पति को खोने के बाद उनकी इच्छा पूरी की और बन गई अफसर... कहानी गरिमा की

नई दिल्ली। आज हम एक ऐसी महिला अफसर के बारे में बात कर रहे हैं जिन्होंने अपनी जिंदगी में बहुत संघर्ष किया। पति को खोने के बाद उनकी इच्छा पूरी की और आज राजस्थान एडमिनिस्ट्रेटिव सर्विसेज में हैं। साल 2018 में उन्होंने कैटेगरी से टॉप किया. वहीं उनकी कंबाइंड रैंक 287 थी. यह पहली बार नहीं था जब उन्होंने अफसर का पद हासिल किया है साल 2016 में उनका सेलेक्शन आरटीएस के पद पर हुआ था।

ये कहानी है गरिमा शर्मा की। गरिमा शर्मा का कहना है कि जब मैं आरएएस कर सकती हूं तो कोई भी इस काम को कर सकता है. कोई भी जो भी सोचे, ऐसा इसलिए कह रही हूं क्योंकि जब मैंने अपने पति को खोया उसके बाद मेरे पास करने के लिए कुछ भी नहीं था मैंने सिर्फ और सिर्फ अपने माइंड को थोड़ा सा पॉजिटिव डायरेक्शन में डाइवर्ट करने के लिए और हसबैंड की भी इच्छा थी कि मैं कुछ इस तरीके से करूं कि मैं एडमिनिस्ट्रेशन में चली जाऊं. तो मैंने कोशिश की उसके बाद मैंने 2016 में जब आरएएस की तैयारी शुरू की तो कोई गाइडेंस नहीं थी. इसके लिए कोचिंग क्लास जॉइन कीं।

एक बार हम अगर पढ़ाई छोड़ देते हैं तो दोबारा शुरू करना मुश्किल होता है लेकिन गरिमा शर्मा ने पढ़ाई छोड़ने के करीब 12 साल बाद दोबारा पढ़ाई शुरू की और वो भी स्टेट की प्रीमियम सरकारी नौकरी के लिए. वह इसमें कामयाब भी रहीं. उन्होंने एक साथ फर्स्ट अटेंप्ट में ही स्कूल-कॉलेज लेक्चरर और आरएएस का एग्जाम क्लियर किया. गरिमा शर्मा खुद संघर्ष करके यहां तक पहुंची. वह समाज के वंचित वर्ग की मदद करना चाहती हैं।

"कोचिंग सिर्फ यह सोचकर गई थी कि मैं शायद स्कूल लेक्चरर या कॉलेज लेक्चरर का कोई एग्जाम हो तो उसके लिए मुझे थोड़ी सी गाइडेंस मिल जाए. जिस तरीके से कोचिंग में मुझे समझाया बताया कि मैं बहुत आराम से आरएएस कर सकती हूं तो मैंने सोचा कि ठीक है फॉर्म भर देते हैं फॉर्म भरा और मेरा सलेक्शन हो गया इसमें प्री एग्जाम के वक्त ही मुझे इतना ज्यादा डर लग रहा था कि कैसे क्या होगा लेकिन प्री में सेलेक्शन होने के बाद में मेरा आत्मविश्वास बढ़ा." 

0/Post a Comment/Comments