IndusInd Bank की बढ़ी मुश्किलें, SFIO ने शुरू की डेरिवेटिव डील्स की जांच

नई दिल्ली। सफेदपोश अपराधों की जांच करने वाली एजेंसी गंभीर धोखाधड़ी जांच कार्यालय (SFIO) ने इंडसइंड बैंक के डेरिवेटिव डील्स में ऑडिटिंग संबंधी गड़बड़ियों की जांच शुरू कर दी है। इससे बैंक को 1960 करोड़ रुपये का वित्तीय नुकसान हुआ है। जानकारी के मुताबिक बैंक को SFIO से 23 दिसंबर, 2025 को एक पत्र प्राप्त हुआ है, जिसमें कंपनी अधिनियम 2013 की धारा 212 के तहत इंडसइंड बैंक के मामलों की जांच के संबंध में प्रासंगिक जानकारी मांगी गई है। बता दें कि कंपनी अधिनियम 2013 की धारा 212 केंद्र सरकार को SFIO को जटिल कंपनी धोखाधड़ी जांच सौंपने का अधिकार देती है। इससे रिपोर्टों, विशेष प्रस्तावों, जनहित या सरकारी अनुरोधों के आधार पर जांच की जा सकती है और SFIO को वित्तीय गड़बड़ी की जांच करने के लिए व्यापक शक्तियां प्राप्त होती हैं।
इंडसइंड बैंक ने 18 दिसंबर को एक बयान जारी किया था। इसके मुताबिक कॉमर्शियल बैंकों (क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों सहित) और अखिल भारतीय वित्तीय संस्थानों में फ्रॉड रिस्क मैनेजमेंट पर आरबीआई के 15 जुलाई 2024 के मास्टर दिशानिर्देशों में यह अनिवार्य किया गया है कि केंद्रीय बैंक को रिपोर्ट की गई एक करोड़ रुपये या उससे अधिक की राशि से संबंधित किसी भी धोखाधड़ी की रिपोर्ट कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय के तहत SFIO को भी दी जानी चाहिए। बैंक ने कहा कि आंतरिक डेरिवेटिव कारोबार के ऑडिटिंग, बैंक के अन्य परिसंपत्तियों और देनदारियों खातों में कुछ अप्रमाणित शेष राशियों और छोटी राशि के कर्ज (माइक्रोफाइनेंस) पर ब्याज आय/शुल्क आय से संबंधित मामलों की रिपोर्ट दो जून, 2025 को एसएफआईओ को दी गई थी।
1960 करोड़ रुपये का मामला
एक्सटर्नल ऑडिटर ने अप्रैल में डेरिवेटिव पोर्टफोलियो (फ्यूचर एंड ऑप्शन कारोबार) में ऑडिटिंग संबंधी विसंगतियों के कारण 31 मार्च, 2025 तक लाभ और हानि पर संचयी प्रतिकूल अकाउंटिंग प्रभाव 1960 करोड़ रुपये बताया था। इंडसइंड बैंक ने 15 अप्रैल को एक अन्य बाहरी एजेंसी की रिपोर्ट का खुलासा किया। इसमें कहा गया था कि डेरिवेटिव कारोबार में अकाउंटिंग चूक के कारण इसकी संपत्ति पर 1,979 करोड़ रुपये का नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। बैंक ने डेरिवेटिव सौदों से संबंधित विसंगतियों के कारण दिसंबर, 2024 तक अपनी संपत्ति पर 2.27 प्रतिशत का प्रतिकूल प्रभाव आंका है। निजी क्षेत्र के बैंक ने पिछले महीने डेरिवेटिव सौदों में लेखांकन संबंधी गड़बड़ियों की सूचना दी। इसका अनुमान है कि दिसंबर, 2024 तक बैंक की कुल संपत्ति पर लगभग 2.35 प्रतिशत का प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।





