रीवा प्रवास के दौरान मीडिया से चर्चा कर रहे थे।
उन्होंने कहा, मोहन भागवत मेरे पास बाल गोपाल होकर ही बैठते हैं। ये गुरु, गोविंद और ग्रंथ तीनों से हीन हैं। सालभर इनको बोलना है, कुछ न कुछ ऊटपटांग तो बोलेंगे ही, इनकी लाचारी है। सिखों के यहां ग्रंथ है, किसी के यहां कुरान है, किसी के यहां बाइबिल है, लेकिन इनके यहां तो बड़ी कठिनाई है- न गुरु, न गोविंद, न ग्रंथ। ब्राह्मण के ऊपर कटाक्ष कर अपने पांव पर ही कुल्हाड़ी मार ली। 25 अप्रैल को दिल्ली में हो रहे हिंदू राष्ट्र अधिवेशन को लेकर शुक्रवार को जगन्नाथ पुरी शक्तिपीठ के शंकराचार्य निश्चलानंद स्वामी रीवा पहुंचे।
बता दें, दो महीने पहले मुंबई में संत रोहिदास जयंती पर आयोजित एक कार्यक्रम में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (RSS) प्रमुख मोहन भागवत ने कहा था कि जाति भगवान ने नहीं बनाई है, जाति पंडितों ने बनाई, जो गलत है। भगवान के लिए हम सभी एक हैं। हमारे समाज को बांटकर पहले देश में आक्रमण हुए, फिर बाहर से आए लोगों ने इसका फायदा उठाया।
आरक्षण से देश की प्रगति प्रभावित
आरक्षण पर निश्चलानंद सरस्वती ने कहा कि आरक्षण की वर्तमान व्यवस्था सनातन धर्म के अनुसार नहीं है। सारे कुटीर और लघु उद्योग उनको पकड़ा दिए गए, जिनको आजकल शूद्र कहते हैं। इससे देश की प्रगति प्रभावित है। प्रतिभा की हानि हुई और प्रतिशोध की भावना जागृत हुई है।
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