भागवत ने कहा- "हमारे पास वैज्ञानिक दृष्टिकोण भी था, जिसके आधार पर हम चले। लेकिन विदेशी आक्रमणों के कारण हमारी व्यवस्था नष्ट हो गई, हमारी ज्ञान की परंपरा खंडित हो गई। हम बहुत अस्थिर हो गए। इसलिए हर भारतीय को कम से कम कुछ बुनियादी ज्ञान होना चाहिए कि हमारी परंपरा में क्या है, जिसे शिक्षा प्रणाली के साथ-साथ लोगों के बीच सामान्य बातचीत के जरिए हासिल किया जा सकता है।"
उन्होंने यह भी कहा कि अगर भारतीयों ने अपने पारंपरिक ज्ञान के आधार का पता लगाया और पाया कि वर्तमान समय के लिए क्या स्वीकार्य है, तो "दुनिया की कई समस्याओं को हमारे समाधान से हल किया जा सकता है"।
नए सिलेबस में जुड़ रही हैं वे चीजें जो पहले नहीं थी
भागवत ने कहा कि भारत का पारंपरिक ज्ञान का आधार बहुत बड़ा है, हमारी कुछ प्राचीन किताबें खो गईं, जबकि कुछ मामलों में स्वार्थी लोगों ने इनमें गलत दृष्टिकोण डाला। लेकिन नई शिक्षा नीति के तहत तैयार किए गए सिलेबस में अब ऐसी चीजें भी शामिल हैं, जो पहले नहीं थीं।
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