ड्रोन बन रहे निर्णायक हथियार, ईरान-इजरायल संघर्ष में बदल रहे युद्ध का चेहरा

वाशिंगटन। पहले रूस और यूक्रेन के बीच संघर्ष के दौरान, और अब इजरायल और ईरान के बीच लड़ाई में भी ड्रोन की प्रभावी भूमिका स्पष्ट रूप से नजर आ रही है। आकार में छोटा, रडार की पकड़ से दूर और शक्तिशाली हमले करने में सक्षम – ये हमलावर ड्रोन आधुनिक युद्ध में एक बेहद प्रभावी हथियार बन गए हैं।

जब दुश्मन के इलाके के बहुत अंदर से ये लांच किए जाते हैं, जैसा कि इस महीने ईरान और रूस में हुआ, तो उनका प्रभाव और भी विनाशकारी होता है। दुश्मन के इलाके के अंदर से हमला करने वाले ड्रोन को रोकना एक सरप्राइज फैक्टर होता है क्योंकि इसमें आधुनिक तकनीक के साथ-साथ एक कुशल सैन्य रणनीति भी शामिल होती है।

घातक ड्रोन बनाना रणनीति का हिस्सा
अधिकारियों और हथियार विशेषज्ञों का कहना है कि जासूसी और गुप्त ऑपरेशन लंबे समय से युद्ध का हिस्सा रहे हैं। लेकिन, दुश्मन को हैरत में डालने एवं उनके दांत खट्टे करने के लिए घातक ड्रोन बनाना या तैनात करना युद्ध की निरंतर विकसित होती एक नई रणनीति का ही हिस्सा है।

ऐसा ही मामला दो सप्ताह पहले भी सामने आया था जब 40 से अधिक रूसी युद्धक विमानों को 117 ड्रोनों के झुंड ने निशाना बनाया था। उन्हें यूक्रेन ने महीनों पहले रूस के सैन्य ठिकानों के पास गुप्त रूप से लगाया था। इनमें से कुछ यूक्रेन से हजारों मील दूर थे। ईरान में भी यही हुआ था। शुक्रवार को ड्रोन और अन्य हथियारों द्वारा उसके मिसाइलों, इंटरसेप्टर और वायु रक्षा प्रणालियों को ध्वस्त कर दिया गया।

इन ड्रोन को इजराइली खुफिया अधिकारी पहले से ही वहां तस्करी करके लाए थे। हालांकि, खुफिया जानकारी जुटाने के तरीकों और गुप्त सूचना के स्त्रोतों की सुरक्षा के दृष्टिगत गुप्त अभियानों को कैसे अंजाम दिया गया, इसके बारे में कई विवरण अभी भी अस्पष्ट हैं। लेकिन, इजरायल के दृष्टिकोण ने उसे ईरान के खिलाफ अपने व्यापक हमले में बढ़त दिलाई।

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