भोपाल : उप मुख्यमंत्री राजेन्द्र शुक्ल ने निर्देश दिए हैं कि निर्माण एजेंसियों के वरिष्ठ अधिकारी निर्माण कार्यों की नियमित समीक्षा करें और अंतर्विभागीय समन्वय से संबंधित विषयों को तत्काल रेखांकित कर आवश्यक कार्रवाई सुनिश्चित करें। उन्होंने स्पष्ट किया कि जिन स्थलों पर निर्माण एजेंसियों को भूमि उपलब्ध नहीं कराई गई है अथवा अन्य कोई प्रशासनिक विभागीय अवरोध या असमंजस की स्थिति है, उसकी स्थिति उच्च अधिकारियों को तुरंत अवगत कराई जाए, ताकि उनका प्राथमिकता से निराकरण कार्य को गति दी जा सके। उप मुख्यमंत्री शुक्ल ने सामंजस्य एवं विभागीय सक्रियता की कमी से कार्यों में विलंब पर अप्रसन्नता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि निर्माण कार्यों को समय से पूर्ण करना स्वास्थ्य सेवाओं के सुदृढ़ीकरण के लिये आवश्यक है। उप मुख्यमंत्री शुक्ल ने मंत्रालय भोपाल में परियोजना कार्यान्वयन इकाई (पीआईयू) द्वारा किए जा रहे स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा अधोसंरचना विकास कार्यों की गहन समीक्षा की।
भुगतान में विलंब विभागीय उदासीनता
उप मुख्यमंत्री शुक्ल ने कहा कि किए गए कार्यों का समय पर भुगतान सुनिश्चित किया जाए। भुगतान में विलंब से कार्य की गति प्रभावित होती है और यह विभागीय उदासीनता को दर्शाता है। उन्होंने निर्देश दिए कि विभागीय अधिकारी स्वयं मैदानी निरीक्षण कर कार्यों की सघन मॉनिटरिंग करें तथा 15वें वित्त आयोग और पीएम-अभीम योजना के कार्यों को सर्वोच्च प्राथमिकता पर पूर्ण किया जाए। उप मुख्यमंत्री शुक्ल ने मेडिकल कॉलेज, नर्सिंग कॉलेज, अंडर ग्रेजुएट/पोस्ट ग्रेजुएट सीट अपग्रेडेशन, सीसीबी सहित सभी अधोसंरचना विकास कार्यों की विस्तृत समीक्षा की एवं स्पष्ट निर्देश दिए कि बजट का योजनाबद्ध उपयोग सुनिश्चित किया जाए, और उपकरण एवं फर्नीचर की खरीदी का कार्य समानांतर रूप से किया जाए। जिससे निर्माण कार्य पूर्ण होने और सेवा प्रदाय में विलम्ब न हो।
बैठक में बताया गया कि सिवनी, नीमच और मंदसौर में मेडिकल कॉलेजों का निर्माण कार्य पूर्ण हो चुका है और ये संस्थान सेवा में आ चुके हैं। वहीं छतरपुर, दमोह, राजगढ़ और सीआईएमएस छिंदवाड़ा में कार्य प्रगतिरत हैं। मेडिकल शिक्षा के क्षेत्र में यूजी सीट्स अपग्रेडेशन के अंतर्गत भोपाल, इंदौर, ग्वालियर, जबलपुर और रीवा में मेडिकल कॉलेज में कार्य पूर्ण हो चुके हैं। सागर में कार्य प्रगतिरत है। पीजी सीट्स के अपग्रेडेशन के लिए भोपाल, इंदौर, जबलपुर, सागर, ग्वालियर और रीवा में निर्माण एवं संसाधन उन्नयन कार्य प्रगतिरत हैं। बैठक में यह जानकारी दी गई कि पीआईयू द्वारा राज्य में वर्तमान में 217 कार्य प्रगतिरत हैं, जिनके लिए 1054 करोड़ रुपये की प्रशासकीय स्वीकृति जारी की जा चुकी है। इसके अतिरिक्त 24 कार्यों के लिए 283 करोड़ रुपये की प्रशासकीय स्वीकृति जारी की गई है, परंतु वे अभी प्रारंभ नहीं हो पाए हैं। 5 कार्य विभिन्न कारणों से अवरुद्ध हैं। कुल 246 कार्यों के लिए 1027 करोड़ रुपये की प्रशासकीय स्वीकृति दी जानी शेष है।
नर्सिंग कॉलेज मंदसौर में बाउंड्री वॉल निर्माण, छिंदवाड़ा में होस्टल और कॉलेज भवन का कार्य, सतना एवं राजगढ़ में लैंड डेवलपमेंट कार्य प्रगतिरत है। नीमच में प्रस्तावित नर्सिंग कॉलेज के लिए टेंडर की स्वीकृति शासन स्तर पर लंबित है। वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए कुल 352.5 करोड़ रुपए की मांग प्रस्तुत की गई थी, जिसके विरुद्ध अब तक 40.5 करोड़ रुपए की राशि स्वीकृत की गई है। इसमें से ₹12.81 करोड़ रुपए का व्यय किया गया है, 52.32 करोड़ रुपए के बिल लंबित हैं। राजगढ़ और छिंदवाड़ा के लिए 22.13 करोड़ एवं 14 करोड़ रुपये के बिल लंबित हैं। दमोह, छतरपुर में आंशिक राशि व्यय की गई है, जबकि जबलपुर को पूरी मांग के अनुरूप राशि प्राप्त हुई है। उप मुख्यमंत्री शुक्ल ने मांग अनुसार बजट उपलब्ध कराने के निर्देश दिए। प्रमुख सचिव लोक स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा संदीप यादव, आयुक्त तरुण राठी, संचालक प्रोजेक्ट नीरज कुमार सिंह, एमडी एनएचएम डॉ सलोनी सिडाना, विभागीय वरिष्ठ अधिकारी, पीआईयू के अधिकारी एवं निर्माण एजेंसियों के प्रतिनिधि उपस्थित थे।