मध्यप्रदेश बीजेपी में भले ही कई मौके पर शिवराज-सिंधिया की जुगलबंदी नजर आई हो, लेकिन सियासत में जो दिखता है, वह वैसा ही होता है, ये जरूरी नहीं। कई मौके पर सिंधिया समर्थकों और बीजेपी के मूल नेताओं के बीच खाई साफ नजर आती है। ज्योतिरादित्य सिंधिया के पिता स्वर्गीय माधवराव सिंधिया की जयंती पर भी कुछ ऐसा ही सीन नजर आया, जहां बीजेपी के मूल नेताओं ने 'महाराज' को साफ संदेश दिया कि वह तो 'सरकार' के साथ ही है।
हुआ यह कि 10 मार्च को स्वर्गीय माधवराव सिंधिया की जयंती थी। इस मौके पर ग्वालियर में सुबह मैराथन तो शाम को भजन संध्या का आयोजन किया गया। इन आयोजन को लेकर बीजेपी के मूल कार्यकर्ता और नेताओं में ज्यादा उत्साह नहीं देखा गया। सुबह मैराथन में सिंधिया और उनके समर्थक मंत्री, कार्यकर्ता मौजूद रहे। बीजेपी के मूल नेता गायब रहे, लेकिन शाम को जब सीएम शिवराज सिंह चौहान भजन संध्या में शिरकत करने पहुंचे तो बीजेपी के सभी दिग्गज नेता साथ नजर आए। मंच पर वे सभी नेता ‘सरकार’ के साथ दिखे, जिनकी सियासत ‘महाराज’ का विरोध करने पर ही आगे बढ़ी।
'बड़े महाराज' की जयंती से बीजेपी के मूल कार्यकर्ताओं के दूरी बनाने पर बीजेपी के ही एक नेता ने वजह बताई। कहा कि बड़े महाराज कांग्रेस के नेता थे तो हम उनकी जयंती क्यों मनाएं? सुना है कि दोनों आयोजन की कमान सिंधिया समर्थकों ने अपने हाथ में ले रखी थी। बीजेपी के अंदर खाने से खबर है कि आयोजन को लेकर स्थानीय नेताओं ने भोपाल और दिल्ली तक शिकायत दर्ज कराई कि कांग्रेसी नेता की जयंती पर बीजेपी आयोजन करेगी तो पब्लिक में मैसेज ठीक नहीं जाएगा, लेकिन इसका जवाब ना तो भोपाल से, ना ही दिल्ली से ग्वालियर पहुंचा।
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