चेन्नई। तमिलनाडु सरकार ने सोमवार को कोल्ड्रिफ कफ सिरप बनाने वाली श्रीसन फार्मास्यूटिकल्स का मैन्युफैक्चरिंग लाइसेंस पूरी तरह से रद्द कर दिया। साथ ही कंपनी को हमेशा के लिए बंद करने की घोषणा की। सरकार को श्रीसन फार्मा की फैक्ट्री में 350 से ज्यादा गंभीर श्रेणी की गड़बड़ियां मिली थीं।
कोल्ड्रिफ सिरप पीने से मध्य प्रदेश में अब तक 25 बच्चों की मौत हो चुकी है। चेन्नई में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने सोमवार को श्रीसन फार्मा से जुड़े सात ठिकानों पर छापेमारी भी की है। श्रीसन फार्मा के प्रमुख कर्मचारियों और तमिलनाडु फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (TNFDA) के गिरफ्तार डायरेक्टर इन-चार्ज पी यू कार्तिकेयन के ठिकानों पर भी रेड की गई।
कार्तिकेयन को जुलाई, 2025 में रिश्वतखोरी के एक मामले में तमिलनाडु विजिलेंस एंड एंटी करप्शन (DVAC) ने गिरफ्तार किया था। ED की ताजा कार्रवाई मिलावटी कोल्ड्रिफ सिरप बनाने और बिक्री से जुड़े वित्तीय लेन-देन मामले में प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत (PMLA) की जा रही है।
दूसरी तरफ, मध्य प्रदेश पुलिस रविवार शाम मामले के मुख्य आरोपी और श्रीसन फार्मा के मालिक रंगनाथन गोविंदन (75 साल) को लेकर तमिलनाडु रवाना हो गई। उसे 9 अक्टूबर को चेन्नई के कोडम्बक्कम स्थित उसके अपार्टमेंट से गिरफ्तार किया गया था।
छोटी सी फैक्ट्री में कोल्ड्रिफ बनाई जा रही थी
सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गेनाइजेशन (CDSCO) के मुताबिक, श्रीसन फार्मा को तमिलनाडु फूड एंड ड्रग्स एडमिनिस्ट्रेशन (TNFDA) से 2011 में लाइसेंस मिला था। यह कंपनी कांचीपुरम में महज 2000 वर्ग फीट के क्षेत्र में एक लोहे के शेड वाली छोटी सी फैक्ट्री में कोल्ड्रिफ सिरप बना रही थी।
यह कंपनी नेशनल ड्रग सेफ्टी के कई नियमों के उल्लंघनों के बावजूद एक दशक से भी अधिक समय तक, बिना किसी रोक-टोक के अपना कारोबार करती रही। स्टेट ड्रग कंट्रोल डिपार्टमेंट ने जांच के दौरान श्रीसन की मैन्युफैक्चरिंग यूनिट में दवा बनाने के लिए जरूरी गुणवत्ता मानकों में कई कमियां मिलीं।
सिरप में बड़े पैमाने पर डाईएथिलीन ग्लाइकॉल (DEG) की मिलावट पाई गई। तमिलनाडु के ड्रग्स कंट्रोल डिपार्टमेंट ने 7 अक्टूबर को सिरप बनाने वाली श्रीसन फार्मा कंपनी को कारण बताओ नोटिस जारी किया था। सरकार ने पांच दिन के अंदर कंपनी से जवाब मांगा था।
तमिलनाडु में बनने वाली कोल्ड्रिफ सिरप में 48% जहर
कांचीपुरम जिले के सुंगुवर्चत्रम में स्थित श्रीसन फार्मा की यूनिट से कोल्ड्रिफ सिरप (बैच नंबर SR-13) जब्त किया गया। जांच में पता चला कि इसमें नॉन-फार्माकॉपिया ग्रेड प्रोपीलीन ग्लाइकॉल का इस्तेमाल हुआ, जो संभवतः डायथिलीन ग्लाइकॉल (DEG) और एथिलीन ग्लाइकॉल से दूषित था। दोनों ही केमिकल किडनी को नुकसान पहुंचाने वाले जहरीले पदार्थ हैं।
जैसे ही सैंपल चेन्नई की सरकारी ड्रग्स टेस्टिंग लैब में भेजे गए, वहां से 24 घंटे में रिपोर्ट दी गई। इसमें पाया गया कि कोल्ड्रिफ सिरप का यह बैच 48.6% w/v DEG से जहरीला और ‘Not of Standard Quality’ है। जबकि अन्य चार दवाओं (रेस्पोलाइट D, GL, ST और हेप्सैंडिन सिरप) को स्टैंडर्ड क्वालिटी का पाया गया।
जबलपुर के कटारिया फार्मास्यूटिकल्स का लाइसेंस निरस्त
छिंदवाड़ा और बैतूल में कोल्ड्रिफ कफ सिरप से 25 बच्चों की मौत के बाद प्रदेश के अलग-अलग जिलों में लगातार कार्रवाई जारी है। जबलपुर की श्रीसन फार्मा कंपनी का महाकौशल डीलर ऑफिस है, जहां से कंपनी की अलग-अलग दवाएं जिले में सप्लाई की जाती थीं।
जबलपुर के कटारिया फार्मास्यूटिकल ऑफिस से ही छिंदवाड़ा का बड़ा लॉट कोल्ड्रिफ सिरप का भेजा गया था। रविवार को जांच रिपोर्ट आने के बाद गंभीर अनियमितताएं सामने आईं, जिसके बाद खाद्य एवं औषधि विभाग ने कटारिया फार्मास्यूटिकल का लाइसेंस निरस्त कर दिया है। इसके बाद पुलिस-प्रशासन ने कंपनी और उसके डीलर के खिलाफ कार्रवाई तेज कर दी है।
दो दिन पहले ही खाद्य एवं औषधि विभाग ने जांच के दौरान पाया था कि नोदरा ब्रिज स्थित कटारिया फार्मास्यूटिकल के ऑफिस-गोदाम में दवाओं का स्टाॅक रखने की अनुमति नहीं थी। इतना ही नहीं, कटारिया फार्मास्यूटिकल के संचालक ने दुकान का लाइसेंस और अन्य दस्तावेज प्रस्तुत किया, लेकिन गोदाम से जुड़े उनके पास कोई दस्तावेज नहीं थे, जबकि यहीं पर दवाओं का स्टॉक रखा जाता था। जिला प्रशासन के साथ मिलकर खाद्य एवं औषधि विभाग ने कटारिया फार्मास्यूटिकल के ऑफिस और गोदाम को फिलहाल सील कर दिया है।