भोपाल। भाजपा विधायक संजय पाठक अपनी ही सरकार के निशाने पर आ गये हैँ। पाठक की कंपनियों मेसर्स आनंद माइनिंग कॉर्पोरेशन, मेसर्स निर्मला मिनरल्स एवं पार्टनरशिप वाली पैसिफिक एक्सपोर्ट, तीनों कंपनियों से 520 करोड़ की रिकवरी का आदेश जारी किया है।मालूम हो कि संजय पाठक के खिलाफ सहारा की ज़मीनों की फर्जी खरीद फरोख्त के मामले में ईओडब्लू द्वारा केस दर्ज किया गया है और इसकी जांच चल रही है। संजय पाठक के खिलाफ आदिवासियों के नाम पर जमींनें खरीदने को लेकर भी शिकायत की गई है। ये मामला भी करोड़ों के फर्जीवाड़ा का है, जिसकी जाँच धीमी गति से चल रही है।
विधायक संजय पाठक की इन कंपनियों द्वारा माननीय सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उलंघन करते हुये स्वीकृत सीमा से किये गये अतिरिक्त उत्पादन की राशि राज्य सरकार के खाते में जमा नहीं किये जाने की शिकायत कटनी के समाजसेवी आशुतोष मनु दीक्षित द्वारा की गई थी जिसपर जांच उपरांत कारवाही करते हुये राज्य सरकार द्वारा 520 करोड़ की रिकवरी का आदेश जारी किया गया है।
असल में जानकारी मिली है कि अब कटनी से जुड़ी तीन माइनिंग कंपनियों से 520 करोड़ रुपए की वसूली होगी। इनमें 440 करोड़ रुपए का मामला स्वीकृत सीमा से अधिक आयरन ओर की खुदाई का है, जबकि 80 करोड़ से ज्यादा की जीएसटी चोरी का अलग से अनुमान है। जांच में सामने आया कि इन कंपनियों ने तय माइनिंग प्लान और पर्यावरणीय मंजूरी की सीमाओं से लाखों टन अधिक खनन किया। जिन कंपनियों पर यह कार्रवाई हो रही है, उनमें निर्मला मिनरल्स, आनंद माइनिंग और पेसिफिक एक्सपोर्ट शामिल हैं। इन तीनों फर्मों ने सिहोरा तहसील के दुबियारा (32.3 हेक्टेयर), घुघरी (8.6 हेक्टेयर), प्रतापपुर (11.5 हेक्टेयर), अगरिया (20.2 हेक्टेयर) और टिकरिया (26 हेक्टेयर) में लौह अयस्क की खदानें संचालित कीं।
शिकायत के बाद हुई जाँच
जनवरी 2025 में समाजसेवी आशुतोष उर्फ मनु दीक्षित ने आर्थिक अपराध अनुसंधान शाखा (ईओडब्ल्यू) में शिकायत दर्ज कराई थी। इसके बाद प्रमुख सचिव (खनिज) के निर्देश पर बनी जांच टीम ने कई खदानों की जांच जांच की। टीम ने इंडियन ब्यूरो ऑफ माइंस (आईबीएम) के आंकड़े और सैटेलाइट इमेजरी के जरिए माइनिंग की मात्रा की पुष्टि की। सामने आया कि निर्धारित रकबे से परे जाकर बड़े पैमाने पर खनन हुआ है।
महत्वपूर्ण फाइलें गायब
जांच अधिकारी बताते हैं कि कई अहम फाइलें व दस्तावेज दफ्तरों से गायब थे। टीम ने अलग-अलग विभागों से जुटाए दस्तावेजों, सैटेलाइट डेटा और आईबीएम रिपोर्ट के जरिए गड़बड़ी को प्रमाणित किया। सुप्रीम कोर्ट के एक अहम फैसले (प्रफुल्ल सामंता बनाम भारत सरकार) के बाद प्रदेश में खदानों की सैटेलाइट मैपिंग शुरू की गई है। इससे अन्य जिलों में अवैध माइनिंग की परतें खुल सकती हैं।
यह तो शुरुआत, कई गड़बड़ियां बाकी: दीक्षित
व्हिसलब्लोअर मनु दीक्षित का कहना है कि सरकार ने फिलहाल सिर्फ अतिरिक्त खनन और जीएसटी चोरी की जांच पूरी की है। जबकि अवैध खनन, वन क्षेत्र में खनन, फॉरेस्ट रॉयल्टी में चोरी जैसी गड़बड़ियों पर जांच बाकी है। अगर इन मामलों में ईमानदारी से जांच हुई तो सिर्फ कटनी-जबलपुर क्षेत्र में अवैध खनन की राशि 8 से 10 हजार करोड़ तक पहुंच सकती है।
अभी प्लान व स्वीकृति की जांच
जांच दल ने यह भी स्पष्ट किया है कि अभी सिर्फ माइनिंग प्लान और पर्यावरणीय स्वीकृति की सीमाओं से बाहर हुए खनन की जांच हुई है। वन क्षेत्र और अन्य अवैध खनन की जांच अगला चरण में होगी. राजस्व वसूली की प्रक्रिया जबलपुर कलेक्टर के स्तर पर शुरू की जा रही है। कर चोरी से जुड़े हिस्से पर संबंधित विभाग अंतिम आंकलन के बाद कार्रवाई करेंगे।
प्रमुख सचिव ने नहीं की बात
इस मामले को. लेकर प्रमुख सचिव उमाकांत उमराव से फोन पर सम्पर्क करने का प्रयास किया, सन्देश भी भेजा, परन्तु उनकी ओर से कोई रिस्पांस नहीं मिला।