मैं तुम्हें भूल जाऊं, यह हो नहीं सकता और तुम मुझे भूल जाओ, यह मैं होने नहीं दूंगा। वैसे तो ये डायलॉग बॉलीवुड फिल्म धड़कन का है, लेकिन प्रदेश की राजनीति में इन दिनों पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती और बीजेपी के बीच कुछ ऐसा चल रहा है। उनकी पहचान फायर ब्रांड नेता की रही है। तेवर आज भी वही है। उमा भारती शराब समेत कई मुद्दों पर अपनी ही पार्टी से खफा-खफा रहती है। मौका मिलने पर आंखें दिखाने से भी पीछे नहीं रहती।
भाजपा पर उतारा गुस्सा
हाल ही में उमा भारती ने एक चौंकाने वाले वाकये के बाद भाजपा पर गुस्सा उतारा। हुआ यूं कि पूर्व मुख्यमंत्री अचानक बीजेपी कार्यसमिति की बैठक में पहुंच गई। थोड़ी देर रुकी, फिर चली गईं। इस पर मीडिया ने सवाल किए तो उमा ने कान पकड़ लिए। दरअसल, उमा भारती को लेकर ऐसी चर्चाएं होने लगीं कि वे बिना बुलाए भाजपा की बैठक में चली गईं। ये बात उमा के कानों तक पहुंची तो उन्होंने जमकर खबर ले ली।
बीजेपी का सम्मान रखने पहुंची बैठक में
उमा भारती ने सोशल मीडिया पर लिखा- लगता है कि मध्यप्रदेश में 2018 का माहौल आ गया है, जब हमारे जैसे लोगों को लेकर झूठी बातें फैलाई जाती थीं। मैं मध्यप्रदेश से राष्ट्रीय कार्यसमिति की सदस्य हूं, इसलिए मैं बैठक में थोड़ी देर के लिए गई थी। मैं एमपी बीजेपी का सम्मान रखने के लिए गई थी, क्योंकि यह चुनावी साल है। उन्होंने आगे लिखा- सोशल मीडिया पर यह जानबूझकर फैलाया जा रहा है कि मैं बिना बुलाए कार्यसमिति में गई। मैं डर्टी ट्रिक्स डिपार्टमेंट को आगाह करूंगी कि ऐसी झूठी बातें फैलाने से बीजेपी को दुश्मनों की जरूरत ही नहीं पड़ेगी। आप जैसे लोग ही काफी होंगे।
‘अपनों’ का बेगानों जैसा व्यवहार
सवाल यह है कि उमा भारती ऐसे तेवर क्यों दिखा रही हैं? सुना है कि जब वे बैठक में पहुंचीं उनसे किसी ने ज्यादा बात नहीं की। इतना ही नही, वे बैठक में भाषण देने की तैयारी से पहुंची थीं। क्योंकि उनका पटा ( वे पटे पर खड़े होकर भाषण देती हैं) डायस के पास रखा गया था, लेकिन उनका भाषण नहीं हुआ। उनके एक समर्थक यह कहते हुए सुने गए कि उनके (उमा भारती) साथ ‘अपनों’ का बेगानों जैसा व्यवहार उचित नहीं था।
ये बीजेपी की भूल या कुछ और...?
मध्यप्रदेश में अभी बीजेपी का नया ठिकाना पुराना आरटीओ भवन है। दरअसल बीजेपी नया, भव्य और हाईटेक दफ्तर बना रही है। इसके लिए पुराने कार्यालय को तोड़ा जा रहा है। फिलहाल संगठन और बीजेपी के नेता अपना कामकाज नए और अस्थाई ऑफिस से देख रहे हैं। हाल ही में बीजेपी कार्यसमिति की बैठक भी यहीं हुई, लेकिन इस दौरान एक ऐसा वाकया हुआ, जिसे देखकर हर कोई हैरान रह गया।
हुआ यूं कि बीजेपी के पुराने कार्यालय के परिसर में पंडित दीनदयाल उपाध्याय, कुशाभाऊ ठाकरे और राजमाता विजयराजे सिंधिया की प्रतिमाएं लगी हैं। इसके अलावा श्यामा प्रसाद मुखर्जी की प्रतिमा परिसर के बाहर मेन गेट के सामने स्थापित है। इनमें से पंडित दीनदयाल उपाध्याय की प्रतिमा नए अस्थाई दफ्तर में शिफ्ट की गई है, साथ ही श्यामा प्रसाद मुखर्जी की प्रतिमा भी है, लेकिन राजमाता सिंधिया और कुशाभाऊ ठाकरे की प्रतिमा यहां नजर नहीं आई। और तो और बीजेपी नेताओं ने कार्यसमिति की बैठक में आए ज्योतिरादित्य सिंधिया से अपनी दादी की प्रतिमा के बिना ही बाकी दोनों प्रतिमाओं पर माल्यार्पण करा दिया।
इसको लेकर अब भाजपा के अंदर और बाहर कई तरह की चर्चाएं हो रही हैं। लोग सवाल उठा रहे हैं कि ये बीजेपी की भूल है या किसी राजनीति का हिस्सा? इस पर बीजेपी के एक नेता का तर्क है कि राजमाता और ठाकरे जी का बड़ा चित्र कार्यालय के अंदर लगाया गया है। राष्ट्रीय कार्यालय में भी सिर्फ पं. दीनदयाल और श्यामा प्रसाद की प्रतिमा स्थापित की गई है।
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