Success Story of  jayshree :भारत की सबसे अमीर सीईओ, दौलत के मामले में आसपास भी नहीं सुंदर पिचाई और सत्या नडेला

जब भी हम दुनिया के सबसे अमीर भारतीय सीईओ की बात करते है, तो दिमाग में सुंदर पिचाई या सत्या नडेला का नाम सबसे पहले आता है. ये वो लोग हैं, जिन्होंने अपनी मेहनत और दिमाग के दम पर दुनिया की सबसे बड़ी कंपनियों को ऊंचाइयों पर पहुचाया है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि एक ऐसी भारतीय महिला भी है, जिनकी दौलत सुंदर पिचाई और सत्या नडेला से भी कहीं ज्यादा है? ये रकम इतनी बड़ी है कि सुंदर पिचाई जैसे कई सीईओ की दौलत इसमें समा जाए. जी हां, ये बात एकदम सही है. हम बात कर रहे हैं जयश्री उल्लाल की. आज जयश्री उल्लाल की नेटवर्थ 50,000 करोड़ रुपये से भी ज्यादा है. दिल्ली की गलियों से निकलकर अमेरिका के सिलिकॉन वैली में अपना लोहा मनवाने वाली जयश्री उल्लाल हैं कौन? और उन्होंने इतना बड़ा मुकाम कैसे पाया?

जयश्री का जन्म 1961 में लंदन में हुआ था, लेकिन उनकी जड़ें तो भारत में ही थीं. जड़ें ही नहीं, दिल भी भारत में ही था. उनके पिता एक सफल इंसान थे और काम के सिलसिले में परिवार दिल्ली आ गया. जयश्री की पढ़ाई दिल्ली के ‘कॉन्वेंट ऑफ जीसस एंड मैरी’ स्कूल में हुई. वो एक आम लड़की की तरह ही बड़ी हुई, जिसका पढ़ाई में मन लगता था और सपने आसमान को छूने के थे. उस दौर में लड़कियों के लिए इंजीनियरिंग जैसी पढ़ाई करना बहुत बड़ी बात मानी जाती थी, लेकिन जयश्री के मन में कुछ अलग करने की ठान ली थी.

दिल्ली की उन यादों में जयश्री को आज भी वो सादगी और मेहनत याद आती है, जो उन्होंने अपने घर और स्कूल में देखी थी. मिडिल क्लास माहौल में पली-बड़ी जयश्री को बचपन से ही ये सिखाया गया था कि अगर आगे बढ़ना है तो पढ़ाई और काबिलियत ही सबसे बड़ा हथियार है. स्कूल खत्म करने के बाद, जब उनके सामने करियर चुनने का वक्त आया, तो उन्होंने इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग को चुना. मतलब वे बिजली और मशीनों की दुनिया में एंट्री कर चुकी थीं. इसी सपने को लेकर वो अमेरिका चली गईं और वहा की सैन फ्रांसिस्को स्टेट यूनिवर्सिटी में दाखिला ले लिया.

अमेरिका पहुंचना जयश्री के लिए एक बड़ा बदलाव था. वहां वह अकेली थीं, लेकिन उनके पास पक्का इरादा था. इंजीनियरिंग की पढ़ाई के दौरान उन्होंने महसूस किया कि टेक की दुनिया में महिलाओं की गिनती बहुत कम है. पर इससे वह डरी नहीं, बल्कि उन्होंने इसे एक मौके की तरह देखा. पढ़ाई खत्म करने के बाद उन्होंने फेयरचाइल्ड सेमीकंडक्टर और AMD जैसी बड़ी कंपनियों में काम किया. वहां उन्होंने कंप्यूटर के चिप्स बनाने का काम सीखा. यह वह दौर था जब कंप्यूटर की दुनिया धीरे-धीरे बदल रही थी और जयश्री इस बदलाव का हिस्सा बन रही थीं.

उनकी जिंदगी में सबसे बड़ा मोड़ तब आया जब वह क्रेसेंडो कम्युनिकेशंस नाम की एक छोटी-सी कंपनी से जुड़ीं. उस समय यह कंपनी बहुत छोटी थी, लेकिन जयश्री को वहां के काम में कुछ खास लगा. वह वहां मार्केटिंग की वाइस प्रेसिडेंट बनीं. उन्होंने देखा कि कैसे इंटरनेट की दुनिया को जोड़ने के लिए बड़ी-बड़ी मशीनों और तारों की जरूरत होती है. 1993 में मशहूर कंपनी ‘सिस्को’ ने उनकी छोटी-सी कंपनी को खरीद लिया.

सिस्को का 15 अरब डॉलर का बिजनेस
यहीं से जयश्री की असली उड़ान शुरू हुई. सिस्को में आने के बाद उन्हें एक बड़ी जिम्मेदारी मिली. उन्हें एक ऐसा बिजनेस खड़ा करना था जो कंप्यूटर नेटवर्किंग में क्रांति ला सके. उन्होंने 15 साल सिस्को में बिताए. यह वह समय था जब जयश्री ने दिन-रात एक कर दिए. उनकी लीडरशिप में सिस्को का नेटवर्किंग बिजनेस करोड़ों से बढ़कर अरबों डॉलर का हो गया. वह सिस्को में सीनियर वाइस प्रेसिडेंट के पद तक पहुंचीं. उनके हाथ में 15 अरब डॉलर का काम था. हर कोई उनकी काबिलियत का कायल था.

