Indore Land scam : जमीन पर कब्जा बीजेपी नेताओं के नेतृत्व वाले ट्रस्ट का, एफआईआर जीतू पटवारी के भाइयों पर…!

भोपाल। इंदौर के तेजाजी नगर थाने में दर्ज एक FIR का में मध्यप्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी के भाइयों—नाना पटवारी और भरत पटवारी तथा इंदौर जिला ग्रामीण कांग्रेस अध्यक्ष सदाशिव यादव पर जमीन पर अवैध कब्जे का इल्जाम लगाया गया है। लेकिन जिस जमीन पर कब्जे का आरोप है, वह अखिल भारतीय यादव समाज पब्लिक ट्रस्ट के कब्जे में है, और इस ट्रस्ट के दो आजीवन संरक्षक हैं नारायण यादव, जो मुख्यमंत्री मोहन यादव के सगे भाई, और राधेश्याम यादव, जो बीजेपी के नेता हैँ.

इस संबंध में प्रदेश कांग्रेस की तरफ से प्रदेश के पुलिस महानिदेशक को एक ज्ञापन पत्र सौपा गया है। असल में विवादित जमीन पर अखिल भारतीय यादव समाज पब्लिक ट्रस्ट ने अपना बोर्ड लगा रखा है। इस ट्रस्ट के दो आजीवन संरक्षक हैं- नारायण यादव पिता पूनमचंद यादव (उज्जैन), जो मुख्यमंत्री मोहन यादव के सगे भाई हैं। दूसरे राधेश्याम यादव पिता नरसिंह यादव (लसूड़िया, इंदौर), जो बीजेपी के ख्याति प्राप्त नेता हैं।
इसके अलावा, ट्रस्ट के अन्य प्रमुख सदस्यों में राकेश यादव और राधेश्याम यादव (महू) शामिल हैं, जो बीजेपी और आरएसएस के सक्रिय सदस्य हैं। ट्रस्ट के शेष सदस्य सामाजिक कार्यकर्ता और व्यवसायी हैं। कांग्रेस से जुड़े केवल दो नाम—सदाशिव यादव और पुरुषोत्तम यादव—इस ट्रस्ट में हैं। यह संरचना साफ दिखाती है कि ट्रस्ट पर बीजेपी का पूरा वर्चस्व है। फिर सवाल यह है: अगर जमीन पर विवाद है, तो वह ट्रस्ट और शिकायतकर्ता के बीच होना चाहिए। लेकिन मामले को मोड़कर जीतू पटवारी के भाइयों और कांग्रेस नेता सदाशिव यादव पर FIR कर दी गई, जिनका इस प्रकरण से दूर-दूर तक कोई लेना-देना नहीं है।

74 वर्षीय नरेंद्र मेहता की शिकायत पर दर्ज इस FIR में जीतू पटवारी के भाइयों पर 6.33 एकड़ जमीन पर कब्जा करने, धोखाधड़ी, और धमकी देने का आरोप लगाया गया है। लेकिन सवाल यह है कि जब जमीन पर ट्रस्ट का बोर्ड लगा है, और ट्रस्ट के संरक्षक मुख्यमंत्री के भाई और बीजेपी नेता हैं, तो कांग्रेस नेताओं को क्यों निशाना बनाया जा रहा है? यह साफ है कि बीजेपी ने पुलिस को हथियार बनाकर विपक्ष को कुचलने की साजिश रची है। मध्यप्रदेश पुलिस ने बीजेपी के इशारों पर नाचते हुए बिना ठोस सबूत के यह FIR दर्ज की, जबकि असली सवाल—ट्रस्ट के जमीन कब्जे—को पूरी तरह नजरअंदाज किया गया।

कांग्रेस का आरोप है कि मुख्यमंत्री मोहन यादव और उनके परिवार पर भूमाफिया होने के आरोप कोई नए नहीं हैं। सिंहस्थ मेले की 50 हेक्टेयर आरक्षित जमीन को आवासीय बनाने का मामला हो, जिसमें उनके परिजनों को फायदा पहुंचाने के आरोप लगे, या अब उनके भाई नारायण यादव और बीजेपी नेता राधेश्याम यादव के नेतृत्व वाले ट्रस्ट द्वारा जमीन कब्जे का यह नया खेल—ये सभी बीजेपी के जंगलराज की तस्वीर पेश करते हैं। क्या यही है बीजेपी का वादा किया हुआ “रामराज्य”? या यह सत्ता के अहंकार और लूट का खुला प्रदर्शन है?

