हिंडनबर्ग की अदानी को चुनौती- US कोर्ट में आइए...भाई को एमडी बनाने और कंपनियों पर करने का प्रश्न अनुत्तरित..

अदानी ग्रुप न्यूयॉर्क की हिंडनबर्ग रिसर्च पर क़ानूनी कार्रवाई के बारे में विचार कर रहा है. उधर हिंडनबर्ग ने कहा है कि वे अपनी रिपोर्ट पर क़ायम हैं और क़ानूनी कार्रवाई का स्वागत करेंगे। उधर अदानी ग्रुप में गौतम के छोटे भाई राजेश को ग्रुप का एमडी बनाया जबकि राजेश पर टैक्स चोरी सहित कई आरोप हैं। अदानी की कंपनियों पर बड़ा कारण भी रिपोर्ट का बड़ा आधार है। वहीं टैक्स हैवन देशों की कंपनियों को अधिग्रहीत करने पर भी सवालिया निशान लगा हुआ है। इसके बावजूद अदानी समूह स्वयं को सही बता रहा है। 

धोखाधड़ी के आरोपों के बाद अरबों रुपये का नुकसान झेलने पर भारतीय अरबपति गौतम अदानी ने रिसर्च कंपनी के दावों का जवाब दिया है. वहीं, हिंडनबर्ग ने भी जवाब में कहा है कि वो अपनी रिपोर्ट पर पूरी तरह कायम है.
गौतम अदानी के छोटे भाई राजेश अदानी को ग्रुप का एमडी क्यों बनाया गया है, जबकि उनके ख़िलाफ़ कस्टम टैक्स चोरी, आयात से जुड़े फ़र्ज़ी काग़ज़ात तैयार करने और अवैध कोयले का इंपोर्ट करने का आरोप लगाया गया था.

गौतम अदानी के बहनोई समीर वोरा अहम पद पर क्यों? समीर का नाम बेनामी कंपनियों के ज़रिये डायमंड ट्रेडिंग में आने के बाद भी उन्हें अदानी ऑस्ट्रेलिया डिवीजन का एक्जीक्यूटिव डायेरक्टर क्यों बनाया गया है.

गौतम अदानी के भाई विनोद अदानी के ख़िलाफ़ भी सरकारी एजेंसियां जाँच कर रही हैं. उनके ख़िलाफ़ विदेशों में फ़र्जी कंपनियों के ज़रिये अरबों डॉलर अदानी की कंपनियों में लगाने के आरोप हैं, जिसमें हवाला की रकम भी शामिल है. रिपोर्ट में दावा किया गया है कि इस रकम के ज़रिये अदानी ग्रुप की कंपनियों के शेयरों के भाव बढ़ाए गए.
आय और बैलेंसशीट में हेर-फेर? हिंडनबर्ग ने अपनी रिसर्च रिपोर्ट में दावा किया है कि अदानी समूह की कुछ कंपनियों में आय को वास्तविक से अधिक दिखाया गया और बैलेंसशीट के साथ हेरफेर किया गया.
अदानी समूह पर कर्ज़ का भारी बोझ? रिपोर्ट में कहा गया है कि प्रमोटर्स ने शेयरों को गिरवी रखकर उधार लिया है, अदानी ग्रुप पर कर्ज़ का भारी बोझ बड़ी समस्या है
निवेशक और विश्लेषक पहले भी अदानी समूह की शेयर बाज़ार में लिस्टेड कंपनियों पर कर्ज़ के बोझ को लेकर चिंता ज़ाहिर कर चुके हैं. स्टॉक एक्सचेंज को दी गई जानकारी के मुताबिक मार्च 2022 के अंत तक अदानी समूह की छह कंपनियों अदानी इंटरप्राइसेज़, अदानी ग्रीन एनर्जी, अदानी पोर्ट्स, अदानी पावर, अदानी टोटल गैस और अदानी ट्रांसमिशन पर 1.88 लाख करोड़ रुपये का कर्ज़ था.

रेफ़िनिटिव ग्रुप द्वारा जारी आंकड़े भी बताते हैं कि अदानी ग्रुप की सात सूचीबद्ध कंपनियों पर कर्ज़ उनके इक्विटी से ज़्यादा है. अदानी ग्रीन एनर्जी पर तो इक्विटी से दो हज़ार प्रतिशत ज़्यादा कर्ज़ है.

रिपोर्ट में कहा गया है कि अदानी ग्रुप की भारतीय शेयर बाज़ार में सूचीबद्ध सात कंपनियों के शेयरों की कीमत इसी सेक्टर की प्रतिस्पर्धी कंपनियों के मुक़ाबले बहुत अधिक मूल्य पर हैं और इनका वैल्यूएशन 85 प्रतिशत से अधिक है.

हिंडनबर्ग अपनी रिपोर्ट में कहता है, "अगर आप हमारी जाँच रिपोर्ट को नकार भी दें और अदानी समूह के वित्तीय लेखा-जोखा का बारीक विश्लेषण करें तो आप पाएंगे कि इसकी सात लिस्टेड कंपनियों में 85 पर्सेंट तक की गिरावट की संभावना है और वजह साफ़ है कि शेयरों का वैल्यूएशन आसमान की ऊँचाई पर है."
रिपोर्ट की विश्वसनीयता का दावा
हिंडनबर्ग का दावा है कि उसकी रिपोर्ट दो साल तक चली रिसर्च के बाद तैयार हुई है और इसके लिए अदानी ग्रुप में काम कर चुके पूर्व अधिकारियों के साथ-साथ कई अन्य लोगों से भी बात की गई है और कई दस्तावेज़ों को आधार बनाया गया है.

कंपनी का दावा है कि उसके पास निवेश को लेकर दशकों का अनुभव है. वैसे तो फाइनेंशियल रिसर्च वाली हर कंपनी ऐसा दावा करती है, लेकिन इस कंपनी के पास ऐसा क्या खास है?

कंपनी ने अपनी वेबसाइट पर लिखा है कि निवेश के लिए फ़ैसले देने के लिए वो विश्लेषण को आधार तो बनाती है ही, साथ ही वह इन्वेस्टिगेटिव रिसर्च और सूत्रों से मिली ऐसी गुप्त जानकारियों पर रिसर्च करती है, जिन्हें खोज निकालना काफी मुश्किल होता है. इस कंपनी के नाम के पीछे भी एक ख़ास कहानी है.
ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के मुताबिक़ हिंडनबर्ग ने साल 2020 के बाद से 30 कंपनियों की रिसर्च रिपोर्ट उजागर की है और रिपोर्ट सार्वजनिक होने के अगले ही दिन उस कंपनी के शेयर औसतन 15 फ़ीसदी तक टूट गए.

रिपोर्ट में बताया गया है कि अगले छह महीने में इन कंपनियों के शेयरों में औसतन 26 फ़ीसदी से अधिक की गिरावट दर्ज की गई. अगर अदानी समूह की ही बात करें तो रिपोर्ट आने के बाद दो कारोबारी सत्रों में कंपनियों के शेयर 25 फ़ीसदी से अधिक टूट चुके हैं.

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