MP: एक कारोबारी के सवाल पर मंत्री सिलावट प्रेस कांफ्रेंस छोड़ कर चले गए…मामला एक कंपनी हड़पने का…
इन्दौर। कन्केक्शनरी कारोबार संजय जैसवानी ( Sanjay Jaiswani ) के साथ अपने रिश्तों के लेकर निशाने पर आए मंत्री तुलसीराम सिलावट ( Tulsiram Silawat ) ने बीजेपी दफ्तर में सोमवार को हुई प्रेस कांफ्रेंस ही बीच में छोड़ दी। उनसे जब पूछा गया कि कारोबारी संजय जैसवानी को बचाने के आरोप आप पर लग रहे हैं तो उन्होंने दस सेकंड में जवाब दिया, माइक बंद कर खड़े हुए और चले गए।
कन्फेक्शनरी कारोबारी जैसवानी और तुलसीराम सिलावट के आपसी गहरे संबंध है। इस ग्रुप की सकाना भारत ट्वाय कैंडी प्रालि कंपनी में उनके करीबी नौशाद के रिश्तेदार सम्मान अफरोज खान और इरफान अली सैय्यद ऑन रिकार्ड डायरेक्टर है। इसी के साथ ही ग्रुप की एक अन्य कंपनी सिविल सप्लाय प्रालि में तो उनके बेटे नितीश सिलावट जो चिंटू के नाम से पहचान रखते हैं।
वह ऑन रिकार्ड डायेरक्टर रहे हैं, बाद में उनका इस्तीफा दिया। इसी कंपनी में चिंटू के साथ ईडी और सीबीआई में मोस्ट वांटेड सटोरिया अमित सोनी उर्फ सांवेर भी डायरेक्टर रहा है, जो अब देश से भाग कर अन्य जगह सैटल हो गया है।
संजय जैसवानी केम्को ग्रुप कन्फेक्शनरी ग्रुप के मालिक है। उन्होंने 11 सितंबर को अपने ही सीए निशिथ नाहर को बंधक बनाकर मारा-पीटा। उन पर आरोप लगाए कि कंपनी में करोड़ों की धोखाधड़ी की है। इसके बाद सीए एसोसिएशन ने 13 सितंबर को उनके खिलाफ पुलिस को शिकायत की।
इसके बाद रात को जैसवानी और उनके गार्ड जय के खिलाफ पुलिस ने लसूडिया थाने में केस दर्ज किया। वहीं इसी दौरान जैसवानी ने जीआरवी बिस्किट के मालिक और रश्यिन नागरिक गौरव अहलावत को भी उनके घर में बंधक बनाया। लैपटॉप, मोबाइल सभी ले लिए, साथ ही उनकी फैक्टरी के 75 फीसदी शेयर अपने पास फर्जी तरीके से शिफ्ट कर पूरी फैक्टरी और कंपनी पर कब्जा कर लिया।
साथ ही उनके भतीजे क्रिश ने फैक्टरी में जाकर सर्वर, कम्प्यूटर सभी चुराकर अपने कब्जे में ले लिया। उसी दौरान जीआरवी बिस्किट के अकाउंटेंट विजय को भी उनके घर में बंधक बना दिया गया। इस तरह जैसवानी ने 11 और 12 सितंबर के दौरान करीब 150 करोड़ के टर्नओवर वाली कंपनी जीआरवी बिस्किट को अपने कब्जे में ले लिया।
इसी के फर्जी कागज बनाने और दूसरे खेल करने के लिए सीए निशिथ को भी बंधक बनाकर मारपीट कर यह काम कराने के आरोप भी जैसवानी पर है। इन गंभीर मामलों के बाद भी अभी तक जैसवानी पर कोई कड़ी कार्रवाई नहीं हुई है। इसके लिए आरोप लग रहे हैं कि सिलावट के हस्तक्षेप के कारण ही पुलिस जैसवानी पर हाथ डालने से बच रही है।