सावन माह की कांवड़ यात्रा में अद्भुत नजारे देखने को मिल रहे हैं। शिव भक्त कांवड़िये तीर्थनगरी हरिद्वार से भगवान भोलेनाथ का जलाभिषेक करने के लिए अपनी कांवड़ में पवित्र गंगा जल भरकर ला रहे हैं। इसी कड़ी में बड़ौत-बुढ़ाना कांवड़ मार्ग से दो शिवभक्त कांवड़िये ‘कलयुग के श्रवण’ कुमार के रूप में भड़ल गांव में पहुंचे हैं। जिन्होंने पालकी कांवड़ में एक तरफ अपनी 70 वर्षीय बुजुर्ग दादी को बैठाया हुआ है और दूसरी तरफ उनके वजन के बराबर गंगाजल रखकर अपनी मंजिल की ओर बढ़ रहे हैं। वहीं इस श्रवण कुमार की कांवड़ को देखकर हर कोई उनकी तारीफ कर रहा है।
सावन माह की शुरुआत होते ही हरिद्वार से शिवभक्त कांवड़ियों का आवागमन शुरू हो गया है। वहीं शुक्रवार को बड़ौत-बुढ़ाना कांवड़ मार्ग पर अद्भुत नजारे देखने को मिल रहे हैं। कोई कांवड़िया अपने अलग अंदाज में हरिद्वार से कांवड़ ला रहे हैं। वहीं हरियाणा झज्जर जिले के बहादुरगढ़ के रहने वाले कलयुग के श्रवण कुमार बने दो पोते विशाल और जतिन अपनी 70 वर्षीय दादी राजबाला को कंधों पर पालकी में बैठाकर लाए हैं, जिसमें एक तरफ पलड़े में उनकी दादी राजबाला हैं। दूसरी तरफ उनके बराबर गंगाजल है।
दादी के दोनों पोतों विशाल और जतिन ने बताया है। वह अपनी दादी राजबाला को अपने घर से 21 जून को हरिद्वार लेकर पहुंचे थे। वहां उन्होंने अपनी दादी को तीर्थ स्थल के दर्शन कराए और उसके बाद उन्होंने हर की पैड़ी पर गंगा स्नान कराकर अपनी श्रवण कुमार वाली कांवड़ उठाई थी। उन्होंने बताया कि पिछले वर्ष दादी ने अपनी इच्छा जाहिर की थी।
उनकी इच्छा को पूरी करने के लिए दोनों भाइयों ने पिछले वर्ष भी संकल्प लेकर उन्हें यात्रा कराई थी। अबकी बार उनकी यह दूसरी कांवड़ है। उन्होंने बताया जगह-जगह लोग उनका स्वागत भी कर रहे हैं। वहीं हर कोई इन दोनों भाइयों की अपनी दादी के प्रति सेवा भाव देखकर हर कोई उनकी तारीफ कर रहा है।
राजबाला बोलीं- ऐसे पोते सब को दे भगवान
अपने दोनों पोतों विशाल और जतिन के साथ हरिद्वार से बहादुरगढ़ हरियाणा तक पालकी में बैठकर यात्रा कर रहीं राजबाला ने बताया कि इतने लम्बे सफर की यात्रा करा रहे हैं। गर्व है कि मुझे ऐसे पोते मिले हैं। जब इनकी लोग तारीफ करते हैं तो मेरा मन बहुत खुश होता है। भगवान ऐसे पोते सभी को दें।
दादी ने ही बचपन से पालन पोषण कर इस लायक बनाया
हरिद्वार से अपनी दादी को पालकी कांवड़ में अपनी दादी को कांवड़ यात्रा करा रहे विशाल ने बताया कि उनके पिता अनिल कुमार अयोध्या में रहते हैं और वहीं नौकरी करते हैं।
विशाल ने दसवीं की पढ़ाई की, उसके बाद वह कपड़े का काम करते हैं। आत्मनिर्भर होने के बाद वह अपनी दादी की हर इच्छा को पूरा कर रहे हैं। उन्होंने बताया बचपन से उनकी दादी ने उनका पालन पोषण कर इस काबिल बनाया है। अब हमारा फर्ज है कि हम उनकी हर इच्छा पूरी करें और उनकी सेवा करें।
कांवड़ यात्रा में कांवड़ियों को दिया संदेश
विशाल का कहना है कि कांवड़ यात्रा चल रही है। हरिद्वार से दूर दूर के शिव भक्त अपनी कांवड़ यात्रा कर रहे हैं। सड़क किनारे देख कर चलिए ! क्योंकि कई बार कांवड़ियों के साथ सड़क हादसे भी हो जाते हैं। अपनी इस कांवड़ यात्रा में किसी प्रकार का कोई नशा न करें, भगवान भोले नाथ अपने सभी शिव भक्तों की मनोकामना पूरी करते हैं।
भगवान भोले नाथ की कृपा है
विशाल के छोटे भाई जतिन का कहना है कि दोनों भाई वर्ष 2024 की सावन माह की कांवड़ यात्रा में अपनी दादी के साथ शामिल हुए थे। उन्होंने पूरे उत्साह के साथ कांवड़ यात्रा को पूरी की थी। इस बार भी भगवान महादेव की पूरी कृपा है। अपने संकल्प और अपनी दादी मां की इच्छा को पूरा करेंगे। 23 जुलाई को वह महाशिवरात्रि के पर्व पर बहादुरगढ़ पहुंचकर शिवालय में भगवान महादेव का जलाभिषेक करेंगे।