हैदराबाद । भारत-पाकिस्तान टेंशन के बीच एक तथाकथित चीनी अनुसंधान जहाज भारतीय सीमा की ओर बढ़ रहा है। इस बीच चीन के तथाकथित अनुसंधान जहाज के भारत की ओर बढ़ना इस्लामाबाद और बीजिंग के बीच के गठजोड़ की कहानी से जुड़ा है।
इस चीनी जहाज को लेकर विशेषज्ञ डेमियन साइमन ने लिखा है कि चीन का एक तथाकथित अनुसंधान जहाज, दा यांग यी हाओ भारत की सीमा की ओर बढ़ रहा है। उधर भारतीय एजेंसियां भी जहाज को लेकर सक्रिय हैं, और मूवमेंट पर नजर रख रही हैं।
दा यांग यी हाओ उन कई जहाजों में शामिल है, जिन्हें चीन अनुसंधान जहाज कहता है, लेकिन भारत और अन्य देश उन्हें जासूसी जहाज मानते हैं। इन जहाजों में नागरिक और सैन्य अनुप्रयोगों के साथ दोहरे उद्देश्य वाली वैज्ञानिक क्षमताएं हैं। वे समुद्र तल का नक्शा बना सकते हैं। मिसाइलों को ट्रैक कर सकते हैं। पनडुब्बियों की रीडिंग सहित कई चीजों पर नजर रख सकते हैं। वे समुद्र विज्ञान संबंधी वैज्ञानिक अभियानों, जैसे गहरे समुद्र की खोज और समुद्री संसाधन सर्वेक्षण की आड़ में ऐसी गतिविधियां करते हैं।
दरअसल चीन के पास अनुसंधान पोतों का एक विशाल बेड़ा है। साथ ही उसके पास दुनिया का सबसे बड़ा नागरिक अनुसंधान पोत बेड़ा है। ये बेड़ा अक्सर सैन्य उद्देश्यों के लिए सुर्खियों में रहता है। वहीं भारत ने हिंद महासागर में चीनी अनुसंधान को सीमित करने की कोशिश की है। वहीं अमेरिका का मानना है कि कई जहाजों का इस्तेमाल जासूसी के लिए होता है।
बात दें कि चीन अपने तथाकथित चीन समुद्री अनुसंधान पोतों की संख्या में विस्तार कर रहा है। यह 2012 में स्थापित एक राष्ट्रीय सर्वेक्षण बेड़ा है। अंतर्राष्ट्रीय समुद्री संगठन के डेटाबेस के मुताबिक, 1990 में या उसके बाद निर्मित 64 पंजीकृत चीनी सर्वेक्षण पोत हैं, जो अमेरिका के 44 और जापान के 23 से अधिक हैं। चीन ने 2019 से श्रीलंका, म्यांमार, थाईलैंड और पश्चिमी, दक्षिणी और पूर्वी हिंद महासागर क्षेत्र के करीब जासूसी पोत तैनात किए। जिन्हें वह महासागर अनुसंधान पोत बताता है। इन सबका उद्देश्य क्षेत्र में भारत की संपत्तियों की निगरानी करना और समुद्र तल में खनिजों पर अनुसंधान करना है। 2023 में, चीन ने हिंद महासागर क्षेत्र में 25 शोध और ट्रैकिंग जहाजों को तैनात करने की सूचना दी थी।