LIC पर अडाणी-ग्रुप में 33 हजार करोड़ के निवेश का आरोप, कांग्रेस बोली-30 करोड़ लोगों की कमाई का गलत इस्तेमाल किया

नई दिल्ली। गौतम अडाणी के अडाणी ग्रुप में LIC ने 3.9 अरब डॉलर यानी करीब 33 हजार करोड़ रुपए का निवेश किया। कांग्रेस ने सरकार पर आरोप लगाया है कि उन्होंने 30 करोड़ ग्राहकों की मेहनत की कमाई का पैसा यानी उनके बीमा प्रीमियम को गलत तरीके से इस्तेमाल किया। कांग्रेस की मांग है कि संसद की पब्लिक अकाउंट्स कमेटी (PAC) इसकी पूरी जांच करे।
वहीं TMC सांसद महुआ मोइत्रा ने सोशल मीडिया पर द वाशिंगटन पोस्ट की रिपोर्ट पोस्ट कि है, जिसके अनुसार गौतम अडाणी जब इस साल की शुरुआत में भारी कर्ज में डूबे थे, अमेरिका में घूसखोरी के आरोपों का सामना कर रहे थे तब केंद्र सरकार और LIC ने अडाणी ग्रुप में निवेश किया। सरकार या अडाणी ग्रुप की तरफ से इस पर अब तक कोई जबाव नहीं आया है।
रमेश ने कहा कि यह घोटाला बहुत बड़ा है। इसमें कई बातें शामिल हैं…
सरकारी एजेंसियों का दुरुपयोग: प्रवर्तन निदेशालय (ED), सेंट्रल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन (CBI) और इनकम टैक्स विभाग को इस्तेमाल करके दूसरे निजी कंपनियों पर दबाव डाला गया। उन्हें मजबूर किया गया कि वे अपनी संपत्ति अडाणी ग्रुप को सस्ते में बेच दें।
संपत्तियों का गलत निजीकरण: हवाई अड्डे, बंदरगाह जैसी जरूरी चीजें सिर्फ अडाणी ग्रुप को फायदा पहुंचाने के लिए बेची गईं। इसमें धांधली हुई।
विदेशी सौदों में मदद: भारत की कूटनीति का इस्तेमाल करके पड़ोसी देशों में अडाणी को कॉन्ट्रैक्ट दिलवाए गए। जैसे बांग्लादेश या श्रीलंका में।
कोयले की महंगाई का खेल: अडाणी ग्रुप ने शेल कंपनियों के जरिए महंगा कोयला आयात किया। यह मनी लॉन्ड्रिंग का नेटवर्क था। इससे गुजरात के अडाणी पावर प्लांट से बिजली की कीमतें बढ़ गईं।
चुनाव से पहले बिजली के सौदे: मध्य प्रदेश, राजस्थान और महाराष्ट्र में चुनाव से पहले अडाणी को ऊंची कीमतों पर बिजली सप्लाई के कॉन्टैक्ट दिए गए। और हाल ही में बिहार में, जहां चुनाव होने वाले हैं, एक पावर प्लांट के लिए जमीन सिर्फ 1 रुपए प्रति एकड़ में आवंटित कर दी गई।
गौतम अडाणी से जुड़े विवाद…
पहला विवाद: हिंडनबर्ग रिसर्च ने मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप लगाए : जनवरी 2023 की है। गौतम अडाणी की फ्लैगशिप कंपनी अडाणी एंटरप्राइजेज ने 20,000 करोड़ का फॉलोऑन पब्लिक ऑफर लाने की घोषणा की। 27 जनवरी 2023 को इस ऑफर को खुलना था, लेकिन उससे ठीक पहले 24 जनवरी 2023 को हिंडनबर्ग रिसर्च ने एक रिपोर्ट जारी की, जिसमें अडाणी ग्रुप पर मनी लॉन्ड्रिंग से लेकर शेयर मैनिपुलेशन जैसे आरोप लगाए गए।
25 जनवरी तक ग्रुप के शेयरों मार्केट वैल्यू करीब 12 बिलियन डॉलर (करीब 1 लाख करोड़ रुपए) कम हो गई। हालांकि, अडाणी ने किसी भी गलत काम के आरोपों से इनकार किया। ऐसे में अडाणी ग्रुप ने अपना 20,000 करोड़ का फॉलोऑन पब्लिक ऑफर भी कैंसिल कर दिया। केस की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट ने 6 सदस्यीय कमेटी बनाई और सेबी ने भी मामले की जांच की।

कोर्ट के फैसले के बाद अडाणी ग्रुप के चेयरमैन गौतम अडाणी ने कहा था, ‘कोर्ट के फैसले से पता चलता है कि सत्य की जीत हुई है। सत्यमेव जयते। मैं उन लोगों का आभारी हूं जो हमारे साथ खड़े रहे। भारत की ग्रोथ स्टोरी में हमारा योगदान जारी रहेगा। जय हिन्द।’
दूसरा विवाद: लो-ग्रेड कोयले को हाई-ग्रेड में बेचने का आरोप
इसी साल फाइनेंशियल टाइम्स ने ऑर्गनाइज्ड क्राइम एंड करप्शन रिपोर्टिंग प्रोजेक्ट की एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए दावा किया था कि जनवरी 2014 में अडाणी ग्रुप ने एक इंडोनेशियाई कंपनी से 28 डॉलर ( करीब 2360 रुपए) प्रति टन की कथित कीमत पर ‘लो-ग्रेड’ कोयला खरीदा था।
रिपोर्ट में आरोप लगाया गया है कि इस शिपमेंट को तमिलनाडु जेनरेशन एंड डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी (TANGEDCO) को उच्च गुणवत्ता वाले कोयले के रूप में 91.91 डॉलर (करीब 7750 रुपए) प्रति टन की औसत कीमत पर बेच दिया गया था।
अडाणी ग्रुप पर पहले कोल इम्पोर्ट बिल में हेराफेरी के आरोप लगे थे…
फाइनेंशियल टाइम्स ने अपनी एक रिपोर्ट में आरोप लगाया कि अडाणी ग्रुप ने इंडोनेशिया से कम रेट में कोयले को इम्पोर्ट किया और बिल में हेराफेरी करके ज्यादा दाम दिखाए। इसी के चलते ग्रुप ने कोयले से जनरेट होने वाली बिजली ग्राहकों को ज्यादा कीमत पर बेची।
फाइनेंशियल टाइम्स ने 2019 से 2021 के बीच 32 महीनों में अडाणी ग्रुप के इंडोनेशिया से भारत इम्पोर्ट 30 कोयले के शिपमेंट की जांच की। इन सभी शिपमेंट के इम्पोर्ट रिकॉर्ड में एक्सपोर्ट डिक्लेरेशन की तुलना में कीमतें ज्यादा मिलीं। रकम करीब ₹582 करोड़ बढ़ाई गई।





