कर्नाटक में भाजपा की मुश्किल, हिंदुत्व एजेंडा फैल हुआ..हिजाब, हलाल-अजान के मुद्दे बेअसर, अब जाति और विकास के मुद्दों पर फोकस...


बेंगलुरु। UP में हिंदुत्व के जिस मुद्दे पर BJP ने 255 सीटें जीती थीं, वो कर्नाटक में फेल होता दिख रहा है। ये साबित हो रहा है कर्नाटक में BJP की बदली रणनीति से। बीते 90 दिनों में पार्टी ने हिजाब-हलाल-अजान जैसे मुद्दों से किनारा किया है और डेवलपमेंट पर बात करनी शुरू की है। BJP सूत्रों के मुताबिक अगले 90 दिनों के लिए एक नई स्ट्रैटजी भी तैयार की जा रही है। इसमें डेवलपमेंट के अलावा जाति की राजनीति पर फोकस रहने वाला है।

गृहमंत्री शाह ने CM बोम्मई को लगाई फटकार
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, BJP केंद्रीय नेतृत्व के सर्वे में पार्टी को कर्नाटक में एक बार फिर बहुमत नहीं मिल रहा है। सर्वे में राज्य की कुल 224 विधानसभा सीटों में से पार्टी को सिर्फ 60-70 सीटें मिलती दिख रही हैं। ऐसा ही एक सर्वे CM बसवराज बोम्मई ने भी कराया, जिसमें पार्टी को 110 सीटें मिलने का दावा किया गया। हालांकि बहुमत के लिए 113 सीट चाहिए।

BJP सोर्सेज के मुताबिक बीते दिनों गृहमंत्री शाह बेंगलुरु आए थे। उन्होंने बसवराज बोम्मई के साथ मीटिंग की थी। शाह ने बोम्मई से सख्त लहजे में पूछा था कि जब पार्टी के सर्वे में 60 से 70 सीटें आती दिख रही हैं, तो आप किस आधार पर 110 सीटें जीतने का दावा कर रहे हैं। इसके बाद BJP ने अगले तीन महीने के लिए चुनावी रणनीति में बड़ा बदलाव किया है।

धर्म की जगह अब जाति पर फोकस
कर्नाटक के सीनियर जर्नलिस्ट बेलागुर समीउल्ला कहते हैं, ‘हिजाब-हलाल और अजान का इश्यू क्रिएट करके हिंदू और मुस्लिम वोटों को बांटने की कोशिश की गई थी। तीन महीने पहले तक यही मुद्दे कर्नाटक में छाए हुए थे। नेशनल से लेकर लोकल टेलीविजन चैनल पर सुबह-शाम इन्हीं पर डिबेट हो रही थी, लेकिन जो लोकल चैनल ये शो दिनभर दिखा रहे थे, उनकी TRP 100 से 40 पर आ गई।’

एससी-एसटी के बाद लिंगायतों की आबादी राज्य में सबसे ज्यादा है। पंचमसाली लिंगायत में आने वाली सबसे बड़ी कम्युनिटी है, जो लंबे समय से आरक्षण बढ़ाने की मांग कर रही है। उनकी मांग कम्युनिटी को ओबीसी आरक्षण मैट्रिक्स की श्रेणी 3बी से 2ए में शामिल करने की है। इससे आरक्षण 5 से बढ़कर 15% पहुंच जाएगा।

येदियुरप्पा को साइडलाइन करना चाहा, लेकिन फिर मनाना पड़ा
2021 में पार्टी ने येदियुरप्पा को मुख्यमंत्री पद से हटा दिया था। उनकी जगह उन्हीं की पसंद के बसवराज बोम्मई को मुख्यमंत्री बना दिया था। CM पद से हटाने के बाद येदियुरप्पा को बड़े प्रोग्राम्स में बुलाना भी बंद कर दिया था, लेकिन ग्राउंड पर इसका निगेटिव इम्पैक्ट नजर आया।

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