प्रिंसिपल को भेजा ट्रेनिंग पर
उन्होंने कहा कि हमें मिलकर दिल्ली व पंजाब के स्कूलों को दुनिया का बेस्ट स्कूल बनाना है। पिछले 75 साल में पंजाब में किसी भी सरकार ने टीचर्स को विदेश ट्रेनिंग के लिए नहीं भेजा होगा। क्योंकि उनकी प्राथमिकता में शिक्षा नहीं थी। पंजाब की आप सरकार ने अपने प्रिंसिपल को ट्रेनिंग के लिए सिंगापुर भेज कर संदेश दिया है कि हमारी सबसे बड़ी प्राथमिकता शिक्षा है। जब तक टीचर्स और प्रिंसिपल्स के अंदर सकारात्मक उर्जा नहीं आएगी, तब तक सरकारी स्कूलों को ठीक नहीं किया जा सकता। केजरीवाल ने कहा कि अगर सरकारों की नीयत ठीक हो, तो जो शिक्षा सरकार दे सकती है, वो प्राइवेट स्कूल कभी नहीं दे सकते।
पढ़ाए हुए बच्चे सफल होकर विश्व में देश का नाम रौशन करेंगे
वहीं, भगवंत मान ने कहा कि दिल्ली-पंजाब के बीच एग्रीमेंट हुआ था कि हम एक-दूसरे से ज्ञान साझा करेंगे, ताकि अच्छा परिणाम आए। मैं उम्मीद करता हूं कि हमारे टीचर्स ऐसे कोच बनेंगे कि उनके पढ़ाए हुए बच्चे सफल होकर विश्व में देश का नाम रौशन करें। इस दौरान दिल्ली के उपमुख्यमंत्री एवं शिक्षा मनीष सिसोदिया और पंजाब के शिक्षा मंत्री सरदार हरजोत सिंह बैंस समेत वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहे।
शिक्षा मंत्री नहीं गए विदेश
पंजाब में आम आदमी पार्टी की सरकार बने हुए एक साल हो गया है और अभी तक पंजाब के शिक्षा मंत्री विदेश नहीं गए, लेकिन पंजाब के प्रिंसिपल विदेश होकर आ गए। यह बहुत बड़ा संदेश है। अभी पंजाब के 36 प्रधानाचार्य विदेश होकर आए हैं। दिल्ली में अब तक हमारे 1100 से ज्यादा शिक्षक व प्रधानाचार्य विदेश से ट्रेनिंग लेकर आ चुके हैं। इसके अलावा कई हजार शिक्षकों को आईआईएमसी समेत अन्य इंस्टीट्यूट में ट्रेनिंग दी जा चुकी है। अब पंजाब के अंदर भी यह सिलसिला शुरू हुआ है।
शिक्षकों को मिला सकरात्मक ऊर्जा
जब तक शिक्षक और प्रधानाचार्य प्रेरित नहीं होंगे, उनके अंदर सकारात्मक उर्जा नहीं आएगी, तब तक सरकारी स्कूलों को ठीक नहीं किया जा सकता। इसलिए शुरुआत में हमने स्कूलों के इंफ्रास्ट्रक्चर पर बल दिया और फिर शिक्षकों और प्रधानाचार्य को बड़े स्तर पर देश-विदेश में ट्रेनिंग के लिए भेजना शुरू किया। इसके अलावा भी हमने कई कदम उठाए। इसके बाद बच्चों को बहुत अच्छे रिजल्ट आने लगे। बच्चों के मेडिकल और इंजीनियरिंग में एडमिशन होने लगे। सरकारी स्कूलों के 97 फीसद नतीजे आ गए, तब लोगों को लगने लगा कि दिल्ली में बहुत बड़ी शिक्षा क्रांति आ गई है। अब लोग अपने बच्चों को प्राइवेट स्कूलों से निकाल कर सरकारी स्कूलों में भर्ती करा रहे हैं।
अच्छा काम करने वालों का होता है विरोध
भगवंत मान ने कहा कि जब भी कोई नई चीज करता है, तो उसका विरोध होता है। उसके बाद स्वीकार करते हैं और फिर ईष्या करने लगते हैं। यहां यही हो रहा है। पहले विरोध किए, फिर स्वीकार किए और स्कूल बन गए, तो अब कह रहे हैं कि स्कूल क्यों बना दिए? ऐसी चुनौनियां जूनूनी लोग ही ले सकते हैं। आज के जमाने में भाई, भाई का कत्ल कर रहा है। पैसे की दुनिया हो गई है। मंजिल कोई नहीं है। हम अपने दुखों से उतने दुखी नहीं हैं, जितने दूसरों के सुखों से दुखी होते हैं। तरक्की तब होगी, जब दोनों पड़ोसी संपन्न हो जाएं।
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