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विसर्जन के वक्त विस्तार: कमलनाथ….प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री श्री कमलनाथ का बयान

भोपाल। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री श्री कमलनाथ ने आज जारी एक बयान में कहा है कि हमारी संस्कृति में मान्यता है कि प्रतिमाएँ खंडित हो जाएँ तो उन्हें विसर्जित किया जाता है, और जब आकंठ भ्रष्टाचार में चूर होकर सत्ता चकनाचूर हो गई हो तो उसे अनिवार्य रूप से बगैर वक्त गँवाए विसर्जित कर दिया जाना चाहिए। अब जब भाजपा की सत्ता के विसर्जित होने का वक्त आ गया है, तब विस्तार किया जा रहा है। यह मंत्रिमंडल का नहीं, 50 प्रतिशत कमीशन के बँटवारे का विस्तार है। 

कमलनाथ ने कहा कि विडंबना देखिए, भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व यह स्वीकारने को तैयार नहीं है कि इस चुनाव का चेहरा शिवराज जी होंगे, क्योंकि उसे भाजपाई सत्ता के खिलाफ़ प्रदेश भर में व्याप्त जनता की नाराजगी का आभास हो गया है। अर्थात जब स्वयं भाजपा का नेतृत्व अपने नेता को नहीं स्वीकार रहा तब जनता कैसे स्वीकारेगी।

 श्री कमलनाथ ने कहा कि यही वजह है कि मुख्यमंत्री जी अपनी हार सामने देख बेमन से आजकल अपरिपक्व निर्णय ले रहे हैं तथा दिल पर पत्थर रखकर मुँह पर मेकअप कर रहे है। अब मंत्री मंडल विस्तार को ही लीजिए, जिस गुटीय राजनीति की वजह से शिवराज जी जिन्हे पसंद नहीं करते थे, उन्हें मंत्रिमंडल में शामिल करना पड़ रहा है।

 श्री कमलनाथ ने कहा कि कहते हैं कि दीपक बुझने वाला हो तो उसकी लौ अधिक तेज हो जाती है और वह फड़फड़ाने लगती है। भाजपाई सत्ता का स्वरूप भी कुछ वैसा ही है। उन्होंने कहा कि जब सत्ता जाने वाली है तो खोखली घोषणाओं की भरमार आ गई है और बताया जाता है कि मुख्यमंत्री जी ने फरमान सुनाया है कि घोषणाएं मूर्त रूप ले पाएँ या न ले पाएँ, चुनावों को देखते हुए घोषणाओं की प्रशासकीय स्वीकृति तो दे ही दी जाए। 

 श्री कमलनाथ ने एक और कहावत का जिक्र करते हुये कहा कि अधपका खाना हाजमा ख़राब करता है, वही हाल जिले बनाने की घोषणाओं का है। बग़ैर पूर्व तैयारी के मुख्यमंत्री जी घोषणाएं किए जा रहे हैं। न नए जिलों के अधोसंरचना विकास का कोई खाका खींचा, न प्रशासनिक सरंचना का। हम सरकार बनाते ही नए जिलों को नियोजित रूप से आकार देंगे।

 श्री कमलनाथ ने अंत में अपने बयान में कहा कि भाजपाई सत्ता की विकृतियों ने लोकलाज की सारी हदें पार कर यह जता दिया है कि अब ये जन सरोकार की नहीं, 50 प्रतिशत के धन सरोकार की सरकार है, जो अपनी सम्मानजनक नहीं अपमानजनक विदाई चाहती है। 

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