Editorial
अथर्व और अविर्भव…एक रियलिटी शो के दो रियल हीरो…

सामान्य तौर पर रियलिटी शो में परिणामों को लेकर स्वीकार्यता कम ही होती रही है। और उसकी आलोचनाएं भी होती रही हैं। परंतु सोनी टीवी पर चल रहे रियलिटी शो सुपर स्टार सिंगर ने शायद इसमें नया अध्याय जोड़ा है। इस शो की खास बात यह रही कि एक साथ पौन दर्जन बच्चों को फायनल तक पहुंचाया गया और इनमें से कोई बच्चा ऐसा नहीं था, जो इस काबिल नहीं हो। सबसे आश्चर्यजनक रहा सात साल का अविर्भव, जिसने यहां आकर थोड़ी बहुत हिंदी सीखी, लेकिन गाने में कहीं भी उच्चारण से लेकर भावों की अभिव्यक्ति तक में उसने करोड़ों लोगों का दिल जीत लिया।
कल रात जब केरल के अविर्भव एस और झारखंड के अथर्व बख्शी को सुपरस्टार सिंगर 3 का विजेता घोषित किया गया, तो शायद ही कोई ऐसा होगा, जो इससे असहमत दिखा हो। अथर्व बख्शी ने शुरुआती दौर से अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन कर दिया था। जिस तरह अथर्व के कैप्टन पवनदीप ने जब इंडियन आइडल जीता था, तो शुरुआती दौर से ही सबके चहेते बन गए थे, वही हाल यहां अथर्व का रहा। 
एक और खास बात इस शो की यह रही पहली बार इस रियलिटी शो के दो विनर निकले। ट्रॉफी के अलावा, यंग चैंपियंस को 10-10 लाख रुपये से सम्मानित किया गया। ऑडिशन से ही, हजारीबाग के 12 वर्षीय अथर्व बक्शी ने अपनी परफॉर्मेंस से सभी को चौंकाया था। बता दें कि सुपर जज नेहा कक्कड़ ने उनकी तुलना अरिजीत सिंह से की थी और महान संगीतकार लक्ष्मीकांत उनकी गायकी से प्रभावित हुए थे। एक एपिसोड के दौरान, विद्या बालन ने अथर्व को प्लेबैक का मौका देने के लिए अपने पति सिद्धार्थ रॉय कपूर को भी बुलाया था।
हालांकि, अथर्व के लिए सबसे बड़ी उपलब्धि यह है कि कैसे उनके पिता, जो कभी नहीं चाहते थे कि वह संगीत में आगे बढ़े, अब उनके ट्रॉफी उठाने पर गर्व से भर गए हैं।
दूसरी ओर, कोच्चि के 7 साल के यंग चैंप अविर्भव एस ने उदित नारायण और गीता कपूर जैसे मेहमानों को अपने गाने से चौंका दिया। उन्होंने शुरू से ही हर किसी का दिल जीता है। चाहे ओ साथी रे हो, या और इस दिल में क्या रखा है, या फिर ब्रेदलेस गाना, जरा से बच्चे ने सबका मन मोह लिया। उसके गाने में एक अजीब सा आकर्षण लगता रहा।
सुपरस्टार सिंगर 3 जीतने पर, अथर्व बक्शी ने एक बयान में कहा, यह एक सपने के सच होने जैसा लगता है। मैं अपने परिवार को उनके अटूट समर्थन और प्यार के लिए धन्यवाद देना चाहता हूं। मैं अपने गुरु पवनदीप भैया का भी आभारी हूं जिन्होंने मुझ पर विश्वास किया और हर गुजरते दिन के साथ एक बेहतर कलाकार बनने के लिए मेरा मार्गदर्शन किया।
अविर्भव एस ने कहा, मुझे अभी भी विश्वास नहीं हो रहा है कि मैं जीत गया हूं। मैं नेहा कक्कड़ मैम, अरुणिता दी और उन सभी को धन्यवाद कहना चाहता हूं जिन्होंने मेरा समर्थन किया। मैं कड़ी मेहनत करते रहने और आप सभी को गौरवान्वित करने का वादा करता हूं। मुझे बड़े होकर अरिजीत सिंह जैसा बनना है। नेहा कक्कड़ शो की सुपर जज थीं, अरुणिता कांजीलाल, पवनदीप राजन, मोहम्मद दानिश, सयाली कांबले और सलमान अली ने इन बच्चों के लिए सलाहकार के रूप में काम किया।
और इस शो की सबसे खास बात यह रही कि शुरुआती दौर से ही न तो कैप्टन्स में और न ही बच्चों में, प्रतिस्पर्धा की भावना कहीं नहीं दिखाई दी। एकजुटता के साथ ही एक-दूसरे से जिस तरह से ये बच्चे जुड़े रहे, वो आज के माहौल में एक बड़ी मिसाल कही जा सकती है। अंतिम एपीसोड में अविर्भव की पार्टनर रही जरा सी बिटिया पीहू ने तो सबको रुला ही दिया। दोनों बच्चों में केवल गाने के दौरान ही गजब बांडिंग नहीं दिखती थी, वास्तव में उनके बीच एक अटूट रिश्ता सा बन गया था। उसने रोते हुए जिस तरह अपनी भावनाओं को व्यक्त किया, वह वास्तविकता थी। वह नासमझ उम्र का लगाव था, जो साथ रहकर हो जाता है।
कुल मिलाकर शायद यह पहला शो हो सकता है, जिसने शुरू से ही बांधे रखा। नये आयाम स्थापित किए और परिणाम भी वही आए, जिनकी लोगों ने उम्मीद की थी। और एक संदेश दिया, मिलजुलकर रहने का। एक-दूसरे को सपोर्ट करते हुए अपनी प्रतिभा उभारने का। और क्या चाहिए। इस तरह के शो यदि हों, तो उन्हें बढ़ावा मिलना चाहिए। प्रतिभा उभारने के ऐसे मंच हमें विश्व स्तर के बच्चों की नई पीढ़ी दे सकते हैं।
– संजय सक्सेना

Sanjay Saxena

BSc. बायोलॉजी और समाजशास्त्र से एमए, 1985 से पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय , मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के दैनिक अखबारों में रिपोर्टर और संपादक के रूप में कार्य कर रहे हैं। आरटीआई, पर्यावरण, आर्थिक सामाजिक, स्वास्थ्य, योग, जैसे विषयों पर लेखन। राजनीतिक समाचार और राजनीतिक विश्लेषण , समीक्षा, चुनाव विश्लेषण, पॉलिटिकल कंसल्टेंसी में विशेषज्ञता। समाज सेवा में रुचि। लोकहित की महत्वपूर्ण जानकारी जुटाना और उस जानकारी को समाचार के रूप प्रस्तुत करना। वर्तमान में डिजिटल और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया से जुड़े। राजनीतिक सूचनाओं में रुचि और संदर्भ रखने के सतत प्रयास।

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