दरअसल, पंचायत सचिव मेहरबान सिंह गुर्जर को सीईओ ने निलंबित कर दिया था। मेहरबान सिंह गुर्जर को बड़ोदिया खान में विकास यात्रा निकलने पर व्यवस्थाएं संभालने की जिम्मेदारी दी गई थी। यात्रा के दौरान परेशानियां हुई तो सीईओ ने मंच ठीक से नहीं लगने और अन्य व्यवस्थाओं में कमी होने का हवाला देकर उन्हें निलंबित कर दिया। इस पर सचिव मेहरबान सिंह गुर्जर ने अधिवक्ता मनीष यादव के जरिए हाई कोर्ट में याचिका दायर की। जस्टिस विवेक रुसिया की खंडपीठ के समक्ष इस याचिका की सुनवाई हुई।
हाई कोर्ट की इंदौर खंडपीठ ने सचिव के निलंबन पर रोक लगा दी। इसके बाद मौखिक रूप से यह भी कहा कि विकास यात्रा में ड्यूटी ठीक से नहीं करना सरकारी जिम्मेदारी कैसे हो सकती है? जनपद के सीईओ इस तरह निलंबित कैसे कर सकते हैं? हाई कोर्ट ने रोक लगाने के साथ ही चार सप्ताह में जवाब देने के लिए भी कहा है। इस मामले में यह भी उल्लेख किया गया है कि स्थानीय नेताओं ने सीईओ पर दबाव बनाकर पंचायत सचिव को निलंबित करवाया जो पूरी तरह गलत है।
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