पिछले कुछ महीनों से देश में महंगाई बढऩे की दर में गिरावट देखने को मिल रही है। इससे आम आदमी को कुछ राहत मिली है, खासकर खाद्य वस्तुओं पर होने वाले खर्च में होने वाली बढ़ोतरी पर लगाम लगी है, लेकिन इसका यह कतई मतलब नहीं निकाला जा सकता है कि लोगों की जेब पर औसत खर्च का बोझ कम हुआ है। केंद्र सरकार की ओर से जारी महंगाई के आंकड़ों का विश्लेषण करने पर पता चला है कि देश में हर व्यक्ति पर टैक्स का बोझ साल-दर-साल बढ़ता ही जा रहा है। पिछले 15 साल से स्कूलों की फीस सालाना 10-20 फीसदी तक बढ़ रही है। सडक़ पर गाड़ी चलाना भी पांच से 10 फीसदी तक महंगा हो रहा है।
रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले 10-15 वर्षों के दौरान आम आदमी पर टैक्स का बोझ इसलिए बढ़ा है, क्योंकि अब हर तरह की सेवा पर शुल्क और टैक्स वसूला जा रहा है। बैंकिंग सेवाओं ले से लेकर रेलवे टिकट, यहां तक कि फिल्म टिकट बुकिंग प्लेटफॉर्म से लेकर ऑनलाइन फूड डिलीवरी, क्विक कॉमर्स प्लेटफॉर्म तक अपने सर्विस चार्ज में इजाफा कर रहे हैं। हर साल कुछ नए टैक्स लोगों के जीवन में जुड़ते जा रहे हैं तो वहीं पूर्व से निर्धारित टैक्स को भी लगातार बढ़ाया जा रहा है, जिससे आम लोगों की जेब ढीली हो रही है। हालांकि टैक्स का बोझ बढऩे के साथ लोगों की आय भी बढ़ रही है। 2014 में देश में प्रति व्यक्ति औसत आय 86,647 रुपए थी, जो 10 साल में 108 प्रतिशत बढक़र वर्ष 2024 में 1.80 लाख रुपए से अधिक हो गई।
औसत प्रति व्यक्ति आय
वर्ष सालाना आय
2014 86,647
2024 1,80,000
(राशि रुपए में)
बैंकों की हर सेवा पर शुल्क
पिछले एक- डेढ़ दशक में बैंकिंग सेवा में सुधार हुआ है, लेकिन बैंकों ने हर सेवा पर शुल्क लगाया दिया है। साथ ही इन शुल्कों पर जीएसटी अलग से लिया जा रहा है। उदाहरण के तौर पर एक मई से बैंकों ने एटीएम से अपने निर्धारित बैंक से पांच लेन-देन की मासिक सीमा के बाद प्रत्येक लेन-देन पर शुल्क को 21 रुपए से बढ़ाकर 23 रुपए कर दिया है। शुल्क के साथ जीएसटी भी लगाया गया है। आलम यह है कि बैंक न्यूनतम बैंलेस नहीं होने पर भी ग्राहकों पर भारी जुर्माना लगा रहे हैं, जिससे एक वर्ष में 3,500 करोड़ रुपए से अधिक की वसूली हुई है।
बैंक इन सेवाओं के लिए वसूल रहे शुल्क
प्रमुख सेवाएं चार्ज
—डुप्लीकेट पासबुक 100 रुपए
—डुप्लीकेट पासबुक एंट्री के साथ 50 रुपए प्रति पेज
—अतिरिक्त चेक भुगतान को रोकना 200 रुपए प्रति चेक (अधिकतम क्र500) ग्राहक की गलती से चेक वापस होना 150 रुपए
—हस्ताक्षर सत्यापन 100 रुपए
—संयुक्त बैंक खाते में हस्ताक्षर सत्यापन 150 रुपए
—डिमांड ड्राफ्ट(5 से 10 हजार तक) 75 रुपए
—पोस्टल चार्ज 50 से 100 रुपए
—ब्रांच से कैश निकासी (5बार के बाद) 75 रुपए प्रति निकासी
—खाता रखरखाव चार्ज 500 रुपए
—एसएमएस अलर्ट 10 से 35 रुपए प्रति तिमाही
—मोबाइल नंबर व ई-मेल आईडी बदलना 50 रुपए व जीएसटी
—डेबिट कार्ड रखरखाव चाज 250 से 800 रुपए
—डेबिट कार्ड री-पिन बदलना 50 रुपए
शिक्षा खर्च में भारी बढ़ोत्तरी
हर परिवार की जेब पर शिक्षा खर्च का बोझ तेजी से बढ़ा है। स्कूल अपनी फीस में भले ही सरकारी नियमों के हिसाब से बढ़ोत्तरी कर रहे हों, लेकिन उसके अतिरिक्त तमाम मदों में बढ़ोतरी की जा रही है। स्थिति यह है कि अगर किसी स्कूल की फीस वर्ष 2014-15 में तीन से चार हजार रुपए मासिक थी तो वह अब 12 से 15 हजार रुपए तक पहुंच गई है। बीते 4 वर्षों के दौरान ही स्कूली शिक्षा खर्च 40 से 50 फीसदी तक बढ़ गया है। डोनेशन, एडमिशन, वार्षिक फीस, ड्रेस, किताब, जूते, ट्रांसपोर्टेशन का खर्च हर साल 10-20 प्रतिशत बढ़ रहा है।
दूध-दही, आटा भी टैक्स के दायरे में
जुलाई 2022 से पैकेट बंद दूध, दही, पनीर और आटे पर जीएसटी लगाया जा रहा है। इन सभी पर 5 प्रतिशत जीएसटी है। जुलाई 2017 में जीएसटी के आने के बाद सामान्य जीवन से जुड़ी लगभग सभी चीजें टैक्स के दायरे में आ गई हैं, जिससे आम आदमी के जेब पर टैक्स का बोझ बढ़ा है।
गाड़ी चलाना प्रतिवर्ष 15 प्रतिशत तक महंगा
पिछले एक दशक से गाड़ी (कार-बाइक) खरीदना और चलाना महंगा हो रहा है। देश में टोल प्लाजा की संख्या तेजी से बढ़ी है, जिनकी हर वर्ष टोल दर 5 से 10 प्रतिशत तक बढ़ रही है। गाड़ी पर लगे फास्टैग पर भी चार्ज बढ़ गए हैं। साथ ही गाडिय़ों की कीमतें भी हर वर्ष 10 प्रतिशत औसतन बढ़ रही है। गाडिय़ों का प्रदूषण प्रमाण पत्र बनवाना और बीमा कराना भी महंगा हो गया है, जिस पर 18 प्रतिशत जीएसटी अलग से लग रहा है।
फास्टैग से वसूले जा रहे शुल्क
—टैग फीस 100 रुपए
—न्यूनतम बैलेंस (कार) 200 रुपए
—नेट बैंकिंग से रिचार्ज 8 रुपए प्लस जीएसटी प्रति रिचार्ज
—क्रेडिट कार्ड से रिचार्ज 0.90 प्रतिशत प्लस जीएसटी प्रति रिचार्ज
—इंश्योरेंस फीस 100 रुपए
—दोबारा से टैग जारी होना 100 रुपए
—सिक्योरिटी जमा 100 रुपए
—स्टेटमेंट 50 रुपए प्रति