पांच साल का कठिन परिश्रम, बन गए आईएएस... रेत माफिया ने किया हमला...


यूपीएससी क्लियर करके आईएएस अफसर बनना कोई बच्चों का खेल नहीं है. यूपीएससी क्लियर करने के बाद अलग अलग विभागों में पोस्टिंग मिलती है. यूपीएससी क्लियर करने वाले सभी कैंडिडेट्स को IAS बनने का मौका नहीं मिलता है. आज हम बात कर रहे हैं एक ऐसे आईएएस अफसर की जिन्होंने रेत माफियाओं पर जब शिकंजा कसना शुरू किया तो माफियाओं ने उनपर ही हमला कर दिया. हम बात कर रहे हैं आईएएस अफसर कुणाल मोतीराम चव्हाण की. कुणाल महाराष्ट्र के परभणी जिले के रहने वाले हैं।

वह आईएएस अफसर बनने से पहले एक एनटीसी इंजीनियर थे और रॉबर्ट बॉश में लगभग ढाई साल तक सॉफ्टवेयर इंजीनियर के तौर पर काम किया था. उन्होंने नवंबर 2014 में बॉश की नौकरी छोड़ने के बाद सिविल की तैयारी शुरू की. सिविल सर्विसेज की तैयारी करना कोई मामूली काम नहीं है. क्योंकि उसके लिए नौकरी छोड़कर उन्होंने अपना पूरा करियर दाव पर लगा दिया था।

सिविल सर्विसेज की तैयारी की जर्नी वास्तव में उनके लिए आंखें खोलने वाली थी. वह 5 साल तक बहुत कठिनाइयों, निराशाओं, अवसादों से गुज़रे, लेकिन आखिर में उन्होंने वह हासिल किया जो उनका लक्ष्य था. जैसा कि कहा जाता है, अंत भला तो सब भला, उनका मानना है कि इसलिए वह शांति में हैं. कम से कम अभी के लिए. उनका मानना था कि एक बार  काम शुरू होने के बाद नई चुनौतियां होंगी. उनका फोकस गैर जरूरी कोचिंग क्लासेस के उस हिस्से को खत्म करने पर है, जिसमें कैंडिडेट्स का बहुत सारा पैसा और समय बर्बाद होता है।

कुणाल ओडिशा कैडर के अफसर हैं. वह बालासोर के उप-कलेक्टर के रूप में तैनात 2020 बैच के आईएएस अधिकारी हैं. उनके ड्राइवर को बालासोर जिले के फुलादियो पुल पर उस समय कंधे और सिर पर चोट लगी थी, जब अधिकारी रेत से लदे ट्रक के कागज चेक कर रहे थे, ऐसा संदेह था कि रेत को बिना जरूरी पेपर्स के ले जाया जा रहा था।


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