कॉलेजियम की तरफ से IB रिपोर्ट सार्वजनिक करना उचित नहीं : रिजिजू

नई दिल्ली। केंद्र सरकार और न्यायपालिका के बीच जजों की नियुक्ति के मुद्दे पर टकराव जारी है। इसी बीच केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने साफ कर दिया है कि नियुक्ति प्राशासनिक मामला है। इस दौरान उन्होंने कॉलेजियम की तरफ से IB रिपोर्ट सार्वजनिक करने पर भी सवाल उठाए। मंगलवार को उन्होंन कोर्ट में जारी लंबित मामलों पर भी चिंता जाहिर की।

मंगलवार को एक कार्यक्रम के दौरान रिजिजू ने कहा, 'RAW और IB की गुप्त और संवेदनशील रिपोर्ट को सामने लाना चिंता की बात है। इस पर कुछ समय में विचार किया जाएगा।' दरअसल, हाल ही में कॉलेजियम ने हाईकोर्ट में जजों नियुक्ति से जुड़ी RAW और IB की रिपोर्ट को सार्वज दिया था। कहा जा रहा था कि मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने चार दिनों तक विचार करने के बाद रिपोर्ट सार्वजनिक की ।
संवेदनशील क्यों?

दरअसल, कॉलेजियम जिन नामों को सिफारिश भेजती है जज बनाने के लिए, सरकार उनके नामों को आईबी के पास भेजती है रिकॉर्ड आदि चेक करने के लिए। वहां से क्लीरियंस मिलने के बाद ही सरकार नाम पर मुहर लगाती है। वहीं, अगर सरकार को आपत्ति है, तो जज के संदिग्ध रिकॉर्ड का हवाला देकर फाइल को वापस भेज दिया जाता है।

लंबित मामलों पर चिंता

केंद्रीय मंत्री ने अदालतों में लंबित मामलों पर चिंता जाहिर की और कहा कि न्याय में देरी का मतलब न्याय से इनकार करना है। उन्होंने कहा, 'आज कुल लंबित मामलों की संख्या 4.90 है। न्याय में देरी का मतलब न्याय से इनकार करना है। लंबित मामलों को कम करने का एक ही तरीका है कि सरकार और न्यायपालिका साथ आ जाएं।'

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