संपादकीय …जवान का बॉक्स आफिस पर गदर… सशक्त संदेश…सामयिक मुद्दों को लेकर प्रहार…!
बड़े परदे पर अचानक धूम मचना शुरू हो गई है। कुछ फिल्मों के बाद हाल में आई गदर ने गदर मचा दिया तो अब चर्चा शुरू हो गई है शाहरुख खान की फिल्म जवान की। कहा जा रहा है कि फिल्म जवान कोई एक कहानी नहीं है, अपितु कई छोटे-छोटे मुद्दों को एक पैकेज के रूप में पेश किया गया है। इसमें भ्रष्टाचार समेत ऐसे कई मुद्दे शामिल किए गए हैं, जिन पर कायदे से चुनाव होना चाहिए, लेकिन उन्हें गायब किया जा रहा है। और शायद इसी कारण इस फिल्म का राजनीतिक विश्लेषण किया जा रहा है।
फिल्म जवान में दिखाया गया है कि कैसे सरकार कुछ खास कारोबारियों के लाखों करोड़ रुपए के लोन माफ कर देती है। दूसरी तरफ गरीब किसानों को कुछ हजार रुपए के लोन के लिए परेशान किया जाता है। बैंक वाले लोन देने में भी भेदभाव करते हैं। एक करोड़पति को ऑडी जैसी कार के लिए मात्र 8 प्रतिशत ब्याज पर लोन मिल जाता है, जबकि किसान को ट्रैक्टर खरीदने के लिए 13 प्रतिशत की दर से लोन लेना पड़ता है। फिल्म में साउथ सिनेमा के सुपरस्टार विजय सेतुपति का किरदार मशहूर कारोबारी विजय माल्या से प्रेरित बताया जा रहा है, जिसका 40 हजार करोड़ का लोन सरकार के द्वारा माफ कर दिया जाता है। हाल ही में कई अमीरों के बड़े कर्ज माफ किए जाने की खबरें चर्चाओं में रही हैं।
कर्ज में डूबे किसानों और सरकारी अस्पतालों की दुर्दशा दिखाती फिल्म में इन समस्याओं का हल हिंसा के जरिए दिखाया गया है। किसान पर फिल्म में खास फोकस किया गया है। कई साल से सुनने को हमें मिल रहा है कि कर्जे तले दबे किसान आत्महत्या कर रहे हैं, लेकिन उनकी मदद के लिए कोई आगे नहीं आया। वहीं इन सबके पीछे सिस्टम कसूरवार दिखाया गया है। जवान फिल्म की कहानी के मुताबिक आजाद (शाहरुख खान) महिला जेल का जेलर है लेकिन वह अपनी पहचान छिपाकर आम पब्लिक के लिए सिस्टम से लड़ता है। इस सब में जेल में झूठे इल्जामों में कैद छह लड़कियों की टीम उसकी मदद करती है। उससे निपटने के लिए सरकार स्पेशल फोर्स की चीफ नर्मदा राय (नयनतारा) को भेजती है। लेकिन वह भी आजाद को नहीं रोक पाती। उलटे आजाद प्यार में धोखा खा चुकी नर्मदा से शादी करके उसे भी अपने मिशन में शामिल कर लेता है।
जवान में शुरु से आखिर तक ऐसे मुद्दे उठाए गए हैं, जो सामान्य जिंदगी से जुड़े तो हैं, लेकिन कभी इन पर लोग बात करते हुए नजर नहीं आते हैं। दूसरा फिल्म का फोकस एक आर्मी ऑफिसर या जवान पर है, जो देश के लिए मर मिटने को तैयार है। लेकिन धोखा और फरेब के कारण उनकी जान या तो सीमा पर जाती है या वह देशद्रोही करार कर दिए जाते हैं। पर अंत में फिल्म का नायक आपके एक वोट की कीमत भी समझाता है। फिल्म के समीक्षकों का कहना है कि इन मुद्दों पर शाहरुख खान लोगों का ध्यान अपनी तरफ खींचने में कामयाब हुए हैं।
बाक्स आफिस की बात करें तो जवान ने बॉक्स ऑफिस पर अपने पहले तीन दिनों में अच्छा प्रदर्शन किया और भारत में 206.06 करोड़ की कमाई की। चौथे दिन सभी भाषाओं में (शुरुआती अनुमान) 82.00 करोड़ की भारतीय कमाई की। यानी भारत में अब तक शाहरुख खान की फिल्म 287.06 करोड़ का बिजनेस कर चुकी है। रविवार, 10 सितंबर, 2023 को जवान की कुल हिंदी ऑक्यूपेंसी 70.77 प्रतिशत थी। दावा किया जा रहा है कि जवान ने केवल चार दिनों में चार बड़े रिकॉर्ड को ध्वस्त कर दिया है। ये बॉलीवुड की पहली फिल्म है, जिसने रिलीज के पहले दिन 75 करोड़ की कमाई की। पहले तीन दिनों (206 करोड़) में सबसे ज्यादा कमाने वाली फिल्म बनी, इससे पहले यह रिकॉर्ड पठान (166.5 करोड़) के पास था। जवान साउथ में तीन दिनों में सबसे ज्यादा कमाई करने वाली पहली बॉलीवुड फिल्म भी बन गई। विश्व स्तर पर कलेक्शन में भी सबसे आगे रही और तीन दिन में 375 करोड़ कमा चुकी है।
बाक्स आफिस पर सफलतम मानी जा रही फिल्म की आलोचना भी शुरू हो गई है। लोग आपत्ति उठाने लगे हैं कि शाहरुख के साथ बीच में जो घटनाएं हुईं, उनका बदला इसमें लिया जा रहा है। यानि सिस्टम पर सवाल उठाए जा रहे हैं, इससे कुछ लोगों को आपत्ति है। परंतु दूसरी ओर युवा वर्ग को ये फिल्म केवल शाहरुख के स्टारडम के लिए पसंद नहीं आ रही है। हमने भी जब युवाओं से बात की, तो उनका कहना था कि इसमें सिस्टम का सही रूप दिखाया गया है। हमारे बीच की वो समस्याएं उठाई हैं, जो दिखावटी प्रचार तंत्र में दबती जा रही हैं।
साहित्य और फिल्म आज नहीं, शुरू से ही संदेश देने का सशक्त माध्यम बनते आ रहे हैं। बीच में संक्रमण काल आता रहता है। परंतु कहीं न कहीं जो आवाजें घुट कर रह जाती हैं, कई बार वो साहित्य और फिल्मों के माध्यम से उभरने लगती हैं। यही समाज की खूबी है। फिल्मों के माध्यम से पहले भी सामाजिक बुराइयों को सामने लाया गया। आज फिल्में कई मंच पर आ रही हैं, लेकिन बड़े परदे की फिल्म का अपना महत्व शायद आज भी कायम है। ऐसे में यदि जवान फिल्म के संदेश पर नजर दौड़ाई जाए, तो समाज के एक बहुत बड़े तबके की समस्याओं और उसके मुद्दों को इसके माध्यम से परोसा गया है। यही इसकी सफलता भी कही जा सकती है, क्योंकि यह दर्शकों को मुद्दों के सहारे खींच रही है।
– संजय सक्सेना
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