भोपाल। मध्यप्रदेश के लोगों में खून की कमी है। स्थिति यह है कि 5 साल से छोटे हर 10 में से 5 बच्चे और हर 10 में से 3 महिलाएं एनीमिक हैं। इसकी पुष्टि एनीमिया मुक्त भारत कार्यक्रम 2025-26 के तहत प्रदेश भर में हुई स्क्रीनिंग की रिपोर्ट ने की है।
यह स्थिति इशारा करती है कि प्रदेशवासी कम पोषण और खराब खान-पान ले रहे हैं। हालांकि, एक राहत की बात यह है कि एनीमिया मुक्त भारत कार्यक्रम में देशभर में मध्यप्रदेश लगातार 6 माह से पहली रैंक हासिल किए हुए हैं। यानी, प्रदेश के हेल्थ वर्कर्स एनीमिक मरीजों की समय रहते पहचान और उन्हें जरूरी इलाज मुहैया करा रहे हैं।
सही विकास के लिए एनीमिक मुक्त होना जरूरी
एनीमिया मुक्त होने का अर्थ है कि बच्चों और महिलाओं के शरीर में हीमोग्लोबिन का स्तर सामान्य हो, जिससे उनका शारीरिक और मानसिक विकास बेहतर हो सके। यह कार्यक्रम मातृ एवं बाल स्वास्थ्य को सुदृढ़ करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल के रूप में स्थापित हुआ है।
MP में 70 लाख बच्चों और 9 लाख महिलाओं की स्क्रीनिंग
वर्तमान फाइनेंशियल ईयर 2025-26 के दौरान प्रदेश में दस्तक अभियान के प्रथम चरण का संचालन 22 जुलाई से 16 सितम्बर 2025 तक किया गया। इस दौरान 6 माह से 59 माह (पांच साल से छोटे) तक के कुल 70.62 लाख बच्चों में डिजिटल हीमोग्लोबिनोमीटर के माध्यम से हीमोग्लोबिन की जांच सुनिश्चित की गई।
