वर्षा ऐसे समय हुई जब प्याज की फसल तैयार थी लेकिन खेतों से निकाली नहीं जा सकी थी। पानी गिरने से खेतों में ही प्याज सड़ने लगा था। एक ओर तो आधी फसल खराब हो गई दूसरी ओर अब शेष फसल को जब मंडी में बेचने जा रहे हैं तो उसके दाम नहीं मिल रहे। किसान नेताओं ने आरोप लगाया है कि नुकसान का सर्वे वानिकी विभाग ने कर लिया लेकिन सरकार सर्वे रिपोर्ट को मंजूरी नहीं दे रही।
थोक मंडी में बिकने के लिए आ रहे प्याज में 80 फीसद तक हल्की और पानी लगी क्वालिटी के प्याज हैं। ऐसे में इन प्याज को खरीदार नहीं मिल रहे हैं। दाम भी 1.50 रुपये से 5 रुपये किलो के बीच ज्यादातर प्याज थोक में बिक रहा है। बीते दिनों संयुक्त किसान मोर्चा ने गत दिनों मध्य प्रदेश सरकार से मांग की थी कि वह तत्काल फसलों का सर्वे कराकर किसानों को आरबीसी 6 /4 के तहत मुआवजे का वितरण करें।
कुणाल चौधरी ने साधा सरकार पर निशाना
प्रदेश में गिरते प्याज के दामों को कालापीपल कांग्रेस विधायक ने एक बार फिर प्रदेश की भाजपा सरकार पर निशाना साधा है। कुणाल चौधरी ने कहा कि कांग्रेस पार्टी किसानों के साथ खड़ी है, वही उन्होने प्रदेश की भाजपा सरकार को निर्दयीय सरकार बताया। बहरहाल देखना होगा की पहले प्रकृति की मार और फसलों के गिरते दामों से नाराज किसानों को प्रदेश सरकार किस तरह से राहत दे पाती है।
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