दिल पर हाथ रखने से चटनी, आंखों के इशारे पर मिलता प्याज; यहां बल्ब की रोशनी से होता है ऑर्डर

नई दिल्ली ।  अगर आप किसी कैफे में जाएं और वहां वेटर बिना ऑर्डर लिए खाना या सॉफ्ट ड्रिंक लाता दिखेगा तो चौकिएगा नहीं, वेटर को इशारों में ऑर्डर दिया गया है। आपको बिना बोलें ही ऑर्डर देना हो, तो चौंकिएगा मत। सत्य निकेतन में एक इकोज साउंड ऑफ साइलेंस नाम का अनूठा कैफे है। इसका संचालन मूक-बधिर कर्मचारी करते हैं। यहां सांकेतिक भाषा में ऑर्डर लेकर ग्राहकों को खाना परोसा जाता है। इन विशेष कर्मचारियों ने सांकेतिक भाषा को अपना हथियार बनाकर रोजगार का सृजन किया है।  खास बात यह है कि इस कैफे के माध्यम से दिव्यांग लोगों के प्रति सोच बदलने का काम भी हो रहा है। अमूमन तमाम कैफे व अन्य जगहों में दिव्यांग पर्दे के पीछे कार्य करते हुए दिख जाते हैं। लेकिन, यहां कर्मचारी कैफे में आने वाले मेहमानों का स्वागत पूरी सहजता के साथ करते हुए उनकी मांग को भी पूरा करते हैं। यह इकोज साउंड ऑफ साइलेंस कैफे है। यहां ऑर्डर देने के लिए विशेष सांकेतिक भाषा का उपयोग किया जाता है। कैफे में सांकेतिक भाषा के चिह्न भी बने हुए हैं। कर्मचारी ग्राफिक बोर्ड व सांकेतिक भाषा का उपयोग करके मेहमानों को खाना परोसते हैं। इतना ही नहीं, लोगों को मामूली सांकेतिक भाषा भी सिखाते हैं।

प्रेरणा का स्रोत बने कर्मचारी

पहले जब कहीं नौकरी नहीं करते थे तो लोग नकारात्मक नजर से देखते थे। लेकिन, अब कई लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत बन गए हैं। यह कहना है 45 वर्षीय प्रमोद का। वह कैफे में वरिष्ठ कैशियर के रूप में कार्यरत हैं। उन्होंने बताया कि कुछ लोग अपने बच्चों को उन्हें दिखाने लाते हैं। कैफे को देखने व कर्मचारियों के काम से अनुभव लेने के लिए मूक-बधिर स्कूल से छात्र भी स्टडी टूर करने आते हैं जिससे बाकी लोग भी प्रेरित हो रहे हैं।

आंखों पर इशारा करने पर मिलता है प्याज, दिल पर हाथ लगाने पर चटनी

यहां ऑर्डर के लिए क्यू बुक बनाई है। इसमें चम्मच, पानी, बिल व कैफे प्रबंधक से बात करने व अन्य कार्यों के लिए प्रयोग किया जाता है। अगर कोई खाने की टेबल में बैठा है और उसे कुछ खाने-पीने के लिए मंगवाना है, तो वह टेबल के ऊपर लगे बटन को दबा सकता है। इससे वहां लगे बल्ब की रोशनी से कर्मचारियों को पता लग जाएगा कि किस टेबल से बुलाया गया है। 

ऐसे करते हैं ऑर्डर

उन्होंने ग्राहकों को ऑर्डर देने में परेशानी न हो इसके लिए कुछ चिह्न भी बनाए हैं। जिसमें दिल के पास हाथ लगाने से यह लोग हरी चटनी देते हैं। वहीं, आंखों की ओर इशारा करने पर यह प्याज देते हैं। साथ ही, सॉफ्ट ड्रिंक मंगवानी है तो उसके लिए गाल पर हाथ लगाते हैं। वहीं, मोमोज मंगवाने होते हैं तो एम वन व बर्गर के लिए बी वन लिख कर आर्डर करते हैं। कर्मचारियों का शुक्रिया करने का तरीका भी अनोखा है, इसमें उन्हें एक मुस्कान के साथ अंगूठे का इशारा करना होता है।

स्कूली शिक्षा का हिस्सा बननी चाहिए सांकेतिक भाषा

हौंसले बुलंद हो तो कोई भी कार्य आसानी से किया जा सकता है। यह पंक्ति कैफे में कार्य करने वाले मूक-बधिर कर्मचारियों पर सटीक बैठती है। कैफे में कार्य करने वाली 25 वर्षीय प्रीति सांकेतिक भाषा में बताती हैं कि पहले जब वह स्कूल पढ़ती थी तो कोई भी उनकी बात नहीं समझ पाता था। स्कूलों में सांकेतिक भाषा पढ़ाई जानी चाहिए। जिससे लोग बोल-चाल की भाषा जान सके। वह कहती हैं कि आर्थिक परेशानी की वजह से उन्होंने 10वीं कक्षा के बाद पढ़ाई नहीं की। घर पर ही सिलाई का काम शुरू किया, लेकिन उससे आर्थिक परेशानी दूर नहीं हुई। 

इकोज कैफे संस्थापक क्षितिज बेहल ने बताया कि कंपनियों में जब कोई मूक-बधिर नौकरी करता है तो लोग उससे किनारा करते हैं। समाज में हर कोई उनकी सांकेतिक भाषा तो नहीं समझ सकता इस वजह से वह समाज से कट जाते हैं। इन लोगों में बहुत काबिलियत है।

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