राजधानी भोपाल सहित राज्य के एक तिहाई से अधिक इलाकों में ओला वृष्टि और बारिश के कारण फसल प्रभावित हुई है। कई किसान फसल काटने लगे हैं, लेकिन गेहूं का रंग बदल गया है। जहां ओले गिरे हैं वहां फसल पूरी तरह चौपट ही गई है। जिस गेहूं के दाम मंडी में बत्तीस सौ रुपए प्रति क्विंटल था, वो डेढ़ हजार रूपए प्रति क्विंटल तक लिया जा रहा है। सरकार ने इस तरफ अभी तक कोई ध्यान नहीं दिया है।
पूर्व मंत्री और कांग्रेस विधायक जीतू पटवारी ने इसे लेकर दो दिन पहले ही सरकार से मांग की कि गेहूं का न्यूनतम मूल्य तीन हजार रुपए प्रति क्विंटल तय किया जाए। अब वो हालत बन रहे हैं। यदि किसान को सही कीमत नहीं मिलीं तो वो बर्बाद ही जाएगा। केवल राहत से काम नहीं चलेगा।
विडम्बना यह है कि जब फसल बर्बाद हो रही है, उस दौरान सत्ता में बैठी पार्टी इवेंट का आयोजन कर रही है। सीएम शिवराज खुद को किसान कहते हैं लेकिन वो अभी तक किसानों के आंसू पोंछने नहीं गए हैं। कांग्रेस मीडिया प्रकोष्ठ की उपाध्यक्ष संगीता शर्मा ने सीएम की आलोचना करते हुए कहा है कि इवेंट करना बंद करें और किसान की परेशानी हल करें। तत्काल नकद मुआवजा दें। जीतू पटवारी किसानों को समस्या को लेकर यात्रा निकालने की तैयारी भी कर रहे हैं।
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