इसे विडम्बना कहें या दुर्भाग्य कि जिस विश्वास के साथ देश की जनता ने लोकसभा चुनाव 2014 में भारतीय जनता पार्टी के नेता श्री नरेंद्र मोदी के हाथ में केन्द्र सरकार की सत्ता सौंपी थी, उस पर वह पूर्ण रूप से सफल होने की जगह विफलता का नया इतिहास रचने में ही अग्रणी दिख रहे हैं। जनविश्वास के हर मोर्चे पर विफलता की कहानी लिखने वाले प्रधानमंत्री मोदी को जिस प्रकार से बढ़ा चढ़ाकर गोदी मीडिया के माध्यम से जनता के समक्ष प्रस्तुत किया जाता है, वास्तविकता के धरातल पर सारा कुछ उसके उलट है। प्रधानमंत्री मोदी के पास शब्दों का जमा खर्च ज्यादा है, गोदी मीडिया द्वारा बनाए गए झूठे आभामंडल के सहारे वह अपनी राजनीति को आगे बढ़ा रहे हैं। व्यक्तिगत प्रचार के इर्द-गिर्द घूमती उनकी राजनीति झूठ के सहारे लंबे समय तक जनमानस पर अपनी छाप नहीं छोड पाएगी, ये तय है। रविवार को रेडियो से प्रसारित मन की बात कार्यक्रम की 100 वी कड़ी पूरी हो रही है, जिसे इवेन्ट बनाने के लिए जबरन देश की जनता को इसे सुनने और देखने के लिए मजबूर किया जा रहा है। प्रधानमंत्री जी के मन की बात कार्यक्रम में उन्होने कभी भी सरकार की उन विफलताओं पर प्रकाश नहीं डाला, जिसको लेकर उन्होने बडे-बडे दावे किये थे। नोटबंदी से शुरू हुई मोदी सरकार की विफलता की लंबी सूची है। मन की बात से यह अपने आपको व्यक्तिगत रूप से प्रचारित करने के अतिरिक्त कुछ भी नहीं कर पाए।
दरअसल यह मन की बात प्रधानमंत्री की न होकर नरेन्द्र मोदी जी के मन की बात बनकर रह गयी है। प्रधानमंत्री की सबसे बड़ी कमजोरी देश - दुनिया ने उस समय देखी थी, जब इन्होंने अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव में पहुंचकर "अब की बार ट्रंप सरकार" का नारा लगाया और परिणाम क्या हुए, यह सबके सामने है। भारतीय राजनीति में नकारात्मक राजनीति की उपज नरेन्द्र मोदी जी प्रधानमंत्री बनने के बाद सरकारी कार्यक्रमों के प्रचार के माध्यम से व्यक्तिगत प्रचार में 9000 करोड़ रूपये से अधिक सरकारी खजाने को बहा चुके हैं। ज्वलंत मुद्दों पर बोलने की जगह मौन ज्यादा रहते हैं। इतना ही नहीं सबका साथ सबका विकास की बात कहकर अनेक अवसर पर उन्होंने तुष्टिकरण पर बयानबाजी करने में भी अपने आप को दूर नहीं रखा। किसानों की जगह उद्योगपतियों के हिमायती बनकर उभरे, मोदी की राजनीतिक सोच कितनी छोटी और तानाशाही पूर्ण है इसका पता हमें राहुल गांधी के खिलाफ इनके द्वारा की गयी कार्यवाही से पता चलता है। अपने विरोधियों एवं विपक्षियों की आवाज दबाने के लिए मोदी सरकार द्वारा जिस प्रकार से इडी, सीबीआई का उपयोग किया जा रहा है, ऐसा इतिहास में पहले कभी नहीं देखा गया। 98 प्रतिशत अपने विरोधियों के खिलाफ इन्होने उनके मनोबल को तोड़ने के लिए खुफिया जांच एजेंसियो का उपयोग किया है। राष्ट्रवाद के नाम पर जनता को गुमराह कर मोदी सरकार अपने राजनीतिक स्वार्थो की पूर्ति में ही व्यस्त रही है।
