मध्य प्रदेश: जमीन खिसकने लगे तो धर्म जिंदाबाद... धार्मिक आयोजनों के शोर में दबते चुनावी मुद्दे... बाबाओं और कथाओं के सहारे चुनाव जीतने का दौर..

भोपाल। जब जमीन खिसकने लगे तो धर्म जिंदाबाद..! जी हां। यही फार्मूला आईएस बार मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव जीतने के लिए अपनाया जा रहा है। सरकार पूरी तरह फेल रही है, विकास के नाम पर घोषणाएं ज्यादा हुई हैं। विपक्ष भी मुद्दे उठाने में असफल रहा है। बयानी जंग और सोशल मीडिया वार, बस ये ही लड़ाई के हथियार रहा गए हैं। सो अब चुनाव के वक्त धार्मिक आयोजनों के माध्यम से जनता को मूर्ख बनाने का सिलसिला चल रहा है।  
मध्यप्रदेश में इसी साल नवंबर में विधानसभा के चुनाव होने हैं। राज्य में जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आ रहे हैं, वैसे-वैसे बाबाओं के दरबार में नेताओं की नजदीकियां बढ़ने लगी हैं। अपने-अपने इलाकों में मंत्री से लेकर विधायक तक उनकी कथाओं के जरिए वोटर्स को साधने में लगे हैं। नेता अपनी छवि बनाने के लिए लाखों रुपए खर्च करने में लगे हैं। शिवराज सरकार के कई मंत्री अपने-अपने क्षेत्र में कथा करा चुके हैं तो कुछ वेटिंग लिस्ट में हैं। ऐसा नहीं है कि केवल बीजेपी ही धार्मिक आयोजन कर राजनीतिक पुण्य प्राप्ति का जतन कर रही है, कांग्रेस के बड़े नेता भी इन बाबाओं की कथा से राजनीतिक प्रसाद हासिल करने में लगे हैं।
प्रदेश में बीते 6 महीने में 500 से अधिक धार्मिक कथाओं का आयोजन हो चुका है। इनमें से अधिकांश कथाएं नेताओं द्वारा आयोजित कराई जा रही हैं। इसमें तीन कथावाचकों बागेश्वर धाम के धीरेंद्र शास्त्री, कुबेरेश्वर धाम के प्रदीप मिश्रा और पंडोखर सरकार गुरुशरण शर्मा का प्रदेश की 230 में से 153 विधानसभा सीटों पर सबसे ज्यादा प्रभाव है। यही वजह है कि अधिकांश मंत्री और विधायक इन बाबाओं के दरबार में शरणागत हैं। साथ ही जया किशोरी की कथा सुनने वालों की तादाद भी लगातार बढ़ती जा रही है। 
बागेश्वर धाम के धीरेंद्र शास्त्री को आजकल हिन्दू राष्ट्र मुहिम का पोस्टर बॉय कहा जा रहा है। उनके धार्मिक कार्यक्रमों में आस्था रखने वालों की भीड़ उमड़ रही है। इनका प्रभाव बुंदेलखंड सहित अन्य इलाकों के 89 विधानसभा क्षेत्रों में ज्यादा है। कुबेरेश्वर धाम के प्रदीप मिश्रा मालवा-निमाड़, भोपाल और नर्मदापुरम अंचल के 91 विधानसभा क्षेत्रों में लोकप्रिय हैं। इसी तरह पंडोखर सरकार गुरुशरण शर्मा पर आस्था रखने वाले ग्वालियर-चंबल और भाेपाल संभाग के 59 विधानसभा क्षेत्रों में ज्यादा हैं। इसमें से 89 विधानसभा क्षेत्र ऐसे हैं, जहां तीनों बाबाओं का प्रभाव दिख रहा है।
जानकार कहते हैं कि किसी भी कथा या सम्मेलन यदि तीन दिन से अधिक का होता है तो उसका खर्च 4 से 5 करोड़ रुपए तक जाता है। इस तरह इस बार आयोजनों पर 200 करोड़ से अधिक की राशि खर्च होने का अनुमान है। बीजेपी के पूर्व मंत्री कहते हैं कि मप्र में जितनी राशि विकास कार्यों में खर्च होती है,उससे ज्यादा की नेटवर्थ 5 बाबाओं की है। ये सही भी है।
