देवों के देव महादेव की पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. सोमवार, शिवरात्रि, महाशिवरात्रि के अलावा सावन के सभी दिन शिव पूजा के लिए उत्तम होते हैं. शिव जी सबसे आसानी से प्रसन्न होने वाले देव हैं, जो सबसे भोले हैं, इसलिए उनको भोलेनाथ कहते हैं. वे पशुओं के भी देवता हैं, इस वजह से वे पशुपति नाथ कहलाए. शिव जी के भक्त उनको कई नामों से पुकारते हैं. जो काल से भी परे हैं, वे महाकाल हैं, जो उज्जैन में निवास करते हैं. शिव अष्टोत्तर शतनामावली के अनुसार, शिव जी के 108 नाम बताए गए हैं. हर नाम का अर्थ विशेष है, जो उनके गुण और स्वरूप की व्याख्या करते हैं. आइए जानते हैं भगवान शिव के 108 नामों के बारे में.
भगवान शिव के 108 नाम और उनके अर्थ
1. शिव – कल्याणकारी, जो सभी का मंगल करते हैं.
2. महेश्वर – महान ईश्वर, सभी के स्वामी.
3. शंभु – सुख और आनंद देने वाले.
4. पिनाकी – जो पिनाक धनुष धारण करते हैं.
5. शशिशेखर – जिनके मस्तक पर चंद्रमा विराजमान है.
6. वामदेव – सुंदर और दयालु स्वरूप वाले.
7. विरूपाक्ष – विचित्र नेत्रों वाले.
8. कपर्दी – जटाजूट धारण करने वाले.
9. नीलकंठ – नीले कंठ वाले.
10. स्थाणु – स्थिर और अटल.
11. भक्तवत्सल – भक्तों के प्रति प्रेम रखने वाले.
12. भव – संसार के सृष्टिकर्ता.
13. सर्व – सर्वव्यापी, सभी कुछ.
14. त्रिलोचन – तीन नेत्रों वाले.
15. शितिकंठ – शीतल कंठ वाले.
16. शिवप्रिय – जो शिव को प्रिय हैं.
17. जटाधर – जटाएं धारण करने वाले.
18. कैलाशवासी – कैलाश पर्वत पर निवास करने वाले.
19. कपाली – जो कपाल धारण करते हैं.
20. कामारी – कामदेव का नाश करने वाले.
21. अंधकारिपु – अंधकार यानि अज्ञान के शत्रु.
22. गंगाधर – गंगा को जटाओं में धारण करने वाले.
23. ललाटाक्ष – मस्तक पर नेत्र वाले.
24. कालकाल – काल यानि मृत्यु के भी काल.
25. कृपानिधि – करुणा के भंडार.
26. भीम – भयंकर और शक्तिशाली.
27. परशुहस्त – हाथ में परशु धारण करने वाले.
28. मृगपाणि – जिनके हाथ में हिरण है.
29. जटिल – जटाधारी.
30. कैलाशपति – कैलाश के स्वामी.
31. कृत्तिवास – बाघ की खाल पहनने वाले.
32. पुराराति- पुर यानि त्रिपुर के शत्रु.
33. भगवान – सभी ऐश्वर्य के स्वामी.
34. प्रमथाधिप – गणों के स्वामी.
35. मृत्युंजय – मृत्यु को जीतने वाले.
36. सूक्ष्मतनु – सूक्ष्म शरीर वाले.
37. जगद्व्यापी – विश्व में व्याप्त.
38. जगद्गुरु – विश्व के गुरु.
39. व्यास – जो सभी को विस्तार देते हैं.
40. सर्वज्ञ – सर्वज्ञानी, सब कुछ जानने वाले.
41. विनय – विनम्रता के प्रतीक.
42. विश्वनाथ – विश्व के स्वामी.
43. वृषभ – नंदी के स्वामी.
