मध्यप्रदेश में शुक्रवार-शनिवार को तेज हवा के साथ ओले गिरने के साथ ऐसी बारिश हुई कि किसान बर्बाद हो गए। बेमौसम बारिश और ओलों की मार गेहूं, चना, सरसों की तैयार फसल पर पड़ी। मंदसौर में रविवार सुबह तक खेतों में ओले बिछे रहे।
ग्वालियर-चंबल संभाग में प्रशासन ने शुरुआती सर्वे में 60 से 85% नुकसान का अनुमान जताया है। दैनिक भास्कर ने जब किसानों से बात की तो वे बोले- अब फसल से दाना नहीं, भूसा ही निकलेगा। राजगढ़ के किसान ने कहा कि घर में चोरी हो गई थी, अब मौसम ने लूट लिया। रायसेन के किसान के घर भतीजी की शादी है। बोले- कर्ज लेकर शादी करेंगे, या तो तारीख आगे बढ़ा देंगे।
पहले एक्सपर्ट की बात
फल अनुसंधान केंद्र, भोपाल के प्रिंसिपल साइंटिस्ट डॉ. आरके जायसवाल ने बताया कि प्रदेश के ज्यादातर इलाकों में गेहूं की 50% कटाई हो चुकी है, जो फसल खेत में खड़ी है, उसमें बेमौसम बारिश से गेहूं के दाने में काले धब्बे पड़ रहे हैं। जहां ओले गिरे हैं, वहां 50% नुकसान होगा। चने की भी करीब 40% फसल नहीं कटी हैं। आशंका यह है कि चने के दाम पर प्रति क्विंटल 300 रुपए तक कम हो सकते हैं।
कई घरों में बेटियों की शादियां
ग्वालियर के घाटीगांव आरोन, पाटई और करही इलाके में गेहूं की फसल को 90 से 100% नुकसान बताया जा रहा है। उप सरपंच देवेंद्र रावत और किसान सुंदर सिंह रावत ने बताया कि 1 घंटा तेज बारिश हुई और करीब 20 मिनट तक ओले गिरे। ग्वालियर चंबल - अंचल में शुक्रवार को ओले गिरे थे। ग्वालियर - चंबल में तो प्रशासन के शुरुआती सर्वे में 60 से 85% का नुकसान माना जा रहा है। एक दिन पहले ही केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया भी किसानों के बीच पहुंचे थे। सेकरा, बराना, बडकागांव, सवराई, शुभासपुरा, चगोरा, तादई, रानीघाट में भी ओले गिरे हैं। किसान तबाह हो गए हैं। कई घरों में बेटियों की शादियां हैं।
शनिवार को गिरे ओले, आज सुबह तक खेतों में बिछे रहे
शनिवार को मंदसौर के कचनारा, नगरी आक्या में सबसे
ज्यादा ओले गिरे। आज सुबह भी खेतों के आसपास
ओले के ढेर पड़े दिखे। अधिकारियों, भाजपा और
कांग्रेस के नेताओं ने भी नुकसान का जायजा लिया।
किसानों ने कहा- सरकार बिना सर्वे मुआवजा दे। खेतों
में पहुंचे अधिकारियों ने कहा कि सर्वे बिना मुआवजा
नहीं दे सकते।
जिले में डेढ़ महीने में यह चौथी बार है, जब ओले गिरे हैं। 30 जनवरी, मार्च में इससे पहले 6 और 7 मार्च को भी ओलों की मार फसलों पर पड़ी थी। 18 मार्च को नगरी आक्या में तो कहीं-कहीं मक्के से बड़े आकार के ओले गिरे। खेतों में पानी भर गया, कटी हुई फसलें खेतों में तैरने लगीं। जिले में दलौदा, कुचड़ौद, नाहरगढ़, धुंधड़का, सीतामऊ क्षेत्र के धाकड़ पिपलिया, फतेहपुर, चिकली, ऐरा, दीपा खेड़ा और गोपालपुरा गांव में भी फसलों को भारी नुकसान पहुंचा है।
शादी आगे बढ़ाना पड़ेगी या कर्ज लेना पड़ेगा
रायसेन शहर और जिले के गैरतगंज, बेगमगंज, सिलवानी और आसपास के इलाकों में 3 दिन से मौसम की मार पड़ रही है। आज सुबह सालेरा मार्ग पर रोड के दोनों ओर खेतों में पककर तैयार खड़ी गेहूं की फसल बिछी दिखी। किसानों के मुताबिक 40% से ज्यादा का नुकसान हुआ है। रायसेन जिला मुख्यालय से 4 किमी दूर ग्राम मऊफतराई के किसान नेम सिंह ठाकुर के घर भतीजी की शादी है। नेमसिंह ने बताया कि 6 एकड़ में गेहूं बोया था। 3 एकड़ की फसल आड़ी होकर काली पड़ गई। अब शादी करना मुश्किल है। या तो कर्ज लेना पड़ेगा या फिर शादी की तारीख आगे बढ़ाना पड़ेगी।
पहले चोरों ने लूटा, अब मौसम ने
राजगढ़ जिले में 10 दिन में दूसरी बार बारिश के साथ ओले गिरे तो किसानों की आंख में आंसू आ गए। हम खिलचीपुर के कछोटिया गांव पहुंचे। किसान लक्ष्मीनारायण खेत में उदास बैठे मिले। पूछने पर बोले- संतरे के बगीचे के साथ खेत में गेहूं बोया था। एक महीने पहले ही बगीचे के संतरे बेचे । 1 लाख 40 हजार रुपए घर की पेटी में जेवर के साथ रख दिए। 24 फरवरी को जब मैं और मेरा पूरा परिवार खेत पर काम कर रहा था, तभी चोर घुस गए। पहले चोरों ने लूटा, जो बचा था उसे मौसम ने लूट लिया।
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