MP: बुंदेलखंड में तीन जातियों के अलग-अलग कुएं,वर्षों से चली आ रही व्यवस्था

भोपाल। मध्य प्रदेश के टीकमगढ़ जिले की ग्राम पंचायत सुजानपुरा जहां पर संविधान ने भले ही समाज को तीन भागों में बांट दिया हो, जिसमें सवर्ण, पिछड़ा वर्ग और हरिजन है। इसी तरह इस ग्राम पंचायत में पानी पीने के लिए तीन कुएं, बनाए गए हैं। यह व्यवस्था आज से नहीं बल्कि ब्रिटिश कालीन से है जो आज भी जारी है। जिसमें सवर्ण, पिछड़ा वर्ग और हरिजन के लिए इस ग्राम पंचायत में अलग-अलग कुएं खोदे गए हैं और तीनों एक साथ एक ही स्थान पर हैं। किसी की क्या मजाल कि पिछड़े वर्ग का कुआं खाली हो और हरिजन उस पर पानी भरने के लिए चला जाए। यहां तक की हरिजन हरिजन के कुएं से पानी नहीं भर सकता है।
सामाजिक वर्ण व्यवस्था को बीते कई साल गुजर गए और आजादी मिले 75 साल, लेकिन इस ग्राम पंचायत में पानी के लिए जो कुआं बनाए गए हैं, वह वर्ण व्यवस्था पर आज भी आधारित है। एक लाइन में तीन कुआं, जिसमें सामान्य, पिछड़ा वर्ग का एक कुआं और हरिजन के लिए अलग-अलग 2 कुएं हैं। भले ही यहां का तापमान 46 डिग्री हो और तीनों कुओं पर सुबह से पानी के लिए लोगों की भीड़ लगी रहती है, लेकिन दोपहर होते-होते इन कुओं पर पानी लेने वालों की संख्या कम हो जाती है। अगर हरिजन के कुएं पर भीड़ है और सामान्य पिछड़ा का कुआं खाली पड़ा है तो कुएं से पानी नहीं भर सकता है।
गांव के रहने वाले राजेश वंशकार कहते हैं कि हरिजनों के लिए 2 कुआं खोदा गया था। वह खंडहर हो चुका है, ऐसे में वह लोग अन्य कुएं से पानी नहीं भर सकते हैं। यहां तक कि वंशकार समाज के लोग अहिरवार समाज के कुएं से पानी नहीं भर सकते, इसके लिए उन्हें गांव से 2 किलोमीटर दूर पानी लाना पड़ता है। गांव के ही रहने वाले राजकिशोर कहते हैं कि यह व्यवस्था आज से नहीं बल्कि सदियों से चली आ रही है। इसको लेकर ना तो किसी समाज या जाति में गिलानी है ना ही कभी भेदभाव होता है। यह व्यवस्था तो हजारों साल पुरानी है।
सरपंच प्रतिनिधि रामसेवक यादव कहते हैं कि ग्राम पंचायत में अलग-अलग जातिगत मोहल्लों ने कुआं की व्यवस्था बना ली थी जो आज से नहीं सैकड़ों वर्षों से चली आ रही है। आज तक ना तो पंचायत में कोई विवाद हुआ है और ना ही इस तरह की समस्या कभी सामने आई है।