44. वृषध्वज – बैल के चिह्न वाला ध्वज रखने वाले.
45. सुरवन्दित – देवताओं द्वारा पूजित.
46. सिद्धनाथ – सिद्धियों के स्वामी.
47. सिद्धिद – सिद्धियां देने वाले.
48. सर्वद – सभी कुछ देने वाले.
49. शर्व – सभी का संहार करने वाले.
50. श्रीकंठ – सुंदर कंठ वाले.
51. शितकंठ – शीतल कंठ वाले.
52. कपिलमुनि – कपिल मुनि के स्वरूप.
53. आयुर्द – आयु देने वाले.
54. आदिदेव – प्रथम देवता.
55. महादेव – देवों के देव.
56. नन्दीश्वर – नंदी के स्वामी.
57. नागभूषण – सर्पों से सुशोभित.
58. निकुंभ – दुष्टों का नाश करने वाले.
59. सनातन – अनादि और अनंत.
60. अनन्तदृष्टि – अनंत दृष्टि वाले.
61. आनन्द – आनंद देने वाले.
62. धूर्जटि – भारी जटाओं वाले.
63. चन्द्रमौलि – चंद्रमा को मस्तक पर धारण करने वाले.
64. नित्य – शाश्वत और अनश्वर.
65. निराधार – बिना किसी आधार के स्वयंभू.
66. निराकार – बिना आकार के.
67. आदिकर्ता – प्रथम सृष्टिकर्ता.
68. नागेन्द्र – सर्पों के स्वामी.
69. अभयंकर – भय का नाश करने वाले.
70. पशुपति – सभी प्राणियों के स्वामी.
71. दक्षाध्वरहर – दक्ष के यज्ञ का नाश करने वाले.
72. हर- पापों का हरण करने वाले.
73. भुजंगभूषण – सर्पों से अलंकृत.
74. भर्ग – भय को नष्ट करने वाले.
75. गिरीश – पर्वतों के स्वामी.
76. गिरिशाय – पर्वत पर निवास करने वाले.
77. जगन्नाथ – विश्व के स्वामी.
78. कुबेरमित्र – कुबेर के मित्र.
79. मृत्युंजय – मृत्यु पर विजय पाने वाले.
80. कृत्तिवास – बाघ की खाल धारण करने वाले.
81. पुराराति – त्रिपुरासुर के शत्रु.
82. नित्यसुन्दर – सदा सुंदर.
83. महायोगी – महान योगी.
84. महेश – महान ईश्वर.
85. चराचरगुरु – चर और अचर के गुरु.
86. ईशान – उत्तर दिशा के स्वामी.
87. सहस्राक्ष – हजार नेत्रों वाले.
88. सहस्रपाद – हजार पैरों वाले.
89. अपवर्गप्रद – मोक्ष देने वाले.
90. अनघ – पापरहित.
91. सदा शिव – सदा कल्याणकारी.
92. अनन्त – अनंत स्वरूप.
93. शान्त – शांत स्वरूप.
94. सर्वज्ञ – सब कुछ जानने वाले.
95. परमात्मा – सर्वोच्च आत्मा.
96. सोमसुन्दर – चंद्रमा के समान सुंदर.
97. सुरेश्वर – देवताओं के स्वामी.
98. महासेन – महान सेना के स्वामी.
99. वेदकर्ता – वेदों के रचयिता.
100. वरद – वरदान देने वाले.
101. विश्वेश्वर – विश्व के ईश्वर.
102. त्र्यम्बक – तीन नेत्रों वाले.
103. विश्वरूप – विश्व के स्वरूप.
104. वीरभद्र – वीरभद्र के स्वामी.
105. विशालाक्ष – विशाल नेत्रों वाले.
106. वृषांक – बैल के चिह्न वाले.
107. वृषवाहन – बैल पर सवारी करने वाले.
108. अहिर्बुध्न्य – सर्पों के आधार वाले.