राजनेता मानते हैं कि राजनीतिक बैठकों की तुलना में धार्मिक आयोजनों में भीड़ को आकर्षित करने की ताकत अधिक होती है। उन्होंने कहा कि राजनीतिक बैठकों में हम एक लाख से अधिक लोगों को नहीं जुटा सकते हैं, लेकिन ऐसे आयोजनों में हम पांच लाख लोगों तक को बड़ी आसानी से इकट्ठा कर सकते हैं। अंतत: ऐसे कार्यक्रमों के माध्यम से हमारे कार्यकर्ता और मतदाता लामबंद होते हैं। यह गुजरात में एक बड़ी सफलता थी और इसे गंभीर चुनाव प्रचार शुरू होने से पहले की तैयारी गतिविधियां माना जा सकता है।
सच्चाई यह है कि अधिकांश नेताओं का जमीनी ताल्लुक बचा ही नहीं है। वे हवा में चलते हैं और उनकी राजनीति कंसल्टेंट चलाते हैं। टिकट से लेकर मुद्दे तक सर्वे में तय हो रहे हैं। दरअसल, जमीनी कार्यकर्ता या वोटर्स से नेताओं का संपर्क बचा ही नहीं है। धार्मिक कार्यक्रमों से चुनाव में कोई राजनीतिक लाभ नेताओं को नहीं मिलता। इतना जरूर है कि नेताओं की कमाई खर्च होती है। उन्होंने आगे कहा कि किसी बाबा द्वारा किसी नेता की तारीफ करने से वोट नहीं मिलता।
सनातन धर्म के पोस्टर बॉय, हिंदी राष्ट्र के नाम पर बढ़ा रहे प्रभाव, नरोत्तम के करीब
राष्ट्रीय मीडिया की सुर्खियों में आए धीरेंद्र शास्त्री उर्फ बागेश्वर सरकार का भी सियासी रसूख कम नहीं है। उनके दरबार में सभी दलों के राजनेता भी हाजिरी लगा रहे हैं। बागेश्वर धाम में हर मंगलवार व शनिवार को करीब 2-3 लाख भक्त आते हैं। सोशल मीडिया पर यूट्यूब और फेसबुक मिलाकर बागेश्वर सरकार 13 करोड़ व्यूज हैं। इस दरबार में कमलनाथ, नरोत्तम मिश्रा, अरुण यादव जैसे कद्दावर नेता भी जा चुके हैं। छत्तरपुर और बुंदेलखंड के अन्य इलाके में बागेश्वर सरकार की सियासी पकड़ भी है।
प्रदीप मिश्रा: मोदी और शिवराज की तारीफ कर चुके हैं, शिवराज को मदद मिल सकती है
रुद्राक्ष महिमा से सुर्खियों में आए प्रदीप मिश्रा शिव पुराण और शिव कथा सुनाते हैं। संगीतमय उनकी प्रस्तुति के चलते उनके फॉलोवर लाखों में है। इनके कई बयान चर्चित रहे और ये विवादों में भी घिरे। इनके दरबार में सीएम शिवराज, संजय शुक्ला, कैलाश विजयवर्गीय तक जा चुके हैं। प्रदीप मिश्रा का नर्मदापुरम और मालवा-निमाड़ में सबसे अधिक प्रभाव है। अब सागर और महाकौशल में भी उनकी कथाएं आयोजित होने की शुरूआत हो चुकी है।
पंडोखर सरकार : कई नेता हाजिरी लगा चुके
दतिया के गुरूशरण शर्मा पंडोखर सरकार के नाम से जाने जाते हैं। उनका खुद का दावा है कि दरबार लगाने और लोगों की मन की बात जानकर पर्चे पर लिखने की शुरुआत 32 साल पहले की थी। उनके दरबार में गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा सहित नेता प्रतिपक्ष डॉ. गोविंद सिंह और इमरती देवी तक हाजिरी लगाने पहुंचते हैं। इनका अधिक प्रभाव चंबल-ग्वालियर में है। इस बाट भोपाल में दिव्य दरबार लगाकर यहां भी अपने चमत्कार दिखाकर लोगों को प्रभावित किया है।

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