नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने सीबीआई निदेशक प्रवीण सूद को एक साल का सेवा विस्तार देने का फैसला किया है. कार्मिक मंत्रालय की ओर से 7 मई 2025 को जारी आदेश के मुताबिक, यह विस्तार 24 मई 2025 के बाद एक वर्ष के लिए प्रभावी होगा. आदेश में कहा गया है कि यह निर्णय कैबिनेट की नियुक्ति समिति की सिफारिश पर लिया गया है.
प्रवीण सूद 1986 बैच के कर्नाटक कैडर के आईपीएस अधिकारी हैं. उन्होंने इससे पहले कर्नाटक के पुलिस महानिदेशक (DGP) सहित कई महत्वपूर्ण पदों पर सेवाएं दी हैं. मौजूदा कार्यकाल 25 मई 2025 को समाप्त हो रहा था, ऐसे में सरकार को या तो नए निदेशक की नियुक्ति करनी थी या सेवा विस्तार देना था.
कैसे होती है सीबीआई डायरेक्टर की नियुक्ति?
सीबीआई निदेशक की नियुक्ति एक विशेष तीन-सदस्यीय समिति द्वारा की जाती है, जिसमें प्रधानमंत्री, लोकसभा में विपक्ष के नेता और भारत के मुख्य न्यायाधीश शामिल होते हैं. इस समिति की अध्यक्षता प्रधानमंत्री करते हैं. यह समिति चयनित नामों पर विचार करती है और फिर केंद्र सरकार को एक सिफारिश भेजती है, जिसके आधार पर नियुक्ति की जाती है.
सुप्रीम कोर्ट और कानून क्या कहते हैं?
सीबीआई डायरेक्टर की नियुक्ति को लेकर 2019 में सुप्रीम कोर्ट ने कुछ महत्वपूर्ण दिशानिर्देश जारी किए थे. कोर्ट ने स्पष्ट किया था कि उस अधिकारी को सीबीआई निदेशक नहीं बनाया जा सकता जिसकी सेवानिवृत्ति (रिटायरमेंट) में छह महीने से कम का समय बचा हो. साथ ही, सीबीआई डायरेक्टर का कार्यकाल कम से कम दो साल का होना चाहिए. कार्यकाल के बीच में निदेशक को हटाने के लिए नियुक्ति समिति की अनुमति अनिवार्य होती है.
इस सेवा विस्तार के बाद अब प्रवीण सूद 24 मई 2026 तक सीबीआई निदेशक बने रहेंगे. इस निर्णय से यह भी संकेत मिलता है कि सरकार अभी नए निदेशक की नियुक्ति को टालना चाहती है और सूद के नेतृत्व को जारी रखना चाहती है.