ग्रेजुएशन तक सिर्फ पास होने तक के, मामूली नंबर पाने वाले देव प्रकाश मीणा ने जब लगन से पढ़ाई की, जितनी मेहनत की कुव्वत थी, उससे थोड़ी और ज्यादा की. उसका रिजल्ट ये हुआ कि पहले प्रयास में अधीनस्थ सेवा में सिलेक्शन हुआ.
10वीं 12वीं ग्रेजुएशन या किसी भी क्लास के नंबर किसी का भविष्य तय नहीं करते. ये बात IRS ऑफिसर देव प्रकाश मीणा ने अपनी मेहनत और उसके रिजल्ट से साबित कर के दिखाई है. हर एक स्टूडेंट को इनसे सीखना चाहिए. यदि किसी क्लास में बहुत अच्छे मार्क्स नहीं पाए तो कोई बात नहीं, निराश न हो. हिम्मत रखें, मेहनत करें. मेहनत से सब मिलता है।
ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा पाने में बेहद कठिनाइयाँ होती हैं. जो चीज मुश्किलों से हासिल होती है, वह अधिक महत्वपूर्ण बनती है. मीडिया रिपोर्ट्स बताती हैं कि देव प्रकाश मीणा क्लासेज लेने के लिए अपने गाँव और पास के गाँव रसीदपुर मीलों पैदल चलकर जाते थे. पढ़ाई के साथ-साथ वह घर के कामों की भी जिम्मेदारी उठाते थे.
उन्होंने राजस्थान कॉलेज, राजस्थान विश्वविद्यालय से अंग्रेजी साहित्य के साथ इतिहास ऑनर्स में बीए पूरा किया. वहां रहने के दौरान ही उन्हें यूपीएससी सिविल सर्विसेज के बारे में पता चला. सामान्य अध्ययन की पढ़ाई के दौरान ही उन्हें पता चला कि इन सभी बातों का संबंध उनके पिता द्वारा बचपन में लाई गई पुस्तकों से है.
राजस्थान के दौसा जिले की महवा तहसील के बिरसाना गांव में 1 जुलाई 1978 को उनका जन्म हुआ. सिविल सेवाओं की उनकी यात्रा के पीछे की प्रेरणा उनके बचपन के दिनों में पिता द्वारा लाई गई किताबें थीं ,जिन्होंने उनमें प्रेरणा की एक चिंगारी जलाई जो युवावस्था में जुनून में बदल गई।
ग्रेजुएशन तक सिर्फ पास होने तक के, मामूली नंबर पाने वाले देव प्रकाश मीणा ने जब लगन से पढ़ाई की, जितनी मेहनत की कुव्वत थी, उससे थोड़ी और ज्यादा की. उसका रिजल्ट ये हुआ कि पहले प्रयास में अधीनस्थ सेवा में सिलेक्शन हुआ. साधारण परिवार से आने वाले देव प्रकाश मीणा फेसबुक, ट्विटर हैंडल , इंस्टाग्राम पर काफी फॉलोअर्स हैं।
Post a Comment