पुलिस की शर्मनाक भूमिका
कांग्रेस का कहना है कि तेजाजी नगर थाने में दर्ज FIR मध्यप्रदेश पुलिस की पक्षपातपूर्ण भूमिका को उजागर करती है। बीजेपी नेताओं और मुख्यमंत्री के भाई से जुड़े ट्रस्ट की जमीन कब्जे की बात को दबाया जा रहा है, जबकि बिना सबूत के विपक्षी नेताओं को फंसाने की कोशिश हो रही है। यह कैसा कानून का राज है, जहां सत्ता के इशारों पर FIR दर्ज होती है, और असली गुनहगार—जो ट्रस्ट के रूप में जमीन पर कब्जा किए बैठे हैं—खुलेआम घूम रहे हैं? मंदसौर में हाल ही में बीजेपी और कांग्रेस कार्यकर्ताओं के बीच झड़प के बाद केवल कांग्रेसियों पर FIR दर्ज होना भी पुलिस के दोगलेपन को दिखाता है।

विपक्ष पर हमला: लोकतंत्र का गला घोंटने की कोशिश

विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार सहित अन्य नेताओं के हस्ताक्षर वाले पत्र में कहा गया है कि जीतू पटवारी के भाइयों पर यह FIR बीजेपी की विपक्ष को दबाने की रणनीति का हिस्सा है। हाल ही में, बीजेपी के मंत्री विजय शाह के आपत्तिजनक बयान के खिलाफ प्रदर्शन करने पर कांग्रेस कार्यकर्ताओं पर FIR दर्ज की गई, जबकि बीजेपी नेताओं को छुआ तक नहीं गया। पटवारी ने बीजेपी सरकार पर आदिवासियों की जमीन लूटने, नशे के कारोबार को बढ़ावा देने, और कानून-व्यवस्था को ताक पर रखने के गंभीर आरोप लगाए हैं। लेकिन बीजेपी का जवाब? विपक्ष को झूठे मामलों में फंसाकर उनकी आवाज दबाना। यह न केवल सत्ता का दुरुपयोग है, बल्कि लोकतंत्र पर सीधा प्रहार है।

नारायण टैक्स की बात कही थी पटवारी ने
इंदौर में पूर्व मंत्री सज्जन वर्मा ने कहा कि जीतू पटवारी ने उज्जैन में एक भाषण दिया था। जिसमें उन्होंने कहा था कि इस प्रदेश की जनता को तमाम सारे टैक्स भुगतना पड़ रहे हैं। एक नया टैक्स नारायण टैक्स अब भरना पड़ेगा। मैं समझता हूं कि ये उसकी परिणीति है कि जीतू पटवारी के भाईयों पर इस तरह के प्रकरण लगाए है।
पूर्व मंत्री ने कहा कि हम अपनी बात अधिकारियों से कहने आए थे, वे भी आंख-मुंह पर पट्टी बांधे बैठे है। मोहन यादव सरकार का इतना दबाव पुलिस और रेवेन्यु अधिकारियों पर है कि वे हेल्पलेस हैं या कहूं कि उनके मुंह और आंख पर एक पट्टी मोहन यादव सरकार ने बांध दी है। वे असहाय सी स्थिति में है। आज हमारे कांग्रेस के लोगों को कमिश्नर कार्यालय पर ज्ञापन की कॉपी चस्पा करना पड़ी।

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