संसद की उपलब्धि
संसद में इस बार बहुत अधिक हंगामा भले ही न हुआ हो, परंतु फिर भी संसद का शीतकालीन सत्र एक सप्ताह पहले ही स्थगित कर दिया गया। बीत रहे साल में संसद में हंगामा अधिक, मुद्दों पर बहस कम ही हुई है। आर्थिक हालात और रोजगार के मुद्दे उठाए गए, महंगाई और किसानों के मुद्दे छाये रहे। यह बात और है कि कोई सकारात्मक परिणाम सामने आते नहीं दिखे।
संसद आए आंकड़ों के अनुसार कोविड की लहर के साथ ही स्वास्थ्य के लिए आवंटन वर्ष 2017-18 के 47,353 करोड़ रुपये से बढक़र 2022-23 में 83,000 करोड़ रुपये किया गया है, फिर भी लोग निजी अस्पतालों पर अधिक निर्भर हैं। इसके अलावा स्वास्थ्य के बुनियादी ढांचे के लिए वित्त आयोग ने स्थानीय निकायों को 70,051 करोड़ रुपये का अनुदान दिया, पर स्वास्थ्यकर्मियों की कमी को दूर नहीं किया। केंद्र द्वारा प्रबंधित देश भर के 11 प्रमुख अस्पतालों और संस्थानों में डॉक्टरों के स्वीकृत 74,813 पदों में से 30,512 पद रिक्त हैं, जो ज्यादातर दिल्ली के बाहर नए एम्स अस्पतालों में हैं। भारत की मौजूदा 1.4 अरब की आबादी के लिए 13,08,009 एलोपैथिक डॉक्टर तथा 5.6 लाख आयुष डॉक्टर हैं और प्रति 1,000 लोग पर दो नर्सें हैं। जिला अस्पतालों और स्वास्थ्य केंद्रों में डॉक्टरों के 18,900 से अधिक पद खाली हैं। इसके अलावा पैरामेडिक्स, फार्मासिस्ट और टेक्निशियन के पद भी खाली हैं।
बेरोजगारी के मुद्दे पर निरंतर बहस चली, पे रिसर्च यूनिट की एक रिपोर्ट के हवाले से सरकार ने खुलासा किया कि केंद्र सरकार के विभागों और सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (पीएसयू) में 9.79 लाख पद खाली पड़े हैं। रक्षा, गृह, रेलवे, डाक और राजस्व मंत्रालयों में पांच लाख से अधिक रिक्त पद हैं। हालांकि विगत अक्तूबर में प्रधानमंत्री ने 18 महीनों में 10 लाख लोगों की भर्ती के लिए रोजगार मेला शुरू किया। लेकिन इस लक्ष्य को व्यवस्थागत उदासीनता ने चुनौती दी है।
पिछले हफ्ते सरकार ने संसद को बताया कि वर्ष 2020-21 और 2021-22 के बीच 20,000 से अधिक स्कूल बंद हो गए हैं और भारतीय स्कूलों में शिक्षकों की संख्या में 1.89 लाख की गिरावट आई है। इसका पहले से ही खराब शैक्षणिक व्यवस्था पर प्रभाव पडऩा लाजिमी है।
कौशल विकास कार्यक्रमों के बावजूद बढ़ती अर्थव्यवस्था को कुशल लोगों की जरूरत है। श्रम मंत्रालय की संसद की स्थायी समिति के एक संक्षिप्त विवरण के अनुसार, 30 जून, 2022 तक पीएम कौशल विकास योजना (पीएमकेवीवाई)-3 के तहत प्रशिक्षित 3.99 लाख प्रमाणित उम्मीदवारों में से केवल 30,599 को ही नौकरी मिली। पीएमकेवीवाई में कुल 91.38 लाख प्रमाणित उम्मीदवारों में से मुश्किल से एक चौथाई या 21.32 लाख लोगों को रोजगार मिला था। श्रम मंत्रालय की नीति और कार्यान्वयन की देख-रेख करने वाली समिति ने पाया कि मई, 2022 तक देश में आईटीआई में संकायों के 1.99 लाख मंजूर पदों में से 1.29 लाख पद खाली पड़े थे।
दिवालिया कानून लागू करने को आर्थिक सुधारों में मील का पत्थर बताया गया था। लेकिन आईबीसी के जरिये बैंकों में बुरे ऋण की सफाई की सफलता नेशनल कंपनी लॉ ब्यूनल यानि एनसीएलटी में लंबित मामलों की संख्या बढ़ी है। संसद में पेश आंकड़े विगत 31 अक्तूबर तक एनसीएलटी में 12,871 मामले लंबित थे। दिसंबर, 2021 तक, 444 मामलों में आईबीसी प्रक्रिया से 7.54 लाख करोड़ रुपये में से 2.5 लाख करोड़ रुपये वसूल किए गए हैं। पिछले पांच वर्षों में बैंकों ने 10,09,511 करोड़ रुपये को बट्टे खाते में डाल दिया। ग्रामीण भारत की बात करें तो ग्रामीण विकास पर स्थायी समिति ने पाया कि पंचायतों को पंचायत भवनों के निर्माण, कंप्यूटरीकरण और तकनीकी जनशक्ति के लिए धन की भारी कमी है। तय मानदंडों का पालन नहीं किए जाने के कारण धन आवंटित नहीं किया गया। मध्यप्रदेश जैसे राज्यों में तो जिला और जनपद पंचायत सदस्यों को दी जाने वाली विकास राशि ही बंद है।
इस साल उद्योगपति साइरस मिस्त्री का निधन भारतीय राजमार्गों पर यातायात के खतरे का प्रमाण है। दुर्घटनाओं के कारणों में से एक खराब तरीके से बनाई गई सडक़ें हैं। हमारे देश में हर साल डेढ़ लाख से ज्यादा लोग सडक़ हादसों में मारे जाते हैं, लेकिन सडक़ परिवहन मंत्रालय का ट्रांसपोर्ट रिसर्च विंग सडक़ इंजीनियरिंग दोषों के आधार पर हुई सडक़ दुर्घटनाओं के आंकड़ों का संकलन नहीं करता है। वर्षों से एक के बाद एक आने वाली सरकारों ने सडक़ों पर 15 साल से अधिक पुराने वाहनों को प्रतिबंधित करने की वकालत की है, लेकिन दुर्घटना के तकनीकी कारणों पर ध्यान नहीं दिया जा रहा। करीब 1.28 लाख वाहन के स्क्रैप (बेकार) हो जाने की आशंका है। सवाल उठता है कि सरकार के पास कितनी वाहनें हैं। इस बीच वाहनों को स्क्रैप किए जाने का फैसला विभागों पर छोड़ दिया गया है।
कुल मिलाकर देखा जाए तो संसद के दोनों ही सदनों में पिछले साल मुद्दे आए तो पर ठीक से बहस नहीं हुई और न ही कोई नतीजा निकला। सरकार ने जो कदम उठाए, या बजट को लेकर भी पर्याप्त बहस नहीं हुई। हंगामों और तकरार के चलते कार्यवाही बाधित के दौर चलते रहे। इस बीच सांसद राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा दिल्ली पहुंची, इसके पहले ही सत्र का समापन हो गया। आलोचनाओं और विरोध के दौर जारी है। हां, मुद्दे लगभग जस के तस ही हैं।
-संजय सक्सेना
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