आवासहीनों की कहानी..वहीं ससुर की खाट, वहीं बहू को पीसनो...


भोपाल। प्रधानमंत्री आवास योजना से गरीब परिवारों को देशभर में घर दिए जा रहे हैं. लेकिन अब भी बड़ी तादाद में ऐसे लोग हैं जिनके सिर पर छत नहीं है, अगर है भी तो बस गुजारा करने लायक।

  मध्य प्रदेश के तमाम शहरों में खासी तादाद में आवासहीन लोग हैं और अभी निकाली जा रही विकास यात्रा के दौरान उन्हें आश्वासन भी दिया जा रहा है। पर कई लोग आश्वासन से भी वंचित हैं।  

भिंड में हाईवे किनारे कई परिवार झोपड़ी डालकर रहने को मजबूर हैं। इन गरीबों के आशियाने सड़क किनारे महज 10-15 फीट जगह में बने हुए हैं. नगरपालिका अभी तक इन मजूदरों को आवास उपलब्ध नहीं करा पाई है. यही वजह है कि यहां से निकलने वाले हर शख्स के मुंह से देहाती कहावत निकलती है कि ‘वहीं ससुर की खाट, वहीं बहू को पीसनो।

जिम्मेदार अधिकारी प्रत्येक गरीब को प्रधानमंत्री आवास देने का दावा करते हैं, लेकिन जमीनी हकीकत इससे जुदा है. योजना के पात्र इन जिम्मेदारों को शिकायती पत्र लिखकर बता भी रहे हैं कि साहब, ठंड में पन्नी तानकर गुजारा करना बहुत कठिन हो रहा है, कुछ कीजिए लेकिन सुनवाई नहीं हो रही. शहर में सर्किट हाउस के सामने तक आपको दर्जनों झुग्गी झोपड़ी मिल जाएंगी, जहां यही स्थिति है। झोपड़ी में निवास करने वाले मस्ताना ने बताया कि सालों से यहां निवास कर रहे हैं. सबसे ज्यादा परेशानी बरसात के समय होती है. कभी कभी पानी अंदर तक आने लगता है जिससे हम लोग भीग तक जाते हैं, आवास नहीं मिलने से हम परेशान हैं।

नगर पालिका के सीएमओ का कहना है कि शहर में केवल पात्र लोगों को आवास दिए जाएंगे. जो अपात्र है उन्होंने झोपड़पट्टी डाल रखी है उनको नोटिस दिया जाएगा. हम जल्द सर्वे कराकर आगे की कार्रवाई करेंगे।

वैसे राजधानी भोपाल में और उसके आस पास भी अभी भी ऐसे हजारों लोग हैं जिन्हें आज भी छत नसीब नहीं है। अफसर लाखो को मकान दिलवा चुके हैं। 

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