शिवराज का वन टू वन, और विधायकों का दर्द... प्रशासनिक अराजकता बनाम सर्वे...

भोपाल।चुनावी साल आते ही भाजपा ने अपने विधायकों की सीट को टटोलना शुरू कर दिया है। गुरुवार काे शीतकालीन सत्र के समाप्त होते ही मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने तुरंत विधायक दल की बैठक बुलाई और उसके चंद घंटे बाद से ही विधायकों के साथ वन-टू-वन किया। लेकिन ये पूरी एक्सरसाइज सीएम अपनी कुर्सी बचाने के लिए कर रहे हैं, ऐसा दावा किया जा रहा है। पिछले चुनाव में भी ये सब करने के बाद भी शिवराज के नेतृत्व भाजपा चुनाव हारी थी। 

जबलपुर, नर्मदापुरम और भोपाल संभाग के विधायकों से बात करते हुए सीएम ने विधानसभा की नब्ज उन्हें बता दी। हर विधायक के लिए मुख्यमंत्री ने कम से कम 10 मिनट रखे हैं। शुक्रवार का दिन भी उन्होंने आरक्षित रखा है। इस दिन मालवा-निमाड़ (उज्जैन और इंदौर संभाग) के विधायक रहेंगे। शुक्रवार शाम पार्टी दफ्तर में प्रमुख नेताओं की बैठक रखी गई, इसमें मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान के साथ प्रदेश प्रभारी मुरलीधर राव और प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा रहै। 

सर्वे के आधार पर मुख्यमंत्री रिपोर्ट रख रहे हैं। विधायकों को छह माह का वक्त दिया जा रहा है, ताकि विधानसभा सीट में जो भी गांव या कस्बे पार्टी के खिलाफ जा रहे हैं, उन्हें सुधारा जाए। इसके बाद भी स्थिति नहीं सुधरी तो टिकट कटेंगे। मौजूदा भाजपा विधायकों में 50 से अधिक विधायकों की स्थिति वर्तमान में निगेटिव है। इनके टिकट कटना लगभग तय हैं।

मुख्यमंत्री ने गुरुवार देर रात तक वन-टू-वन किया। सीएम ने विधायकों को यह भी स्पष्ट कर दिया कि कुछ माह बाद फिर बात होगी। बताया जा रहा है कि मुख्यमंत्री अपने कैबिनेट के सदस्यों से भी सर्वे पर जल्द बात कर सकते हैं। गुरुवार को जबलपुर, बालाघाट, नरसिंहपुर, बैतूल, होशंगाबाद, रायसेन, विदिशा और सीहोर के विधायकों से बात की। इनमें प्रमुख रूप से अजय विश्नोई, अशोक रोहाणी, नंदनी मरावी, देव सिंह सैय्याम, राकेश पाल, रामकिशोर कांवरे आदि शामिल हैं।

विधायक दल की बैठक में सीएम ने सभी विधायकों से कहा कि वे 1 फरवरी से विकास यात्रा की तैयारी करें। अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती यानी 25 दिसंबर को सुशासन दिवस के साथ इसकी तैयारी होगी। जनवरी में शासन के जितने भी काम, कार्यक्रम और हितग्राही मूलक आयोजन हैं, उसमें विधायक शामिल होंगे। सीएम ने कहा कि विकास यात्रा के बाद वह फोल्डर देखा जाएगा, जिसमें विधायक की तमाम गतिविधियां होंगी।

इस सबके बीच खास बात ये रही कि न तो विधायक दल की बैठक में और ना ही वन टू वन में सीएम ने किसी को बोलने दिया। विधायक उनकी निगेटिव रिपोर्ट के लिए अफसरशाही और संगठन की जिम्मेदारी भी बताना चाहते थे और चाहते हैं पर उनकी कोई सुन नहीं रहा। मुरलीधर राव गलत बयानी करते आ रहे हैं, बीजेपी से उन्हें कोई फायदा नहीं हुआ। बीजेपी एमएलए का दर्द ये है कि कलेक्टर से लेकर अन्य अफसर उनकी बात नहीं सुनते। कुछ कहो तो सीधे जवाब मिलता है सीएम साहब से बात करते हैं या सीएम साहब से बात हो गई। ये बात किसी सर्वे में नहीं दिखाई गई। 

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