यह सरकार महिला सुरक्षा की बात करती है और बलात्कारियों, हत्यारों की सजा माफ करवाकर जेल से निकलने के बाद इनके नेता फूल मालाओं से उनका स्वागत करते है। मन की बात में कभी इन्होने देश में बढ़ती महंगाई, बढ़ती बेरोजगारी पर कुछ नहीं कहा। सच ही कहा किसी ने तानाशाह हमेशा डरपोक होता है, इसलिए वह विरोध का सामना नहीं करना चाहता। देश में उघोगपतियों के तो करोड़ों के कर्जे माफ हो गये और वह देश का धन लेकर विदेश भाग गये, लेकिन किसान और आम आदमी कर्ज में पिस रहा है। नोटबंदी से ना तो भ्रष्टाचार खत्म हुआ ना ही कालाधन वापस आया, ना आतंकवादी गतिविधियां रुकी और ना ही नकली नोट बनना बंद हुए। चुनावी जुमला कालाधन वापस आते ही देश के हर नागरिक को 15-15 लाख रूपये दिये जाएंगे, जैसी घोषणाओं के चक्कर में आकर जनता आज अपने आपको ठगा हुआ महसूस कर रही है।
जी.एस.टी ने छोटे व्यापारियों के धंधे को चौपट कर दिया है। ऊपर से 3 कृषि संबधी जू काले कानून लाकर अन्नदाताओं को धरने पर बैठने को मजबूर कर दिया। इतना ही नहीं इस काले कानून का विरोध करने में लगभग 700 किसानों की शहादत हुई। वो कानून भले ही वापस हो गए, पर एमएसपी की गारंटी सरकार आज तक नहीं दे पाई है।
देश के सैनिकों की शहादत पर राजनीति कर पुलवामा को चुनावी एजेंडा बनाकर वोट हथियाने का काम किया गया । पुलवामा की असलियत आज तक सार्वजनिक नहीं की जा रही है।मोदी जी को देश के शहीद परिवारों से माफी मांगना चाहिए।
अनेक अवसरों पर ऐसे भी दृश्य देखे गए, जहां पर मोदी जी ने प्रधानमंत्री पद की गरिमा के प्रतिकूल बयानबाजी करके इस पद को और हल्का बना दिया। इनके झूठ के हजारों वीडियो क्लीपिंग सोशल मीडिया पर वायरल होती रही है। मोदी सरकार की उपलब्धि है कि कोई व्यक्ति कितना ही बड़ा अपराधी क्यों न हो, वह यदि बीजेपी में आ जाता है तो ईमानदार बन जाता है। बहरहाल मन की बात के 100 एपीसोड से देश को कुछ नहीं मिलने वाला। यह उनके व्यक्तिगत प्रचार का बड़ा माध्यम बनकर ही सामने आ रहा है। सरकारी खजाने के माध्यम से इसके पहले कभी कोई प्रधानमंत्री अपना प्रचार करते हुए कभी नहीं देखा गया, जो वर्तमान में देखा जा रहा है।
अनेक तरह की समस्याओं से ग्रस्त देश को एक ऐसा प्रधानमंत्री मिला है जिसको गरीब, मजदूर आम आदमी की समस्याओ से कोई लेना देना नही है। हमने कोविड काल में मजदूरों को पलायन करते देखा है। जनता को ना आवागमन का साधन मिला, ना अस्पताल ना बेड, ना ऑक्सीजन सिलेंडर... मोदी सिर्फ अपने व्यक्तिगत प्रचार में ही पूरा समय व्यस्त रहे। जिस प्रकार से वर्तमान समय में उनकी सरकार की कार्यप्रणाली है, उसमें वह देश को देश समझकर नहीं, भारत को प्रायवेट लिमिटेड कंपनी समझकर काम कर रहे हैं। परिवर्तन प्रकृति का नियम है, उम्मीद की जाती है कि कर्नाटक चुनाव के परिणाम देश में सत्ता परिवर्तन का मार्ग प्रशस्त करेंगे। भारत की जनता को जरूरत है, उसकी समस्याओं के निराकरण की। सत्ता का जितना दुरूपयोग इस सरकार ने किया है, और कर रही है, ऐसा पहले कभी नहीं हुआ।
अंत में "मन की बात" तभी सफल मानी जाती, जब यहां ढंग की बात होती, यानि मुद्दों पर बात होती। जन की बात होती।
काश! टीम मोदी द्वारा धर्म को राजनीति में ना घसीटा जाता और देश के प्रधानमंत्री की आधुनिक भारत के लिए सोच, दूरदृष्टि और उनका एक विज़न होता।
संगीता शर्मा
उपाध्यक्ष, मध्यप्रदेश कांग्रेस मीडिया विभाग
#9826126641
Post a Comment