महाराष्ट्र की सियासत में ठाकरे बंधुओं के रिश्तों में जमी बर्फ अब पिघलती नजर आ रही है. विधानसभा चुनाव के बाद से ही शिवसेना (यूबीटी) के प्रमुख उद्धव ठाकरे और उनके चचेरे भाई मनसे प्रमुख राज ठाकरे के बीच सुलह-समझौता की पटकथा लिखी जा रही है, जिस पर अब फाइनल मुहर लगने के आसार दिखने लगे हैं. उद्धव ठाकरे राज ठाकरे से हाथ मिलाने के लिए शिवसैनिकों का सियासी मिजाज समझने में जुट गए हैं.
उद्धव ठाकरे ने बुधवार को मुंबई के अपने आवास मातोश्री पर पार्टी के पूर्व पार्षदों से राज ठाकरे से संभावित गठबंधन करने के मुद्दे पर राय ली. इस दौरान पूर्व पार्षदों ने राज ठाकरे की पार्टी मनसे से गठबंधन को फायदे वाला बताया. ऐसे में सवाल उठने लगे हैं कि जिस तरह उद्धव ने पूर्व पार्षदों से बात की है, उससे ये जाहिर होता है कि बीएमसी चुनाव में ठाकरे बंधुओं की सियासी केमिस्ट्री एक साथ नजर आ सकती है?
ठाकरे बंधुओं के बीच पक रही सियासी खिचड़ी
उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे रिश्ते में चचेरे भाई हैं. शिवसेना के संस्थापक बाल ठाकरे के बेटे उद्धव हैं तो भतीजे राज ठाकरे हैं. एक समय दोनों नेता एक ही मंच पर मराठी मानुस के लिए आवाज उठाते थे. हालांकि, जब राज ठाकरे को लगने लगा कि उद्धव को उनके ऊपर तरजीह दी जा रही है तो 2005 में शिवसेना से अलग हो गए थे. इसके बाद राज ठाकरे ने महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) के नाम से अपनी नई पार्टी बना ली. इसके बाद से उद्धव और राज ठाकरे अलग-अलग अपनी सियासत करते रहे, पर 2024 के विधानसभा चुनाव के बाद महाराष्ट्र की सियासी परिस्थिति बदल गई है.
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में उद्धव और राज ठाकरे दोनों को करारा झटका लगा है, जिसके बाद से बालासाहेब ठाकरे के सियासी वारिस माने जाने वाले उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे दोनों की राजनीति पर सवाल खड़े हो रहे हैं. ऐसे में विधानसा चुनाव के बाद से ही उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे के बीच कई मुलाकातें हो चुकी हैं. इसके अलावा राज ठाकरे ने एक पॉडकास्ट के दौरान उद्धव के साथ फिर से जुड़ने की इच्छा जताई तो उद्धव खेमा ने भी फौरन अपनी दोनों बांहें फैला दी. सामना में लिखा गया था कि राज और उद्धव एक साथ आने को तैयार हैं. इसके बाद दोनों दलों के नेताओं ने सकारात्मक बयान देकर महाराष्ट्र का ध्यान ठाकरे बंधुओं की ओर खींचा है और दोनों भाई के साथ पर सियासी लाभ की बात कही जाने लगी.
सियासी मिजाज समझने में जुटे उद्धव ठाकरे
उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे आपसी गिले-शिकवे भुलाकर एक साथ आते हैं तो महाराष्ट्र की राजनीति पर इसका असर पड़ेगा. इस बात को समझने के लिए उद्धव ठाकरे ने बुधवार को अपने पार्षदों के साथ बैठक की है और उनसे तमाम मुद्दों पर बात करते हुए राज ठाकरे की पार्टी के साथ हाथ मिलाने का मिजाज जाना. उद्धव ठाकरे ने अपने पूर्व पार्षदों से पूछा कि उन्हें राज ठाकरे की पार्टी मनसे के साथ गठबंधन करना चाहिए या नहीं? गठबंधन करने पर शिवसेना (यूबीटी) को क्या सियासी लाभ मिलेगा?
