Bhopal : 17.37 करोड़ पर फिर गया पानी…! चीफ इंजीनियर, SDO समेत पांच अफसरों की गलती से बना त्रिकोण ब्रिज या राजनीतिक हस्तक्षेप..?

भोपाल। 17 करोड़ 37 लाख रुपये की लागत से बनाए गए ऐशबाग आरओबी के त्रिकोण मोड़ ने लोक निर्माण विभाग यानि पीडब्ल्यूडी के इंजीनियरों की काबिलियत पर सवाल खड़े कर दिए हैं। त्रिकोण मोड़ को विशेषज्ञ इंजीनियरिंग की सबसे बड़ी भूल मान रहे हैं। हैरत की बात यह है कि जिस आरओबी का निर्माण दो साल में किया जाना था, वह तीन साल में भी पूरी तरह बनकर तैयार नहीं हो सका और आरओबी के बनने से पहले ही ब्रिज की सबसे बड़ी खामी उजागर हो गई। इस बीच इसमें राजनीतिक हस्तक्षेप की बात भी सामने आ रही है।

पांच इंजीनियरों की निगरानी में बना त्रिकोण मोड़
चौंकाने वाली बात यह है कि पीडब्ल्यूडी ब्रिज सेक्शन के पांच इंजीनियरों की निगरानी में त्रिकोण मोड़ बना, लेकिन किसी ने भी इस पर आपत्ति नहीं ली। यह देखकर कहना गलत नहीं होगा कि पीडब्ल्यूडी के इंजीनियर काम के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति कर रहे थे।पीडब्ल्यूडी ब्रिज सेक्शन के चीफ इंजीनियर जीपी वर्मा, आरओबी के पूर्व एसडीओ रवि शुक्ला, वर्तमान एसडीओ रघुवंशी, कार्यपालन यंत्री जावेद शकील और सहायक यंत्री, यह पांच इंजीनियर इस प्रोजेक्ट को लीड कर रहे थे। जिनकी लापरवाही की वजह से देश का पहला आरओबी ऐशबाग होगा जिसका त्रिकोण मोड़ बनाया गया। हैरत की बात यह है कि गलती उजागर होने से पहले ही कार्यपालन यंत्री जावेद शकील का ट्रांसफर भोपाल से बाहर कर दिया गया है। वह भी तब जब कार्यपालन यंत्री के रिटायरमेंट में मात्र 10 माह शेष बचे हैं।

कई बार निरीक्षण, त्रिकोण मोड़ को लेकर कोई सवाल-जवाब नहीं
मजे की बात यह है कि जिस वक्त प्रोजेक्ट का काम चल रहा था तब मंत्री विश्वास सारंग ने कई बार निरीक्षण किया, लेकिन उन्होंने भी त्रिकोण मोड़ को लेकर अधिकारियों से कोई सवाल-जवाब नहीं किए. वहीं, पीडब्ल्यूडी के मंत्री राकेश सिंह ने इस प्रोजेक्ट का कभी मुआयना नहीं किया। कुल मिलाकर यह जिम्मेदार मंत्री और इंजीनियरों की लापरवाही से शहर की जनता के करोड़ों पर पानी फिर गया।

एसडीओ रवि शुक्ला लापरवाही के चलते निलंबित
एसडीओ रवि शुक्ला को डॉ. भीमराव आंबेडकर ब्रिज में लापरवाही के चलते निलंबित किया गया था। तब शुक्ला आरओबी का भी काम देख रहे थे। उनके स्थान पर वर्तमान में एसडीओ रघुवंशी इस प्रोजेक्ट का काम पिछले एक साल से देख रहे हैं।

मंत्री विश्वास सारंग ने दो माह पहले किया था निरीक्षण
मंत्री विश्वास सारंग यूं तो कई बार ऐशबाग आरओबी का निरीक्षण कर चुके हैं, लेकिन आखिरी बार उन्होंने दो महीने पहले निरीक्षण किया था। उस दौरान उन्होंने 15 जून तक प्रोजेक्ट का काम पूरा करने की हिदायत पीडब्ल्यूडी के इंजीनियरों को दी थी। लेकिन त्रिकोण मोड़ को लेकर उन्होंने अधिकारियों से कोई सवाल-जवाब नहीं किए। जबकि वो स्वयं इंजीनियर हैँ। चर्चा ये भी है कि मंत्री की जिद और हस्तक्षेप के कारण ही ये सब हुआ है। अब मंत्री पल्ला झाड़ रहे हैँ।

भोपाल में बना भ्रष्टाचार के समीकरण और समकोण का अद्वितीय स्मारक: उमंग सिंघार

नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने कहा – भोपाल में ऐशबाग स्टेडियम के पास बना 90 डिग्री वाला ओवरब्रिज केवल पुल नहीं बल्कि घोटालों का सेतु है। सिविल इंजीनियरिंग डिग्री-धारी माननीय मंत्री विश्वास सारंग जी की ‘विशेष देख-रेख’ में बने इस ‘नायाब नमूने’ को आज पूरा देश वास्तुकला और इंजीनियरिंग का चमत्कार मान रहा है। सोशल मीडिया पर पूरा देश भाजपा सरकार के विकास मॉडल को निहार रहा है।
मैं तकनीकी शिक्षा विभाग को सुझाव देता हूं कि इस ब्रिज को अपने पाठ्यक्रम में, एक केस स्टडी के रूप में शामिल करें ताकि इंजीनियर्स की आने वाली पीढ़ी भी जान सके कि जब घोटालों की बीम पर भ्रष्टाचार और कमीशन के कॉलम तान दिए जाते हैं तो ऐशबाग स्टेडियम ओवरब्रिज जैसे अजूबे जन्म लेते हैं।

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