Bhopal: गौरव गृह निर्माण संस्था ने बिल्डर से सांठगांठ कर फर्जी सदस्य बनाकर करोड़ों की जमीन हड़पी, EOW की कार्रवाई

भोपाल। आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ (EOW) ने सहकारिता विभाग की मिलीभगत से संचालित गौरव गृह निर्माण सहकारी संस्था मर्यादित, भोपाल में करोड़ों के घोटाले का पर्दाफाश किया है। संस्था के तत्कालीन अध्यक्ष संतोष जैन, बिल्डर शुभालय विला के भागीदारों और सहकारिता विभाग के अधिकारियों सहित कई लोगों पर धोखाधड़ी, कूटरचना और षड्यंत्र के गंभीर आरोपों में FIR दर्ज की गई है।
आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ ने धारा 120बी, 420, 406, 467, 468 और 471 भादंवि के तहत यह मामला दर्ज किया है। जांच में खुलासा हुआ कि संस्था के अध्यक्ष संतोष जैन ने बिल्डर से सांठगांठ कर मूल संस्थापक सदस्यों को बाहर कर दिया, फर्जी सदस्य बनाए और पांच एकड़ से अधिक की संस्था की भूमि को अवैध रूप से बिल्डर के हवाले कर दिया।
बिना निविदा प्रक्रिया के बिल्डर से अनुबंध
जांच में पाया गया कि संतोष जैन ने 30 जून 2004 को मेसर्स शुभालय विला से अनुबंध किया, जबकि न तो किसी प्रकार की निविदा प्रक्रिया अपनाई गई और न ही आमसभा की स्वीकृति ली गई। अनुबंध के पहले तीन पन्ने कूटरचित (फर्जी) पाए गए, जिन पर किसी गवाह के हस्ताक्षर नहीं थे। संस्था की अधिकांश भूमि बिल्डर को दे दी गई और सिर्फ 44 भूखण्ड मूल सदस्यों के लिए छोड़े गए। इतना ही नहीं, भूखण्डों का आकार 2400 और 1500 वर्गफीट से घटाकर 1200 वर्गफीट कर दिया गया।
फर्जी कोटेशन और झूठे प्रस्तावों से बनाए दस्तावेजी जाल
EOW जांच में यह भी सामने आया कि किसी भी बिल्डर से वास्तविक कोटेशन नहीं मंगाए गए, बल्कि बाद में मंगलमय और प्रियदर्शनी बिल्डर्स के नाम से फर्जी कोटेशन तैयार कर फाइल में लगा दिए गए। संतोष जैन ने संस्था की आमसभा के प्रस्तावों में कूटरचना कर यह दर्शाया कि उन्हें बिल्डर से एग्रीमेंट करने की अनुमति मिली है, जबकि 18.06.2004, 22.05.2005 और 26.02.2006 को हुई सभाओं में ऐसा कोई प्रस्ताव था ही नहीं।
EOW की जांच में सहकारिता विभाग के तत्कालीन उपायुक्त बबलू सातनकर की भूमिका भी संदिग्ध पाई गई। उन्होंने संस्था की अनियमितताओं को नजरअंदाज किया और अपनी पत्नी सुनीता सातनकर के नाम भूखण्ड क्रमांक 07 की रजिस्ट्री करवाई। इससे यह साबित हुआ कि वे स्वयं इस अवैध लाभ में सहभागी थे। इसी तरह संस्था की तत्कालीन अध्यक्ष अनिता बिस्ट भट्ट ने भी संतोष जैन की फर्जी योजनाओं को समर्थन देते हुए अवैध बिक्री में सहयोग किया।