ कि ये उनके प्रभु श्री राम की संतान हैं.
मान्यता है कि हनुमान जी बंधन के मुक्त होने के बाद भगवान श्री राम ने उन्हें आशीर्वाद देते हुए कहा था कि जहां पर उनकी संतान का मिलन हुआ है. वहां पर जो भी व्यक्ति संतान की प्राप्ति की कामना करेगा, वह अवश्य पूरी होगी.
पूरी होती है संतान प्राप्ति की मनोकामना
मान्यता है कि जो दंपत्ति संतान सुख की प्राप्ति के लिए यहां सच्चे मन से बजरंगबली के इस मंदिर में प्रार्थना करते हैं, उनकी मनोकामना अवश्य पूरी होती है. जिन लोगों के घर में बेटा नहीं होता है, वे यहां आकर पेड़ पर मौली बांधते हैं और बेटे की मन्नत मांगते हैं और जब उनकी झोली संतान सुख से भर जाती है, तो वे भगवान को धन्यवाद देने के लिए अपने बच्चों को लंगूर बनाकर इस मंदिर में लाते हैं. यह भगवान को धन्यवाद देने की एक अनोखी परंपरा है.
लंगूर मेले में क्या होता है?
यह मेला हर साल शारदीय नवरात्रि की पहली नवरात्रि से प्रारंभ होता है और पूरे दस दिनों तक चलता है. इस दौरान अमृतसर का वातावरण पूरी तरह भक्तिमय हो जाता है. दूर-दूर से आए श्रद्धालु अपने बच्चों को लंगूर के रूप में सजाते हैं. इस दौरान सैकड़ों बच्चे लंगूर बनते हैं और हनुमान जी के प्रति अपनी श्रद्धा जताते हैं.
नियमों का करते हैं पालन
मंदिर के पुजारी के अनुसार, लंगूर बनने वाले बच्चों और उनके माता-पिता को इन 10 दिन तक कठोर नियमों का पालन करना होता है.
लंगूर बने बच्चे और उनके माता-पिता को जमीन पर ही सोना होता है.
माता-पिता को ब्रह्मचर्य का पालन करना होता है.
उन्हें सात्विक भोजन करना पड़ता है, जिसमें प्याज और लहसुन का भी परहेज होता है.
लंगूर बने बच्चों को नंगे पैर रहना होता है.
वे अपने घर के अलावा किसी और के घर के अंदर नहीं जा सकते हैं.
चाकू से काटी हुई चीज नहीं खा सकते हैं.
न ही सुई और कैंची का इस्तेमाल कर सकते हैं.