कानून मंत्री ने किसी का नाम लिए बिना कहा कि अब भारत किसी की निजी जागीर नहीं रह गई है। जो अब भी भारत को जागीर मानते हैं, वो नींद से जग जाएं। रिजिजू ने ट्वीट किया, 'राज्यपाल की नियुक्ति पर एक बार फिर से पूरा गिरोह जोरों पर है। उन्हें यह समझ लेना चाहिए कि अब वे भारत को अपनी निजी जागीर जैसे नहीं चला सकते। अब भारत को संविधान के प्रावधानों और लोगों की इच्छा के अनुसार चलाया जाएगा।' मंत्री ने भले ही किसी का नाम नहीं लिया हो, लेकिन उनका इशारा कांग्रेस पार्टी और उसके समर्थक समूहों की तरफ ही है।
कांग्रेस ने बताया न्यायपालिका की आजादी को खतरा
केंद्र सरकार ने सोमवार को छह नए राज्यपालों की नियुक्ति की है जबकि सात राज्यपालों का अलग-अलग राज्यों में ट्रांसफर कर दिया है। जस्टिस नजीर को आंध्र प्रदेश का राज्यपाल बनाया गया है। जस्टिस नजीर पिछले महीने ही सुप्रीम कोर्ट से रिटायर हुए थे। कांग्रेस पार्टी ने उनकी नियुक्ति को 'न्यायपालिका की विश्वसनीयता में गिरावट और उसी स्वतंत्रता को बड़ा खतरा' करार दिया। कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा, 'यह किसी व्यक्ति विशेष के बारे में नहीं है क्योंकि मैं उन्हें व्यक्तिगत रूप से जानता हूं लेकिन सिद्धांत रूप में हम सेवानिवृत्ति के बाद न्यायाधीशों की नियुक्ति के खिलाफ हैं।' उन्होंने पूर्व कानून और वित्त मंत्री स्वर्गीय अरुण जेटली को कोट किया। जेटली ने 2013 में कहा था, 'सेवानिवृत्ति से पहले के निर्णय सेवानिवृत्ति के बाद की नौकरियों और न्यायपालिका के लिए इसके खतरे से प्रभावित होते हैं। सिंघवी ने कहा, 'हम भी इसी भावना को साझा करते हैं, यह न्यायपालिका के लिए खतरा है।मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के नेता एवं राज्यसभा सदस्य एए रहीम ने भी जस्टिस नजीर की नियुक्त को भारतीय लोकतंत्र के लिए एक धब्बा बताया। रहीम ने फेसबुक पर एक पोस्ट में कहा, 'न्यायमूर्ति अब्दुल नजीर को राज्यपाल के तौर पर नियुक्त करने का केंद्र सरकार का फैसला देश के संवैधानिक मूल्यों के अनुरूप नहीं है। यह अत्यंत निंदनीय है। उन्हें (नजीर को) इस पेशकश को मानने से इनकार कर देना चाहिए। देश का अपनी न्याय प्रणाली में भरोसा नहीं खोना चाहिए। मोदी सरकार के इस तरह के फैसले भारतीय लोकतंत्र पर एक धब्बा है।' वहीं, एआईएमआईएम के प्रवक्ता सैयद असीम वकार ने भी इस मुद्दे पर केंद्र सरकार की आलोचना की।
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