भावपूर्ण नृत्य-नाटिका...चेहरे पर गंभीरता... उठते कई सवाल...!

बड़ी भावपूर्ण थी वो नृत्य-नाटिका। जैसे पृथ्वी माता अपने ऊपर होने वाले अत्याचारों की व्यथा लेकर गौ रूप में भगवान विष्णु के पास गई थीं। मानो वही दृश्य पुनः सृजित किया गया हो? 
रीवा में पीएम के कार्यक्रम के दौरान वहां प्रस्तुत की गई नृत्य नाटिका को लेकर सोशल मीडिया पर खूब चर्चा है। पत्रकार प्रकाश सक्सेना ने फेसबुक पर लिखा - बड़ी भावपूर्ण थी वो नृत्य-नाटिका। जैसे पृथ्वी माता अपने ऊपर होने वाले अत्याचारों की व्यथा लेकर गौ रूप में भगवान विष्णु के पास गई थीं। मानो वही दृश्य पुनः सृजित किया गया हो? बस भगवान विष्णु की बजाय यहां हैं हमारे प्रधानमंत्रीजी।
उम्मीद है अब जोशीमठ के पहाड़ों का दरकना और वहां के निवासियों की म्यूट कर दी गई आवाजें ध्यान से सुनी जायेंगी? मेटल (धातु) या कोयले के लिये जंगल और पहाड़ नष्ट नहीं किये जायेंगे? जंगल-रेत-खनन माफिया कान पकड़कर सत्ता और पार्टियों से बाहर किये जायेंगे? रासायनिक उर्वरकों का उपयोग अब बन्द कर दिया जायेगा? प्रधानमंत्रीजी की मुद्रा और गंभीरता देखकर तो यही लगता है।
क्या मां नर्मदा को तरफ ध्यान जायेगा?
और मध्य प्रदेश में अंधाधुंध तरीके से खोदी जा रही नर्मदा नदी पर भी थोड़ा ध्यान जायेगा। लेकिन लगता नहीं, क्योंकि यहां तो पूरी सरकार ही पतित पावनी मां नर्मदा को बरबाद करने पर तुली है। सत्ता के शीर्ष से ही शुरुवात हो रही है। संरक्षण वहीं से है। वैसे जंगल के साथ ही नदियों, कुओं, बावड़ियों को यहां भी नष्ट किया जा रहा है। बेचा जा का रहा है। कौन देखे प्रकृति के दर्द को? पैसे कमाने में लगे हैं। नृत्य नाटिका तो दिखा रही है सरकार, पीएम भी मंत्रमुग्ध... गंभीर। कुछ होना नहीं है।
तो क्या ये गंभीरता केवल फोटो खिंचाने के लिए होती है..? देखते हैं। 

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