लेकिन जयश्री को लगा कि अब कुछ अपना करने या फिर किसी नई चुनौती को लेने का वक्त आ गया है. 2008 में उन्होंने सिस्को जैसी दुनिया की सबसे बड़ी कंपनी की नौकरी छोड़ दी. यह एक बहुत बड़ा रिस्क था. उनके परिवार और दोस्तों को लगा कि वह ऐसा क्यों कर रही हैं? लेकिन जयश्री के दिमाग में कुछ और ही चल रहा था. वह अरिस्टा नेटवर्क्स (Arista Networks) नाम के एक स्टार्टअप से जुड़ गईं, जो उस समय महज 4 साल पुराना था.

अरिस्टा नेटवर्क्स से मिली असली दौलत!
अरिस्टा की शुरुआत एक छोटे-से कमरे और मुट्ठी भर लोगों के साथ हुई थी. वहां काम करना सिस्को जैसे महल में रहने जैसा नहीं था. वहां चुनौतियां हर कदम पर थीं. बड़ी कंपनियों से मुकाबला था और बाजार में अपनी जगह बनानी थी. जयश्री ने वहां सीईओ का पद संभाला. उन्होंने अपनी पूरी जमा-पूंजी और अनुभव इस कंपनी में लगा दिया.

अब सवाल यह आता है कि यह कंपनी आखिर करती क्या है? इसे बहुत ही आसान भाषा में समझते हैं. जैसे हमारे शहरों में गाड़ियों के चलने के लिए सड़कों और ट्रैफिक पुलिस की जरूरत होती है, वैसे ही इंटरनेट की दुनिया में डेटा को एक जगह से दूसरी जगह भेजने के लिए स्विच और राउटर की जरूरत होती है. अरिस्टा नेटवर्क्स इन्हीं चीजों को बनाने का काम करती है. बड़े-बड़े डेटा सेंटर, जैसे गूगल या फेसबुक के पास जो हजारों कंप्यूटर होते हैं, उन्हें आपस में जोड़ने का काम जयश्री की कंपनी की मशीनें करती हैं.

जयश्री ने अरिस्टा को सिर्फ एक हार्डवेयर कंपनी नहीं बनाया, बल्कि उन्होंने इसे सॉफ्टवेयर की ताकत दी. उन्होंने क्लाउड नेटवर्किंग पर ध्यान दिया. धीरे-धीरे बड़ी-बड़ी टेक कंपनियां अरिस्टा के पास आने लगीं. जयश्री की लीडरशिप का ही जादू था कि 2014 में कंपनी का आईपीओ आया और वह शेयर बाजार में लिस्ट हुई. इसके बाद अरिस्टा ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. आज यह कंपनी दुनिया की सबसे सफल नेटवर्किंग कंपनियों में से एक है.

हुरुन इंडिया रिच लिस्ट में आया नाम
2025 की हुरुन इंडिया रिच लिस्ट ने जब आंकड़े जारी किए तो हर कोई हैरान रह गया. इस लिस्ट में जयश्री उल्लाल को भारत की सबसे अमीर प्रोफेशनल मैनेजर बताया गया. उनकी कुल संपत्ति 50,170 करोड़ रुपये आंकी गई. इसकी तुलना में माइक्रोसॉफ्ट के सत्या नडेला की संपत्ति करीब 9,770 करोड़ रुपये और गूगल के सुंदर पिचाई की संपत्ति 5,810 करोड़ रुपये के आसपास है. यानी जयश्री की दौलत इन दोनों दिग्गज सीईओ से कहीं ज्यादा है.

यह कामयाबी इसलिए भी खास है क्योंकि जयश्री ने इसे किसी विरासत में नहीं पाया. उन्होंने एक प्रोफेशनल की तरह काम किया और कंपनी की शेयरहोल्डर बनकर अपनी संपत्ति बनाई. आज वह सैन फ्रांसिस्को में रहती हैं, लेकिन उनकी बातों में आज भी वही सादगी दिखती है जो दिल्ली की एक लड़की में होती है. वह कहती हैं कि कामयाबी का कोई छोटा रास्ता नहीं होता, आपको बस अपनी काबिलियत पर भरोसा करना होता है और सही वक्त पर सही रिस्क लेना पड़ता है.

Sanjay Saxena

BSc. बायोलॉजी और समाजशास्त्र से एमए, 1985 से पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय , मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के दैनिक अखबारों में रिपोर्टर और संपादक के रूप में कार्य कर रहे हैं। आरटीआई, पर्यावरण, आर्थिक सामाजिक, स्वास्थ्य, योग, जैसे विषयों पर लेखन। राजनीतिक समाचार और राजनीतिक विश्लेषण , समीक्षा, चुनाव विश्लेषण, पॉलिटिकल कंसल्टेंसी में विशेषज्ञता। समाज सेवा में रुचि। लोकहित की महत्वपूर्ण जानकारी जुटाना और उस जानकारी को समाचार के रूप प्रस्तुत करना। वर्तमान में डिजिटल और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया से जुड़े। राजनीतिक सूचनाओं में रुचि और संदर्भ रखने के सतत प्रयास।

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