शिवेसना (यूबीटी) के पूर्व पार्षदों ने उद्धव ठाकरे से कहा कि अगर राज ठाकरे की पार्टी के साथ गठबंधन होता है तो निश्चित रूप से फायदा होगा. पूर्व पार्षदों ने उद्धव ठाकरे के सामने माना कि गठबंधन को लेकर मुंबई में अनुकूल माहौल है. उद्धव ठाकरे ने पूर्व पार्षदों को भरोसा दिलाया कि मुंबई महा नगरपालिका के लिए वह किस पार्टी के साथ गठबंधन करेंगे, इस बारे में वह सभी नेताओं को विश्वास में लेकर फैसला लेंगे.
बीएमसी चुनाव में ठाकरे बंधु साथ दिखेंगे?
उद्धव ठाकरे ने जिस तरह से अपनी पार्टी के पार्षदों के साथ मनसे से गठबंधन करने पर राय जानी है, उससे साफ नजर आ रहा है कि उनका मन मुंबई में होने वाले बीएमसी चुनाव को लेकर है.
विधानसभा चुनाव के बाद अब सबकी निगाहें मुंबई के बीएमसी के चुनाव पर है. बीजेपी महाराष्ट्र की सत्ता अपने नाम करने के बाद अब मुंबई में अपना सियासी दबदबा कायम करने की फिराक में है. बीएमसी पर उद्धव ठाकरे की शिवसेना (यूबीटी) का प्रभाव है, जिसे बीजेपी सिर्फ कमजोर करने की नहीं बल्कि उसे अपने नाम करने के लिए सियासी दांव चल रही है.
महाराष्ट्र के बदले हुए सियासी समीकरण में उद्धव ठाकरे के लिए अपने आखिरी किले बीएमसी को बचाए रखने की चुनौती खड़ी हो गई है. इसीलिए उद्धव अपने पूर्व पार्षदों के साथ बैठक कर उनके सियासी मिजाज को जानना चाह रहे हैं ताकि अपने सियासी वर्चस्व को बचाए रख सके. राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि राज ठाकरे की अगुवाई वाली एमएनएस और उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना (यूबीटी) के बीच आगामी नगर निगम चुनावों, खासतौर पर आर्थिक रूप से समृद्ध बृहन्मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) चुनावों को ध्यान में रखते हुए आपसी मतभेद खत्म करने की संभावना बन सकती है.
बीएमसी चुनाव का बुना जा रहा ताना-बाना
हालांकि, अभी तक नगर निकाय चुनावों की तारीखों की घोषणा नहीं हुई है, लेकिन सियासी ताना बाना बुना जा रहा है. उद्धव ने अपने पार्षदों से कहा कि आप हमारे साथ मजबूती से रहे हैं, आप वफादार हैं. उन्होंने कहा कि पूर्व पार्षदों को शिवसेना भवन में आकर आम लोगों की समस्याओं का समाधान करना चाहिए. उद्धव ठाकरे ने बताया कि शिवसेना भवन में चुनाव कार्यालय खोला जाएगा. बैठक में उद्धव ठाकरे ने उम्मीद जताई कि चुनाव अक्टूबर से नवंबर के बीच हो सकते हैं.
2017 में मुंबई महानगरपालिका के चुनाव हुए थे, जिसमें उद्धव ठाकरे के 84 और राज ठाकरे के 7 पार्षदों ने जीत हासिल की थी. उद्धव ठाकरे महाराष्ट्र की सत्ता गंवाने के बाद अब बीएमसी से अपनी पकड़ कमजोर नहीं होने देना चाहते हैं, क्योंकि यह उनकी सियासत को बचाए रखने का आखिरी किला माना जा रहा है. यही वजह है कि उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे के बीच जमी दुश्मनी की बर्फ पिघलने लगी है. माना जा रहा है कि बीएमसी चुनाव में ठाकरे बंधुओं की सियासी केमिस्ट्री देखने को मिल सकती है?