MP: जहां संभाग के मुखिया का मुख्यालय, उसी इमारत का हैंडओवर भूले, ये है सरकारी तंत्र के हाल

MP: Where the division head's headquarters forgets the handover of the same building, this is the condition of the government machinery

57 करोड़ की जिस आलीशान इमारत में संभाग के मुखिया और प्रदेश के मुख्यालयों को स्थापित किया गया है, यही इमारत प्रोजेक्ट इंप्लीमेंटेशन विभाग हैंडओवर करना भूल गया। अब नौबत यह है कि कहीं भी कुछ परेशानी या दिक्कत हो तो करने वाला कोई नहीं है। भारी भरकम बजट खर्च करने के बाद संधारण समय पर नहीं होगा तो इमारत को नुकसान पहुंचना भी तय है। सरकारी तंत्र की स्थिति देखिया जो दूसरों को नियम कायदे का पाठ पढ़ाते हैं, जिम्मेदारी बताते हैं, उनकी इमारत के हैंडओवर के अते पते नहीं है। खुद पीआइयू विभाग के अफसरों का कहना है कि इमारत हैंडओवर है या नहीं दिखवाना पड़ेगा, हकीकत यह है कि हैंडओवर है ही नहीं। दूसरी खास एक और बात कि इस अत्याधुनिक इमारत में अग्निशमन सिस्टम का भी ट्रायल नहीं कराया गया है, अगर कभी कोई हादसा हुआ तो सिस्टम काम करेगा या नहीं पता नहीं है।
ठेकेदार के लिए डिफेक्ट लायबिलिटी पीरियड
पीआइयू के अफसरों ने बताया कि इमारत को तैयार करने वाले ठेकेदार के लिए डिफेक्ट लायबिलिटी पीरियड होता है यानि बिल्डिंग में निर्माण संबंधी कोई खामी या परेशानी आएगी तो उसका सुधार करना होगा। इसके लिए ठेकेदार को अपना स्टाफ इमारत में उपलब्ध रखना होता है। वैसे हकीकत में यह नियम जरूर है लेकिन इसका पालन नहीं होता है।
पीडब्ल्यूडी को संधारण फंड मिलना बंद 
सरकारी इमारतों के संधारण का काम पीडब्ल्यूडी विभाग करता हैण, लेकिन जून 2022 से पीडब्ल्यूडी को फंड मिलना बंद हाे गया है। इसलिए पीडब्ल्यूडी के पास इसका संधारण नहीं है। अब जो नया नियम है उसके अनुसार पांच लाख से अ​धिक बजट की इमारत के लिए विभाग आंतरिक समिति गठन कर टेंडर बुलाएगा। संधारण का कार्य किसी भी विभाग के पास जा सकता है। पांच लाख से कम के मामले में आंतरिक समिति ही टेंडर कर लेगी।
मैं नया आया हूं
मैं नया ही आया हूं, वैस राजस्व भवन हैंडओवर किया गया है या नहीं पता नहीं है। पता करके बताना होगा। अब पीडब्ल्यूडी को संधारण नहीं मिलता है नियम बदल गए हैं।
सीपी वर्मा, अधीक्षण यंत्री, पीआइयू

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