भोपाल। अटल बिहारी वाजपेयी हिंदी विश्वविद्यालय, भोपाल का षष्ठ दीक्षांत समारोह कुशाभाऊ ठाकरे अंतर्राष्ट्रीय कन्वेंशन सेंटर, भोपाल में सम्पन्न हुआ। कार्यक्रम का शुभारंभ मां सरस्वती के समक्ष दीप प्रज्ज्वलन कर सरस्वती वन्दना के साथ अटल जी के जन्म दिवस पर उनके चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित की एवं मध्यप्रदेश गान के साथ हुआ ।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कुलाधिपति एवं मध्यप्रदेश के राज्यपाल मंगूभाई पटेल द्वारा की गई। मुख्य अतिथि के रूप में प्रवेश एवं शुल्क विनियामक समिति, मध्यप्रदेश के अध्यक्ष प्रो. रविंद्र कान्हेरे थे। विशिष्ट अतिथि के रूप में पूर्व कुलगुरु एवं अध्यक्ष, पंडित दीनदयाल उपाध्याय स्मृति समारोह समिति, जयपुर के प्रो. मोहनलाल छीपा जी उपस्थित थे।
कुलगुरु प्रो. देव आनंद हिंडोलिया ने कुलाधिपति एवं अन्य अतिथिगणों का स्वागत किया। दीक्षांत समारोह के अवसर पर विश्वविद्यालय की स्मारिका, प्रगति प्रतिवेदन एवं अन्य पुस्तंकों का विमोचन अतिथियों द्वारा किया गया। कुलगुरु द्वारा स्वागतपरक भाषण में कहा गया कि विश्वविद्यालय को अटल जी के विचारों के अनुरूप विकसित करते हुए रोजगारोन्मुखी पाठ्यक्रम, मेडिकल, इंजीनियरिंग व विधि जैसे विषयों की हिंदी माध्यम में शिक्षा, पाठ्यपुस्तकों का अनुवाद प्रस्तावित है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति–2020 के प्रावधान सम्मिलित हैं। हाल ही में एमबीए एवं एमए शिक्षा शास्त्र प्रारंभ किया गए हैं। आगामी सत्र से इंजीनियरिंग व कृषि अभियांत्रिकी पाठ्यक्रम प्रारंभ करने का प्रस्ताव है।
कुलाधिपति एवं मध्यप्रदेश के राज्यपाल मंगूभाई पटेल दने पने अध्यक्षीय उद्बोधन कहा कि विद्यार्जन के दौरान अर्जित ज्ञान को सदैव अपने आचरण में उतारें और समाज के लिए उपयोगी नागरिक बनने का सतत प्रयास करें। प्राचीन ज्ञान परंपरा के साथ-साथ अद्यतन एवं आधुनिक ज्ञान का हिंदी में अनुवाद करें। विकसितभारत 2047 को प्राप्त करने के लिए आवश्यक हैं कि विद्यार्थी निरंतर अध्ययन करे अटलजी के भाषण सुने उनके जैसा चरित्र का निर्माण करेंगे तो भारत 2047 के लक्ष्य को प्राप्त कर पाएगा।
विशिष्ट अतिथि प्रो. मोहनलाल छीपा ने अपने उद्बोधन में कहा आप जिस उपाधि को ग्रहण कर रहे हैं, वह केवल एक काग़ज़ी प्रमाण-पत्र नहीं, बल्कि समाज के प्रति आपके दायित्व की घोषणा है। विश्वविद्यालय से दीक्षित होकर आप ज्ञान को जन-भाषा में प्रचार करें और जन-भाषा को ज्ञान की भाषा बनाने के संकल्प को अपने जीवन में उतारें। यह विश्वविद्यालय किसी एक व्यक्ति विशेष का नहीं, बल्कि भाषा और आत्मा का प्रतीक है।
मुख्य अतिथि प्रो. रविंद्र कान्हेरे ने अपने संबोधन में कहा कि- राष्ट्रीय शिक्षा नीति की मूल भावना चरित्र निर्माण की है।अटलजी ने 3 योजनाएं लागू की बल्कि उनको बेहतर क्रियान्वयन भी किया विद्यार्थियों को अटलजी के चरित्र को ग्रहण करना चाहिए। विश्वविद्यालय भारतीय ज्ञान परंपरा का केंद्र बने साथ ही अद्यतन शोध का भी हिंदी में अनुवाद होगा तो उसका लाभ विद्यार्थियों को प्राप्त होगा।
तत्पश्चात माननीय कुलधिपति द्वारा स्वर्ण, रजत, एवं कांस्य पदक प्रदान किए गए तथा विद्यार्थियों को उपाधियाँ प्रदान कर दीक्षांत उपदेश दिया गया एवं प्रतिज्ञा दिलवायी गई।
कार्यक्रम के अंत में विश्वविद्यालय के कुलसचिव श्री शैलेंद्र कुमार जैन द्वारा धन्यवाद ज्ञापित किया गया। इसी के साथ दीक्षांत समारोह का समापन राष्ट्रगान के साथ सम्पन्न हुआ। इस अवसर पर 5 स्वर्ण पदक , 3 रजत पदक, तथा 2 कांस्य पदक के ही साथ कुल 128 विद्यार्थियों को उपाधियाँ प्रदान की गईं, जिनमें 60 स्नातकोत्तर एवं 68 स्नातक स्तर के विद्यार्थी सम्मिलित थे।
कार्यक्रम की श्रृंखला में आगे बढ़ते हुए दीक्षान्त समारोह में कवि अटल जी की 10 कविताओं पर आधारित ‘अटल स्वरांजलि’ कार्यक्रम में शिमला की सुप्रसिद्ध कथक कलाकार डॉ. पूनम शर्मा के निर्देशन में एक भव्य “संगीतमय कथक नृत्य नाटिका” की प्रस्तुति की गई।
दीक्षांत समारोह का संचालन डॉ. रश्मि चतुर्वेदी द्वारा किया गया। इस अवसर पर संघ के पदाधिकारी प्रवेश विजयवर्गीय, सचिन दवे, मयंक झा भारतीय शिक्षण मण्डल मौजूद रहे।
