नई दिल्ली। अरबपति निवेशक जॉर्ज सोरोस की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर टिप्पणी को लेकर भारत में तीखी प्रतिक्रिया हो रही है। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा है- मैं सोरोस को सिर्फ बुजुर्ग, अमीर और राय रखने वाला कहकर रुक सकता हूं। लेकिन वे बुजुर्ग, अमीर और राय रखने वाले के साथ खतरनाक भी हैं। जब ऐसे लोग और संस्थान विचार रखते हैं, तो वे अपने संसाधनों को नैरेटिव गढऩे में लगा देते हैं।
सोरोस ने कहा था- गौतम अदाणी के कारोबारी साम्राज्य में मची उथल-पुथल से शेयर बाजार में बिकवाली आई है और इससे निवेश के अवसर के रूप में भारत में विश्वास हिला है। यह देश में लोकतांत्रिक पुनरुद्धार के दरवाजे खोल सकता है। मोदी लोकतंत्रिक देश के नेता है, लेकिन खुद लोकतांत्रिक नहीं है। वो मुसलमानों के साथ हिंसा कर तेजी से बड़े नेता बने हैं।
सोरोस ने भारत में नागरिकता संशोधन कानून यानी सीएए और कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाए जाने पर भी मोदी पर निशाना साधा था। सोरोस ने दोनों मौकों पर कहा था कि भारत हिंदू राष्ट्र बनने की तरफ बढ़ रहा है। दोनों ही मौकों पर उनके बयान बेहद तल्ख थे और वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमला बोलते दिखाई दिए थे।
92 साल के जॉर्ज सोरोस दुनिया के सबसे अमीर लोगों में से एक हैं। सोरोस एक यहूदी हैं, जिस वजह से सेकेंड वर्ल्ड वॉर के समय उन्हें अपना देश हंगरी छोडऩा पड़ा था। 1947 में वे लंदन पहुंचे। उन्होंने लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में फिलासफी की पढ़ाई की। सोरोस की नेटवर्थ लगभग 8.5 बिलियन डॉलर है ओपन सोसाइटी फाउंडेशन के संस्थापक हैं। यह फाउंडेशन लोकतंत्र, पारदर्शिता और बोलने की स्वतंत्रता को बढ़ावा देने वाले समूहों और व्यक्तियों को अनुदान देता है।
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